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कार्यकर्ताओं का क्या: भाजपा में परिवारवाद पर दोहरा मापदंड? सांसद-विधायक के टिकट पर दी एंट्री, यहां बैन

Anand Pawar आनंद पवार
Updated Sun, 14 Sep 2025 11:01 AM IST
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सार

मध्यप्रदेश भाजपा संगठन ने जिला कार्यकारिणियों से नेताओं के परिजनों को हटा दिया है। लेकिन, विधानसभा और लोकसभा चुनाव में नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट दिए थे। प्रदेश में तो पति सरकार में मंत्री है तो पत्नी सांसद है।  

Madhya Pradesh BJP Faces Criticism Over Double Standards on Dynasty Politics Hindi News
'एक परिवार, एक पद' नीति पर भाजपा की फायदे वाली लाइन। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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मध्यप्रदेश भाजपा संगठन ने हाल ही में जिला कार्यकारिणियों से नेताओं के परिजनों को हटाया, लेकिन विधानसभा और लोकसभा चुनाव के टिकट दिए। इसी के साथ पार्टी पर दोहरे मापदंड अपनाने के आरोप लग रहे हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि जिला स्तर पर परिवारवाद खत्म करने की पहल की गई है, तो यही नियम विधानसभा और लोकसभा टिकटों पर भी लागू होना चाहिए।

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मध्य प्रदेश भाजपा संगठन जिला स्तर पर कार्यकारिणी घोषित कर रहा है। इसमें पार्टी नेताओं के परिजनों को पदाधिकारी बना कर बाद में उनसे इस्तीफे लेने की बात कही जा रही है। इसे भाजपा “एक परिवार, एक पद” की नीति का कड़ा संदेश बताया जा रहा है। इसके उलट विधानसभा और लोकसभा चुनाव में तस्वीर उलट दिख रही है। कई पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व सांसद, पूर्व विधायकों की विरासत को आगे बढ़ाते हुए उनके बच्चों और रिश्तेदारों को टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा गया। मध्य प्रदेश में वर्तमान में पति और पत्नी सांसद और विधायक हैं। एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही 270 जनप्रतिनिधियों में 57 नेता यानी 21 प्रतिशत को राजनीति विरासत में मिली है। इसको लेकर अब भाजपा कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। वह दबी जुबान में पार्टी के दोहरे मापदंड का विरोध कर रहे हैं? उनका सवाल यह है कि जब नेताओं के बेटे-बेटियां और रिश्तेदारों को ही टिकट देना है तो कार्यकर्ताओं को क्या मिलेगा?

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Madhya Pradesh BJP Faces Criticism Over Double Standards on Dynasty Politics Hindi News
नागर सिंह चौहान और अनीता नागर। - फोटो : अमर उजाला

पति प्रदेश सरकार में मंत्री और पत्नी सांसद
मध्य प्रदेश के अलीराजपुर विधानसभा सीट से अनुसूचित जनजाति वर्ग से आने वाले नागर सिंह चौहान विधायक हैं। चार बार के विधायक नागर जनजाति वर्ग के बड़े नेता हैं। वे मध्य प्रदेश सरकार में अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री हैं। भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव में सिटिंग सांसद गुमान सिंह डामोर का टिकट नागर सिंह चौहान की पत्नी अनीता नागर को दिया। अनीता नागर ने बड़े अंतर से चुनाव जाता और पहली बार सांसद बनीं। अब उनके परिवार में पति राज्य सरकार में मंत्री और पत्नी सांसद हैं।

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कैलाश विजयवर्गीय और आकाश विजयवर्गीय। - फोटो : अमर उजाला

बेटे की जगह पिता को दिया टिकट
2018 और 2023 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने दिग्गज नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट दिया। 2018 में कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय को इंदौर-3 से टिकट दिया गया। वह चुनाव जीत कर विधायक बने। हालांकि 2023 में उनका टिकट काटकर कैलाश विजयवर्गीय को चुनाव लड़ाया गया। वे वर्तमान मोहन सरकार में नगरीय प्रशासन विभाग के मंत्री हैं। 

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कृष्णा गौर। - फोटो : अमर उजाला

