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UP: रुपये जमा न करने पर अस्पताल संचालक ने नहीं दिया बेटे का शव, पिता ने लोगों से मदद मांगकर चुकाया बिल

संवाद न्यूज एजेंसी, बदायूं Published by: मुकेश कुमार Updated Sun, 21 Dec 2025 11:23 AM IST
सार

बरेली के एक निजी अस्पताल में मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। बदायूं निवासी युवक की उपचार के दौरान मौत हो गई। उसके पिता का आरोप है कि वह इलाज का बिल नहीं चुका पाए तो अस्पताल संचालक ने बेटे का शव देने से इनकार कर दिया। उन्होंने लोगों से मदद मांगकर बिल चुकाया।  

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father paid the treatment bill by begging then hospital management release his son dead body in Bareilly
मृतक के पिता ने लोगों से मांगी मदद - फोटो : संवाद
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विस्तार
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बरेली के एक निजी अस्पताल में बदायूं जिले के युवक की उपचार के दौरान मौत हो गई। उसके गरीब पिता ने इलाज का पैसा जमा किया लेकिन 3.10 लाख रुपये कम पड़ गए, जिसपर अस्पताल संचालक ने शव देने से मना दिया। मिन्नतों को भी नहीं माना गया। इसके बाद पीड़ित पिता ने लोगों से मदद मांगकर बिल चुकता किया और बेटे का शव लेकर घर आए। यह कहानी सुनकर हर किसी का दिल द्रवित हो गया।  

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बदायूं के दातागंज कोतवाली क्षेत्र के गांव नगरिया निवासी सोमनाथ वाल्मीकि का 26 वर्षीय बेटा धर्मपाल एक दिसंबर को सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गया था। सरकारी अस्पताल में सही इलाज न मिल पाने के कारण परिजन उसको बरेली के निजी अस्पताल ले गए। सोमनाथ ने बताया कि वहां इलाज के नाम पर पहले ही तीन लाख रुपये ले लिए गए। 14 दिन तक इलाज चला और बिल बढ़कर छह लाख 10 हजार हो गया। इसके बाद 14 दिसंबर को डॉक्टर ने कह दिया कि धर्मपाल की मौत हो गई है। डॉक्टर ने 3.10 लाख रुपये जमा करने के लिए कहा। इस पर सोमनाथ ने कहा कि उनके पास जो रुपये थे वह जमा कर चुके हैं। 

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पुलिस की मदद से मिला बेटे का शव 
सोमनाथ का आरोप है कि रुपये न देने पर डॉक्टरों ने शव देने से ही मना कर दिया। मजबूर पिता डॉक्टरों के आगे गिड़गिड़ाया, मगर उनका दिल नहीं पसीजा। इसके बाद वह बेटे के शव लिए बिना गांव वापस आ गए। गांव में परिचितों से मदद ली। लोगों से मदद मांगकर रुपये इकठ्ठा किए और अस्पताल जाकर 2.80 लाख रुपये जमा कर दिए। 30 हजार कम रहने पर जब शव नहीं दिया तो वह पुलिस थाने पहुंचे। पुलिस की मदद से उनको शव मिला सका। जिसके बाद वह बेटे का शव लेकर घर आए। उनकी कहानी सुनकर हर आंख नम हो गई।

बेटे के इलाज को गिरवी रख दिया घर 
सोमनाथ बाल्मीकि ने बताया कि बेटे के इलाज के लिए पहले ही उन्होंने डेढ़ लाख रुपये में घर गिरवी रख दिया। रकम फिर भी कम थी तो लोगों से कुछ उधार लिया और बाकी रकम के लिए गांव और सड़कों पर लोगों से मदद मांगनी पड़ी। 

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