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Hindi Diwas: एमपी देश का पहला राज्य जहां हिन्दी में होगी इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई, सीएम शिवराज की पहल
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: अंकिता विश्वकर्मा
Updated Wed, 14 Sep 2022 02:48 PM IST
सार
हिंदी भाषा में इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई शुरू करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है। नई शिक्षा नीति देश में सबसे पहले लागू कर मध्यप्रदेश ने अन्य राज्यों को प्रेरणा देने का कार्य किया है।
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फाइल फोटो
- फोटो : सोशल मीडिया
हिन्दी दुनिया की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल अन्य इक्कीस भाषाओं के साथ हिंदी का एक विशेष स्थान है। हिन्दी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए 14 सितंबर को पूरे देश में हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। मध्यप्रदेश सरकार प्रदेश में हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास कर रही है।
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अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल
- फोटो : सोशल मीडिया
मध्यप्रदेश में पहली बार हिंदी माध्यम से मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई होगी। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसकी घोषणा सबसे पहले की। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि जब दुनिया के सारे देश अपनी भाषा में पढ़ाई करते हैं, तो हम अंग्रेजी के गुलाम आखिर क्यों बनें ? मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हैं कि आने वाले दिनों में मेडिकल, इंजीनियरिंग सहित अन्य विषयों की पढ़ाई को हिंदी में शुरू करके इस मिथक को तोड़ देंगे कि अंग्रेजी जरुरी है। मुख्यमंत्री की इस बड़ी पहल से प्रदेश के गरीब, ग्रामीण इलाकों के बच्चों पर मध्यमवर्गी परिवारों के लोगों को इसका लाभ मिलेगा। इस निर्णय से छात्रों को शिक्षा के लिए समान अवसर मिलेगा।
हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल ने शुरू की थी पहल
नई शिक्षा नीति के आने से पहले मध्यप्रदेश में अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल ने हिंदी में इंजीनियरिंग और चिकित्सा शिक्षा शुरू करने की घोषणा की थी। विश्वविद्यालय ने तीन भाषाओं में जहां इंजीनियरिंग की शुरुआत की, वहीं एमबीबीएस पाठ्यक्रम हिंदी में शुरू करने की दिशा में भी कदम बढ़ाये, हालांकि तत्कालीन समय में भारतीय चिकित्सा परिषद से इसकी अनुमति नहीं मिली थी। विश्वविद्यालय द्वारा छोटे स्तर पर हुई पहल मध्यप्रदेश सरकार की नई शिक्षा नीति के तहत की गई पहल के चलते रंग लाई।
हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल ने शुरू की थी पहल
नई शिक्षा नीति के आने से पहले मध्यप्रदेश में अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल ने हिंदी में इंजीनियरिंग और चिकित्सा शिक्षा शुरू करने की घोषणा की थी। विश्वविद्यालय ने तीन भाषाओं में जहां इंजीनियरिंग की शुरुआत की, वहीं एमबीबीएस पाठ्यक्रम हिंदी में शुरू करने की दिशा में भी कदम बढ़ाये, हालांकि तत्कालीन समय में भारतीय चिकित्सा परिषद से इसकी अनुमति नहीं मिली थी। विश्वविद्यालय द्वारा छोटे स्तर पर हुई पहल मध्यप्रदेश सरकार की नई शिक्षा नीति के तहत की गई पहल के चलते रंग लाई।
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
- फोटो : सोशल मीडिया
राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने में एमपी आगे
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी प्रतिबद्धता सबसे पहले दिखाई। हिंदी भाषा में इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई शुरू करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है। नई शिक्षा नीति देश में सबसे पहले लागू कर मध्यप्रदेश ने अन्य राज्यों को प्रेरणा देने का कार्य किया है।मुख्यमंत्री चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में अभिनव पहल कर देश में अलग पहचान बना रहा है।
प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग भी मानते हैं कि छात्रों को मातृभाषा में तकनीकी शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रदेश सरकार प्रतिबद्ध है, जिसके तहत पहले वर्ष में पढ़ाए जाने वाले विषयों की पाठ्य पुस्तकें विशेषज्ञों के दल द्वारा तैयार की जा रही हैं। किताबें इस तरह तैयार की गई हैं कि हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद पीछे न रहें क्योंकि वे अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी में भी सभी तकनीकी और चिकित्सा शब्द सीख रहे होंगे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी प्रतिबद्धता सबसे पहले दिखाई। हिंदी भाषा में इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई शुरू करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है। नई शिक्षा नीति देश में सबसे पहले लागू कर मध्यप्रदेश ने अन्य राज्यों को प्रेरणा देने का कार्य किया है।मुख्यमंत्री चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में अभिनव पहल कर देश में अलग पहचान बना रहा है।
प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग भी मानते हैं कि छात्रों को मातृभाषा में तकनीकी शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रदेश सरकार प्रतिबद्ध है, जिसके तहत पहले वर्ष में पढ़ाए जाने वाले विषयों की पाठ्य पुस्तकें विशेषज्ञों के दल द्वारा तैयार की जा रही हैं। किताबें इस तरह तैयार की गई हैं कि हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद पीछे न रहें क्योंकि वे अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी में भी सभी तकनीकी और चिकित्सा शब्द सीख रहे होंगे।

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