ससुर की जगह अब बहू विधायक
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री स्व बाबूलाल गौर की बहू कृष्णा गौर की भी राजनीतिक परिवार का फायदा मिला। कृष्णा गौर 2005 में मध्य प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया और भोपाल महापौर भी रहीं। 2018 में कृष्णा गौर को उनके ससुर बाबूलाल गौर की जगह टिकट दिया गया। इसके बाद से वे लगातार विधायक बन रही हैं और वर्तमान सरकार में राज्यमंत्री हैं।

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विधायक सुरेंद्र पटवा - फोटो : अमर उजाला

दो पूर्व सीएम का बेटा और भतीजा विधायक
पूर्व मुख्यमंत्री स्व. सुंदरलाल पटवा के भतीजे और भोजपुर से विधायक सुरेंद्र पटवा भी लंबे समय से राजनीति में हैं। वे शिवराज सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। वे 2008 में पहली बार विधायक बने थे। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरेंद्र सखलेचा के बेटे ओमप्रकाश सखलेचा जावद से पांचवीं बार विधायक बने। वे शिवराज सरकार में मंत्री भी रहे। वहीं, पूर्व सांसद स्व. कैलाश सारंग के बेटे विश्वास सारंग को पार्टी ने 2008 में पहली बार भोपाल की गोविंदपुरा सीट से चुनाव लड़ाया और उन्होंने जीत हासिल की। सारंग वर्तमान सरकार में खेल एवं युवा कल्याण और सहकारिता मंत्री हैं।

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पीएम मोदी के साथ भाजपा सांसद हिमाद्री सिंह। - फोटो : अमर उजाला

इनको भी मिली विरासत में राजनीति
शहडोल से भाजपा सांसद हिमाद्री सिंह दूसरी बार लोकसभा पहुंची हैं। हिमाद्री सिंह के माता-पिता दलवीर सिंह और राजेशनंदिनी दोनों कट्टर कांग्रेसी हैं और सांसद रह चुके हैं। 2017 में हिमाद्री सिंह ने भाजपा नेता नरेंद्र मरावी से शादी की। इसके बाद भाजपा की सदस्यता ली और 2019 में उनको भाजपा ने लोकसभा का टिकट दे दिया। पहली बार चुनाव जीत कर हिमाद्री सिंह संसद पहुंच गई। वहीं, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस से भाजपा में आए। उनके पिता माधवराव सिंधिया और दादी विजयराजे सिंधिया बड़े पॉलिटिशियन रहे हैं।

दोहरे पैमाने से पार्टी में असंतोष
पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिला स्तर पर परिजनों को हटाकर परिवारवाद खत्म करने का संदेश दिया जा रहा है, लेकिन जब बात सांसद और विधायक टिकट की आती है तो परिवारवाद को नजरअंदाज कर दिया जाता है। इससे कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष बढ़ रहा है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि यदि पार्टी वास्तव में परिवारवाद खत्म करने के लिए गंभीर है, तो यह नीति सभी स्तरों पर लागू होनी चाहिए।

पार्टी को एक स्पष्ट नीति बनानी होगी
मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार प्रभु पटैरिया का कहना है कि यह पहल अच्छी है। भाजपा को अब स्पष्ट नीति बनानी होगी। यदि “एक परिवार, एक पद” का फॉर्मूला केवल जिला कार्यकारिणी तक सीमित रहा तो कार्यकर्ताओं के बीच असंतोष बढ़ सकता है।

