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दिल दहला देगी तस्वीर: दिव्यांग बालक के शव को पोटली में घर ले गया मजबूर पिता, घर की आग में जिंदा जल गया था बेटा
अमर उजाला, न्यूज डेस्क, डिंडौरी
Published by: दिनेश शर्मा
Updated Wed, 08 May 2024 07:34 PM IST
सार
डिंडौरी में आग में झुलसकर चार साल के बच्चे की मौत हो गई थी। पोस्टमार्टम के बाद शव ले जाने को कोई मदद नहीं मिल सकी तो मजबूर पिता अपने कलेजे के टुकड़े का शव पोटली में भरकर में ले गया।
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डिंडौरी में पिता अपने बेटे का शव पोटली में रखकर बाइक से ले गया।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
मध्य प्रदेश के डिंडौरी जिले से दिल दहला देने वाली करने वाली तस्वीर सामने आई है। आग में झुलसकर चार साल के बच्चे की मौत हो गई थी। पोस्टमार्टम के बाद शव ले जाने को कोई मदद नहीं मिल सकी तो मजबूर पिता अपने कलेजे के टुकड़े का शव पोटली में भरकर में ले गया। अब तहसीलदार मामले की जांच की बात कह रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक मामला डिंडोरी जिले के मेंहदवनी ब्लॉक के गांव का है। बताया गया कि डिंडोरी जिले के मेंहदवानी थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पंचायत भुरका के बेगनटोला निवासी टीकाराम पिता फुंडीलाल उइके (65) अपने तीन नातियों के साथ खेत में झोपड़ी बनाकर रह रहे थे। जिसमें से एक नाती का नाम चंदन (4) था वह दिव्यांग था। शाम के वक्त वहां जब पानी लेकर लौटे तब उन्होंने देखा की झोपड़ी में आग लगी थी। उसे आग से बचकर दो नाती तो बाहर आ गए पर चंदन चलने में असमर्थ होने के कारण बाहर नहीं आ सका। और दो बैलों सहित वह भी जिंदा जल गया। झोपड़ी तक फायर ब्रिगेड भी पहुंचने में असमर्थ थी जिस कारण उन सभी को नहीं बचाया जा सका।
बाद में बालक के शव को पोस्टमार्टम के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया। इस प्रक्रिया के बाद अस्पताल वालों ने पिता को शव सौंप दिया। पिता ने जब शव ले जाने के लिए वाहन उपलब्ध कराने की बात कही तो वाहन नहीं होने की बात कही गई। मजबूर पिता बाइक पर बेटे के शव को पोटली में लेकर घर पहुंचा। मामले में मेंहदवानी तहसीलदार सुखमन सिंह कुलेश का कहना है कि घटना दुखद है। मैं घटनास्थल पर गया था। उन्हें मुआवजा दिलवाएंगे। वहीं अस्पताल से वाहन क्यों नहीं मिल पाया, इसके बारे में जांच करवा रहे हैं।
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जानकारी के मुताबिक मामला डिंडोरी जिले के मेंहदवनी ब्लॉक के गांव का है। बताया गया कि डिंडोरी जिले के मेंहदवानी थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पंचायत भुरका के बेगनटोला निवासी टीकाराम पिता फुंडीलाल उइके (65) अपने तीन नातियों के साथ खेत में झोपड़ी बनाकर रह रहे थे। जिसमें से एक नाती का नाम चंदन (4) था वह दिव्यांग था। शाम के वक्त वहां जब पानी लेकर लौटे तब उन्होंने देखा की झोपड़ी में आग लगी थी। उसे आग से बचकर दो नाती तो बाहर आ गए पर चंदन चलने में असमर्थ होने के कारण बाहर नहीं आ सका। और दो बैलों सहित वह भी जिंदा जल गया। झोपड़ी तक फायर ब्रिगेड भी पहुंचने में असमर्थ थी जिस कारण उन सभी को नहीं बचाया जा सका।
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बाद में बालक के शव को पोस्टमार्टम के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया। इस प्रक्रिया के बाद अस्पताल वालों ने पिता को शव सौंप दिया। पिता ने जब शव ले जाने के लिए वाहन उपलब्ध कराने की बात कही तो वाहन नहीं होने की बात कही गई। मजबूर पिता बाइक पर बेटे के शव को पोटली में लेकर घर पहुंचा। मामले में मेंहदवानी तहसीलदार सुखमन सिंह कुलेश का कहना है कि घटना दुखद है। मैं घटनास्थल पर गया था। उन्हें मुआवजा दिलवाएंगे। वहीं अस्पताल से वाहन क्यों नहीं मिल पाया, इसके बारे में जांच करवा रहे हैं।

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