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MP News: ग्राम सभाओं को मिलेंगे अधिक अधिकार, सीएम बोले-वनवासियों के सर्वांगीण विकास के लिए सरकार प्रतिबद्ध
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: आनंद पवार
Updated Sun, 06 Jul 2025 05:20 PM IST
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सार
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रविवार को समत्व भवन में आयोजित राज्यस्तरीय टास्क फोर्स की बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए कि वनाधिकार अधिनियम और पेसा एक्ट का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि अब पेसा मोबालाईजर्स की नियुक्ति और कार्य निष्पादन पर निर्णय लेने का अधिकार ग्राम सभाओं को दिया जाएगा, जिससे स्थानीय भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा। मुख्यमंत्री ने बालाघाट मॉडल की सराहना करते हुए इसे अन्य जनजातीय विकासखंडों में लागू करने के निर्देश दिए।

सीएम ने वनाधिकार एवं पेसा अधिनियम सम्बंधित टास्क फोर्स की बैठक ली
- फोटो : अमर उजाला
विस्तार
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रविवार को समत्व भवन में वनाधिकार अधिनियम और पेसा एक्ट के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए गठित राज्यस्तरीय टास्क फोर्स की शीर्ष समिति की पहली बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए कि वनवासियों के कल्याण के लिए सभी आवश्यक प्रबंध किए जाएं और उन्हें शासन की योजनाओं से जोड़कर उनके जीवन में ठोस परिवर्तन लाया जाए। मुख्यमंत्री ने पेसा मोबालाईजर्स की कार्यप्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए अहम घोषणा करते हुए कहा कि अब इनकी नियुक्ति और निरस्त करने का अधिकार ग्राम सभाओं को दिया जाएगा। इससे ग्राम सभाओं की भागीदारी बढ़ेगी और वे पेसा मोबालाईजर्स से जमीनी स्तर पर प्रभावी कार्य करवा सकेंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार हर पल वनवासियों के साथ है, यह भावना जन-जन तक पहुंचे। उनके कल्याण के लिए योजनाएं धरातल पर उतरें और सभी पात्र हितग्राहियों को समय पर लाभ मिले। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वनाधिकार अधिनियम के तहत व्यक्तिगत और सामुदायिक दावों का तेजी से निराकरण कर 31 दिसंबर 2025 तक पेंडेंसी जीरो की स्थिति लाएं।
सीएम ने की बालाघाट मॉडल की सराहना
बैठक में बालाघाट मॉडल की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि जनजातीय विकासखंडों वाले सभी जिलों में इसे लागू किया जाए। बालाघाट में पुलिस चौकियों के माध्यम से एकल सुविधा केंद्र स्थापित कर 450 से अधिक वनाधिकार दावों का निराकरण किया गया है। डॉ. यादव ने कहा कि जनजातीय समुदायों की आजीविका को सशक्त करने के लिए दुग्ध उत्पादन, लघु वनोपज, औषधीय पौधों की खेती और श्रीअन्न (मोटे अनाज) के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाए। इसके लिए उन्हें दुधारू पशु, प्रशिक्षण और बाज़ार से जोड़ने की सुविधा दी जाएगी।
वनाधिकार के दावों का तेजी से करें निराकरण
उन्होंने वनांचल विकास केंद्रों को अधिक सक्रिय बनाने, ग्राम सभाओं को सशक्त करने और सभी विभागीय योजनाओं का समन्वय ग्रामसभा के माध्यम से करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि ग्राम सभा, वन विभाग और निवेशक मिलकर पारदर्शी विकास सुनिश्चित करें और ग्रामों की स्थायी आजीविका सुनिश्चित करें। प्रमुख सचिव जनजातीय कार्य गुलशन बामरा ने जानकारी दी कि वर्ष 2008 से 2023 तक 2.89 लाख वनाधिकार दावे मान्य किए जा चुके हैं, जबकि वर्तमान में लगभग 2.73 लाख दावे लंबित हैं। मुख्यमंत्री ने इन्हें प्राथमिकता से निराकरण करने के निर्देश दिए।
वन क्षेत्र के सभी गावों के विकास का प्रस्ताव दें
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि वन क्षेत्र के सभी गांवों के विकास के लिए प्रस्ताव दिए जाएं। उन्होंने कहा कि यह कार्य एक्शन प्लान बनाकर किया जाए। उन्होंने कहा कि 31 दिसम्बर 2025 तक सभी गांवों के दावे प्राप्त कर लें और इसी दौरान इनका निराकरण भी कर लें। वन अधिकारियों की ट्रेनिंग का काम 15 अगस्त तक पूरा कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि यदि कोई तकनीकी परेशानी आ रही है तो इसके लिए वन और जनजातीय कार्य विभाग मिलकर एक नया पोर्टल भी विकसित कर लें।
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सीएम ने की बालाघाट मॉडल की सराहना
बैठक में बालाघाट मॉडल की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि जनजातीय विकासखंडों वाले सभी जिलों में इसे लागू किया जाए। बालाघाट में पुलिस चौकियों के माध्यम से एकल सुविधा केंद्र स्थापित कर 450 से अधिक वनाधिकार दावों का निराकरण किया गया है। डॉ. यादव ने कहा कि जनजातीय समुदायों की आजीविका को सशक्त करने के लिए दुग्ध उत्पादन, लघु वनोपज, औषधीय पौधों की खेती और श्रीअन्न (मोटे अनाज) के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाए। इसके लिए उन्हें दुधारू पशु, प्रशिक्षण और बाज़ार से जोड़ने की सुविधा दी जाएगी।
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वनाधिकार के दावों का तेजी से करें निराकरण
उन्होंने वनांचल विकास केंद्रों को अधिक सक्रिय बनाने, ग्राम सभाओं को सशक्त करने और सभी विभागीय योजनाओं का समन्वय ग्रामसभा के माध्यम से करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि ग्राम सभा, वन विभाग और निवेशक मिलकर पारदर्शी विकास सुनिश्चित करें और ग्रामों की स्थायी आजीविका सुनिश्चित करें। प्रमुख सचिव जनजातीय कार्य गुलशन बामरा ने जानकारी दी कि वर्ष 2008 से 2023 तक 2.89 लाख वनाधिकार दावे मान्य किए जा चुके हैं, जबकि वर्तमान में लगभग 2.73 लाख दावे लंबित हैं। मुख्यमंत्री ने इन्हें प्राथमिकता से निराकरण करने के निर्देश दिए।
वन क्षेत्र के सभी गावों के विकास का प्रस्ताव दें
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि वन क्षेत्र के सभी गांवों के विकास के लिए प्रस्ताव दिए जाएं। उन्होंने कहा कि यह कार्य एक्शन प्लान बनाकर किया जाए। उन्होंने कहा कि 31 दिसम्बर 2025 तक सभी गांवों के दावे प्राप्त कर लें और इसी दौरान इनका निराकरण भी कर लें। वन अधिकारियों की ट्रेनिंग का काम 15 अगस्त तक पूरा कर लिया जाए। उन्होंने कहा कि यदि कोई तकनीकी परेशानी आ रही है तो इसके लिए वन और जनजातीय कार्य विभाग मिलकर एक नया पोर्टल भी विकसित कर लें।