यह भी बढ़ा रहे राजनीतिक विरासत को आगे

  • जबलपुर कैंट से विधायक अशोक ईश्वरदास रोहाणी के पिता ईश्वरदास रोहाणी मध्य प्रदेश विधानसभा के 2003 से 2013 तक स्पीकर रह चुके हैं।
  • कटनी जिले के विजयराघवगढ़ से विधायक संजय पाठक कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए। संजय के पाठक सत्येंद्र पाठक कांग्रेस सरकार में वर्ष 2000 में मंत्री रह चुके हैं।
  • रीवा के सिरमौर से विधायक दिव्यराज सिंह के पिता पुष्पराज सिंह भी प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
  • रीवा के त्यौंथर विधानसभा सीट से विधायक सिद्धार्थ तिवारी के पिता सुंदर लाल तिवारी 1999 में लोकसभा के सांसद थे और उनके दादा श्रीनिवास तिवारी 1993 से 2003 तक मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर रहे।
  • सतना के रामपुर बघेलान से विधायक विक्रम सिंह (विक्की) के पिता हर्ष सिंह 1985 से 2013 तक विधायक रहे।
  • भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और बैतूल विधायक हेमंत खंडेलवाल के पिता विजय खंडेलवाल भाजपा से चार बार सांसद रहे।
  • इंदौर के देपालपुर से विधायक मनोज पटेल के पिता निर्भय सिंह पटेल तीन बार विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं।
  • इंदौर-3 से विधायक गोलू शुक्ला उर्फ राकेश शुक्ला के अंकल विष्णु प्रसाद शुक्ला भी बड़े पॉलिटिशियन रहे। उन्होंने दो बार चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए।
  • शिवपुरी की कोलारस से विधायक महेंद्र रमेशसिंह यादव के पिता राम सिंह यादव कांग्रेस से विधायक और जिला अध्यक्ष रह चुके हैं।
  • उज्जैन के बड़नगर से विधायक जितेंद्र उदय सिंह पांडे के पिता उदय सिंह पांडेय तीन बार के विधायक रहे।
  • उमरिया के बांधवगढ़ से विधायक शिवनारायण सिंह के पिता ज्ञान सिंह चार बार के विधायक और तीन बार लोकसभा के सदस्य रहे।
  • विदिशा के सिरोंज से विधायक उमाकांत शर्मा के भाई लक्ष्मीकांत शर्मा भाजपा सरकार से मंत्री रहे।
  • देवास के खातेगांव से विधायक आशीष शर्मा के पिता पंडित गोविंद शर्मा भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे और खातेगांव से 1990 में विधायक रहे।
  • कटनी के बहोरीबंद से विधायक प्रणय प्रताप पांडे के पिता प्रभात पांडे भाजपा के वरिष्ठ नेता और बहोरीबंद से विधायक रहे।
  • बैतूल के घोड़ाडोंगरी से विधायक गंगा सज्जन उइके के पति सज्जन सिंह उइके भाजपा से दो बार विधायक रहे।
  • मुरैना की संबलगढ़ से विधायक सरला विजेंद्र रावत के ससुर मेहरबान सिंह रावत भाजपा से विधायक रहे।
  • सतना की रैंगाव से विधायक प्रतीमा बागरी के पिता जयप्रताप बागरी और मां कमलेश बागरी दोनों सतना जिला पंचायत के सदस्य रहे।
  • सिंगरौली की चितरंगी विधायक सीट से विधायक राधा सिंह के ससुर जगन्नाथ सिंह देवस से तीन बार विधायक और सीधी से लोकसभा सदस्य चुने गए। मध्य प्रदेश सरकार में श्रम मंत्री भी रह चुके हैं।
  • बुरहानपुर से विधायक अर्चना चिटनीस के पिता ब्रजमोहन मिश्रा 1977 में विधायक रह चुके हैं। वह 1990 से 1993 तक मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर भी रहे।
  • बुरहानुपर के नेपानगर से विधायक से मंजू राजेंद्र दादू के पिता राजेंद्र श्यामलाल दादू दो बार नेपानगर से दो बार 2008 और 2013 में विधायक रहे।
  • देवास से विधायक गायत्री राजे के पति तुकोजीराव पवार देवास से छह बार विधायक रहे। वह प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे।
  • धार जिले से विधायक नीना वर्मा के पति विक्रम वर्मा केंद्रीय मंत्री रहे, राज्यसभा सदस्य भी चुने गए। साथ ही मध्य प्रदेश विधानसभा में धार से कई बार विधायक चुने गए। वह मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे।
  • इंदौर के इंदौर-4 विधानसभा सीट से विधायक मालिनी सिंह गौड़ के पति लक्ष्मण सिंह गौड़ तीन बार विधायक रहें। मध्य प्रदेश सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री के पद पर भी रहे।
  • झाबुआ के पेटलावद से विधायक निर्मला दिलीप सिंह भूरिया के पिता दिलीप सिंह भूरिया रतलाम सीट से कई बार सांसद चुने गए। वह राष्ट्रीय एससी/एसटी आयोग के चेयरमैन भी रहे।
     
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