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UP News: बरेली में करंट से हुई थी मां-बेटे की मौत, विद्युत निगम देगा 14.70 लाख रुपये मुआवजा

संवाद न्यूज एजेंसी, बरेली Published by: मुकेश कुमार Updated Sun, 21 Dec 2025 02:21 PM IST
सार

बरेली में करंट से मां-बेटे की मौत के मामले में स्थायी लोक अदालत ने विद्युत निगम के तर्कों को खारिज कर दिया। कोर्ट ने निगम को पीड़ित पक्ष के लिए मुआवजा देने का आदेश दिया है। 

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mother and son died due to electrocution the Electricity Corporation will give compensation in Bareilly
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : Adobe Stock
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विस्तार
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बरेली में घर के पास से गुजर रही हाईटेंशन लाइन की चपेट आकर हाफिजगंज थाना क्षेत्र के गांव धमीपुर निवासी मां-बेटे की मौत के मामले में विद्युत निगम को एक माह के अंदर पीड़ित पक्ष को 14.70 लाख रुपये मुआवजे का भुगतान करना होगा। 10 माह पुराने मामले में स्थायी लोक अदालत के अध्यक्ष कालीचरन, सदस्य संजीव कुमार गौतम और अनीता यादव की बेंच ने यह आदेश दिया है।

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धमीपुर गांव निवासी शेर सिंह के घर के पास से 11 केवी की लाइन गुजर रही थी। जर्जर और काफी नीचे लटक रही इस लाइन को ठीक कराने के लिए उन्होंने और गांव के प्रधान ने कई बार शिकायत की, लेकिन अधिकारियों ने नहीं सुना। 13 फरवरी 2024 की शाम 5:30 बजे शेर सिंह लाइन की चपेट में आ गए। उनकी मां रामकुंवर ने बचाने की कोशिश की तो वह भी झुलस गईं। शेर सिंह की मौके पर ही और रामकुंवर की इलाज के दौरान 25 मार्च को मौत हो गई थी। 
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शेर सिंह की पत्नी रूपवती ने स्थायी लोक अदालत में मुआवजे के लिए याचिका दायर की थी। बाद में शेर सिंह के पिता राम भरोसे ने भी अपनी पत्नी रामकुंवर की मौत के बदले मुआवजे की अपील की। दोनों मामलों में कोर्ट ने एक साथ सुनवाई की। विद्युत निगम के अधिकारियों की ओर से पेश किए गए तर्क को खारिज करते हुए अदालत ने रूपवती और रामभरोसे के पक्ष में फैसला सुनाया है।

आदेश ने दिया ये आदेश 
अदालत ने आदेश दिया कि विद्युत निगम मृतक शेर सिंह की पत्नी रूपवती को मुआवजे के रूप में 12 लाख रुपये, मानसिक-आर्थिक क्षति के लिए 50 हजार रुपये अदा करे। इस धनराशि में से आधी धनराशि 6.25 लाख रुपये रूपवती के नाबालिग पुत्र आर्यन के बालिग होने तक किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में एफडीआर के रूप में जमा की जाए। शेष 6.25 लाख रुपये में से तीन लाख रुपये रूपवती को नकद दिए जाएं, ताकि वह अपने नाबालिग बेटे का पालन-पोषण कर सके। शेष 3.25 लाख रुपये तीन वर्ष की अवधि के लिए राष्ट्रीयकृत बैंक में एफडीआर के रूप में जमा किए जाएं। 

दूसरे मामले में मृतका रामकुंवर के पति राम भरोसे को दो लाख रुपये मुआवजा, मानसिक व आर्थिक क्षति के लिए 20 हजार रुपये नकद दिए जाएं। समस्त धनराशि विपक्षीगण एक माह के अंदर रूपवती और राम भरोसे को भुगतान करें। ऐसा न करने की दशा में याचिका दाखिल करने की तिथि से पूरी धनराशि पर सात फीसदी ब्याज भी देना होगा। 

ठंड में शाम को नहाकर गीले कपड़े डालने का दिया था तर्क
पीड़ित पक्ष ने अधीक्षण अभियंता ग्रामीण विद्युत वितरण मंडल, अधिशासी अभियंता ग्रामीण विद्युत मंडल प्रथम, उपखंड अधिकारी नवाबगंज, उप निदेशक विद्युत सुरक्षा को पार्टी बनाया था। विपक्षी की ओर से तर्क दिया गया कि नहाने के बाद गीले कपड़े डालने के दौरान हादसा हुआ। ऐसे में विद्युत निगम जिम्मेदार नहीं है। 

अदालत ने कहा कि शेर सिंह मजदूरी करता था। ठंड के सीजन में शाम पांच बजे के बाद नहाने की बात तर्कसंगत नहीं है। पीड़ित ने लाइन ठीक कराने के लिए कई बार शिकायत की। अगर उसका घर गलत स्थान पर था तो विद्युत निगम को इसकी शिकायत दर्ज कराकर काम रुकवाना चाहिए था। अदालत ने कहा कि पीड़ित पक्ष मुआवजे का हकदार है।

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