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Cough Syrup: क्या है FDC? डॉ. सोनी को थी जानकारी, फिर भी बच्चों को लिख दी 'कोल्ड्रिफ' कफ सिरप, जमानत नामंजूर
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल\छिंदवाड़ा
Published by: अर्पित याज्ञनिक
Updated Wed, 15 Oct 2025 10:43 AM IST
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सार
Coldrif cough syrup: न्यायालय ने कहा कि अपराध गंभीर प्रकृति का है, जांच अभी अधूरी है और अभियुक्त साक्ष्य प्रभावित कर सकता है, इसलिए डॉ. सोनी की जमानत याचिका खारिज कर दी गई।

डॉक्टर प्रवीण सोनी।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
मध्य प्रदेश में 25 मासूमों की जान लेने वाले कोल्ड्रिफ कफ सिरप कांड में अब एक हैरान करने वाला खुलासा हुआ है। परासिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर प्रवीण सोनी ने कोर्ट में दिए अपने मेमोरेंडम बयान में स्वीकार किया है कि श्रीसन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड से उन्हें कोल्ड्रिफ कफ सिरप प्रिस्क्राइब करने के एवज में 10 प्रतिशत कमीशन मिलता था। इस सिरप की एमआरपी ₹89 दर्ज है।
इतना ही नहीं, जांच में सामने आया है कि डॉक्टर की पत्नी और भतीजे की मेडिकल दुकान पर भी इसी कंपनी की दवाइयां बेची जाती थीं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कमीशन और लाभ के लिए बच्चों की सेहत से सौदा किया जा रहा था।
डॉक्टर ने कोर्ट में माना- कंपनी से मिलती थी कमीशन
डॉ. सोनी ने कोर्ट में अपने बयान में कहा कि उन्हें हर बिक्री पर कमीशन मिलता था। हालांकि, बचाव पक्ष ने यह दलील दी कि मिलावट की जिम्मेदारी डॉक्टर की नहीं, बल्कि निर्माता कंपनी की है, जबकि जांच की जिम्मेदारी ड्रग कंट्रोलर विभाग की होती है। वकील ने कहा कि डॉ. सोनी 35-40 वर्षों से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहे हैं और उन्होंने कभी जानबूझकर गलत दवा नहीं दी। उन्हें तकनीकी आधार पर फंसाया गया है और एफआईआर के प्रावधान लागू नहीं होते हैं।
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सरकारी वकील का तर्क- डॉक्टर को थी पूरी जानकारी
सरकारी वकील ने जमानत आवेदन का विरोध करते हुए कोर्ट में कहा कि “डॉ. सोनी को यह जानकारी थी कि FDC (Fixed Dose Combination) वाली दवाएं 4 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नहीं दी जानी चाहिए। इसके बावजूद उन्होंने बच्चों को यही सिरप दिया।” उन्होंने यह भी बताया कि डॉक्टर ने खुद माना है कि कंपनी से कमीशन लेते थे और सिरप के स्टॉकिस्ट उनके परिजन ही हैं।
कोर्ट ने कहा- गंभीर लापरवाही, जमानत नामंजूर
सरकारी वकील के तर्कों को सुनने के बाद कोर्ट ने डॉक्टर प्रवीण सोनी की जमानत अर्जी खारिज कर दी। कोर्ट ने आदेश में कहा, “घटना की जानकारी होने के बावजूद डॉक्टर ने संबंधित सिरप का उपयोग जारी रखा। 18 दिसंबर 2023 की स्वास्थ्य महानिदेशालय की गाइडलाइन के बाद भी 4 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यह दवा देना गंभीर लापरवाही है। अपराध गंभीर प्रकृति का है, जांच अधूरी है और अभियुक्त साक्ष्य प्रभावित कर सकता है।”

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इतना ही नहीं, जांच में सामने आया है कि डॉक्टर की पत्नी और भतीजे की मेडिकल दुकान पर भी इसी कंपनी की दवाइयां बेची जाती थीं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कमीशन और लाभ के लिए बच्चों की सेहत से सौदा किया जा रहा था।
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डॉक्टर ने कोर्ट में माना- कंपनी से मिलती थी कमीशन
डॉ. सोनी ने कोर्ट में अपने बयान में कहा कि उन्हें हर बिक्री पर कमीशन मिलता था। हालांकि, बचाव पक्ष ने यह दलील दी कि मिलावट की जिम्मेदारी डॉक्टर की नहीं, बल्कि निर्माता कंपनी की है, जबकि जांच की जिम्मेदारी ड्रग कंट्रोलर विभाग की होती है। वकील ने कहा कि डॉ. सोनी 35-40 वर्षों से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहे हैं और उन्होंने कभी जानबूझकर गलत दवा नहीं दी। उन्हें तकनीकी आधार पर फंसाया गया है और एफआईआर के प्रावधान लागू नहीं होते हैं।
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सरकारी वकील का तर्क- डॉक्टर को थी पूरी जानकारी
सरकारी वकील ने जमानत आवेदन का विरोध करते हुए कोर्ट में कहा कि “डॉ. सोनी को यह जानकारी थी कि FDC (Fixed Dose Combination) वाली दवाएं 4 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नहीं दी जानी चाहिए। इसके बावजूद उन्होंने बच्चों को यही सिरप दिया।” उन्होंने यह भी बताया कि डॉक्टर ने खुद माना है कि कंपनी से कमीशन लेते थे और सिरप के स्टॉकिस्ट उनके परिजन ही हैं।
कोर्ट ने कहा- गंभीर लापरवाही, जमानत नामंजूर
सरकारी वकील के तर्कों को सुनने के बाद कोर्ट ने डॉक्टर प्रवीण सोनी की जमानत अर्जी खारिज कर दी। कोर्ट ने आदेश में कहा, “घटना की जानकारी होने के बावजूद डॉक्टर ने संबंधित सिरप का उपयोग जारी रखा। 18 दिसंबर 2023 की स्वास्थ्य महानिदेशालय की गाइडलाइन के बाद भी 4 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यह दवा देना गंभीर लापरवाही है। अपराध गंभीर प्रकृति का है, जांच अधूरी है और अभियुक्त साक्ष्य प्रभावित कर सकता है।”
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