मध्य प्रदेश: 'एक देश, दो कानून...', दिग्विजय सिंह की पोस्ट से सियासत गरमाई; मंत्री सारंग ने बताया सनातन विरोधी
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के सोशल मीडिया पोस्ट ने मध्यप्रदेश की सियासत गरमा दी है। कांवड़ यात्रा और नमाज को लेकर साझा की गई दो तस्वीरों पर "एक देश, दो कानून?" सवाल उठाया गया, जिसे लेकर भाजपा हमलावर हो गई है। मंत्री विश्वास सारंग ने दिग्विजय सिंह पर सनातन धर्म का अपमान करने का आरोप लगाते हुए उन्हें “मौलाना दिग्विजय सिंह” कहा और माफी की मांग की है।

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भाजपा का पलटवार, सारंग ने की माफी की मांग
मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की कांवड़ यात्रा को लेकर की गई टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि "मौलाना दिग्विजय सिंह" केवल सनातन धर्म का विरोध करते हैं और अब कांवड़ यात्रा जैसे धार्मिक आयोजन को भी विवादास्पद बनाना चाहते हैं। सारंग ने आरोप लगाया कि दिग्विजय सिंह वही व्यक्ति हैं जिन्होंने जाकिर नायक का महिमामंडन किया, आतंकियों को संरक्षण देने की बात की, सेना के ऑपरेशनों पर सवाल उठाए। वे तुष्टिकरण की राजनीति को लगातार बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह लगातार हिंदू धर्म, संतों और त्योहारों का अपमान करते आए हैं, इसलिए उन्हें "मौलाना दिग्विजय सिंह" कहा जाता है। "भगवा आतंकवाद" जैसे शब्द गढ़कर उन्होंने सनातन धर्म को बदनाम करने का प्रयास किया। मंत्री सारंग ने स्पष्ट किया कि हिंदू और सनातन धर्म के त्योहारों पर इस तरह की टिप्पणियां अब सहन नहीं की जाएंगी। उन्होंने मांग की कि दिग्विजय सिंह को इस मामले में सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।
संस्कृति बचाओ मंच ने दिग्विजय सिंह की पोस्ट पर जताई आपत्ति
संस्कृति बचाओ मंच के अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की उस सोशल मीडिया पोस्ट का कड़ा विरोध किया है जिसमें उन्होंने श्रावण माह में कांवड़ यात्रा कर रहे श्रद्धालुओं की तुलना नमाज अदा कर रहे लोगों से की है। तिवारी ने कहा कि यह तुलना पूर्णतः अनुचित और सनातन संस्कृति का अपमान है। मंच ने सवाल उठाया कि क्या कभी मोहर्रम के जुलूस पर सनातन धर्म के अनुयायियों ने पथराव किया है? नहीं किया? उन्होंने कहा कि इसके विपरीत शिवरात्रि, हनुमान जयंती, रामनवमी और होली जैसे त्योहारों के जुलूसों पर मुस्लिम समुदाय द्वारा पथराव की घटनाएं कई बार सामने आई हैं। तब दिग्विजय सिंह जैसी आवाजें चुप रहती हैं। तिवारी ने कहा कि यदि आप स्वयं को कट्टर सनातनी कहते हैं, तो कम से कम श्रावण माह जैसे पवित्र समय में सनातन धर्म और श्रद्धालुओं का सम्मान करें- यदि सम्मान नहीं कर सकते, तो अपमान भी न करें।