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सुशासन संवाद 2.0 में सीएम यादव का मप्र विकास मॉडल प्रस्तुत-जल प्रबंधन, संस्कृति, शिक्षा और रोजगार पर विशेष जोर

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Sun, 16 Nov 2025 11:08 PM IST
सार

राजधानी भोपाल में आयोजित सुशासन संवाद 2.0 कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मध्य प्रदेश के विकास विजन को विस्तार से रखा। उन्होंने कहा कि प्रदेश विकास, संस्कृति और संसाधनों के संतुलन के साथ तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।

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CM Yadav presents MP's development model at Good Governance Dialogue 2.0 - special emphasis on water managemen
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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राज्य शासन की विकास सोच, प्रशासनिक प्राथमिकताओं और भविष्य की दिशा को लेकर राजधानी भोपाल में आयोजित मध्य प्रदेश सुशासन संवाद 2.0 में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विस्तृत रूप से अपना विजन रखा। पाञ्चजन्य द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने बताया कि मध्य प्रदेश आज विकास, संस्कृति और संसाधनों के संतुलन के साथ आगे बढ़ने वाले राज्यों की श्रेणी में तेजी से शामिल हो रहा है।  कार्यक्रम की शुरुआत में मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच वर्षों पुराने जल विवाद का उल्लेख करते हुए कहा कि दोनों राज्यों के बीच सहमति का रास्ता निकाल लिया गया है। उन्होंने इसे जल प्रबंधन में मध्य प्रदेश की उदार और व्यावहारिक नीति का उदाहरण बताया। उनका कहना था कि राज्य प्राकृतिक संपदाओं से समृद्ध है और नदी जोड़ो अभियान ने जल संसाधन प्रबंधन को मजबूत बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। मुख्यमंत्री ने भरोसा जताया कि यह मॉडल भविष्य में कई राज्यों के लिए मार्गदर्शक बन सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक मजबूत राज्य केवल बुनियादी ढांचा और आर्थिक सूचकांकों से नहीं, बल्कि अपनी सांस्कृतिक जड़ों से पहचान बनाता है। उन्होंने बताया कि पूरे प्रदेश में गीता जयंती मनाई जा रही है और गीता भवन के निर्माण की दिशा में भी कदम बढ़ाए गए हैं। उनका मानना है कि भारतीय ज्ञान परंपरा को समाज के केंद्र में लाने से सांस्कृतिक आत्मविश्वास बढ़ता है और सामाजिक जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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शिक्षा में भारतीयता- कुलपति नहीं कुलगुरु
शिक्षा क्षेत्र में सुधारों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालयों में कुलपति की जगह कुलगुरु शब्द के उपयोग का निर्णय केवल नाम परिवर्तन नहीं, बल्कि मूल्यों को केंद्र में लाने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि शिक्षा अब केवल डिग्री प्राप्ति तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि कौशल, संस्कार और शोध-आधारित शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा।

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महिलाओं के सशक्तिकरण को शीर्ष प्राथमिकता
मुख्यमंत्री ने महिलाओं पर केंद्रित योजनाओं को राज्य की प्रमुख उपलब्धियों में गिना। उन्होंने कहा कि सुरक्षा, आत्मनिर्भरता और आर्थिक स्वतंत्रता तीनों मोर्चों पर प्रदेश में ठोस पहलें हुई हैं। कौशल प्रशिक्षण, आर्थिक सहयोग, रोजगार के अवसर और महिलाओं- केंद्रित कल्याण योजनाओं से समाज में व्यापक परिवर्तन दिखाई दे रहा है।

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रोजगार आधारित उद्योग नीति का मॉडल
युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के संकल्प को दोहराते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्योगों को मिलने वाली सब्सिडी और सरकारी लाभ उनके द्वारा दिए गए रोजगार से जोड़े जाएंगे। उनकी मान्यता है कि निवेश और रोजगार एक-दूसरे के पूरक होने चाहिए।

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राजधानी के पर्यटन और सांस्कृतिक सौंदर्य पर विशेष ध्यान
मुख्यमंत्री ने भोपाल की पहचान को नए अंदाज में प्रस्तुत करने की योजना साझा करते हुए कहा कि राजधानी के ऐतिहासिक महत्व को उजागर किया जाएगा। राजा भोज, विक्रमादित्य, भगवान राम और भगवान कृष्ण के नाम पर द्वार और मार्ग बनाए जा रहे हैं, ताकि भोपाल एक जीवंत सांस्कृतिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो सके।

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कपास उद्योग को फिर मिल रही नई दिशा
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश के आदिवासी अंचलों में कपास उत्पादन लंबे समय से होता आ रहा है, लेकिन पूर्व सरकारों की नीतियों के कारण इसका लाभ प्रदेश को नहीं मिला। वर्तमान सरकार ने स्थानीय प्रोसेसिंग और उद्योग को बढ़ावा देकर किसानों और युवाओं को बेहतर अवसर उपलब्ध कराए हैं। 

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हितेश शंकर ने भेंट किया स्मृति चिंह
कार्यक्रम के समापन पर पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर ने मुख्यमंत्री को संघ के 100 वर्ष पूर्ण होने पर प्रकाशित विशेष अंक और स्मृति-चिह्न भेंट किया। इस दौरान संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी मंच पर उपस्थित रहे।
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