डिंडौरी जिला अस्पताल में एक मरीज की मौत के बाद परिजनों और चिकित्सा स्टाफ के बीच तीखा विवाद खड़ा हो गया। सांस की तकलीफ से भर्ती किए गए मरीज की मौत के बाद परिजनों ने आरोप लगाया कि समय पर उपचार नहीं मिलने से उनकी जान गई। दूसरी ओर ड्यूटी डॉक्टर का कहना है कि मामला अस्पताल की लापरवाही का नहीं, बल्कि परिजनों की गलतियों और देरी का है।
अस्पताल के आकस्मिक कक्ष में तैनात डॉक्टर के मुताबिक, मरीज की हालत गंभीर थी और जल्द से जल्द सिटी स्कैन करवाने की सलाह दी गई थी। डॉक्टर का आरोप है कि परिजन जांच करवाने के नाम पर मरीज को अस्पताल से बाहर ले गए और फाइल भी साथ ले गए। काफी देर बाद जब वे लौटे तो मरीज की हालत बिगड़ चुकी थी और उसकी मौत हो गई। डॉक्टर का कहना है कि पूछने पर परिजनों ने स्पष्ट जानकारी देने से बचते हुए हंगामा शुरू कर दिया।
डॉक्टरों का यह भी कहना है कि कई बार लोग बिना बताए मरीज को झाड़फूंक या अनधिकृत उपचार करवाने के लिए बाहर ले जाते हैं। जब हालत और बिगड़ जाती है तो दोबारा अस्पताल लेकर आते हैं और फिर आरोप लगाने लगते हैं। इस मामले में भी ऐसा ही होने की आशंका जताई जा रही है।
मिली जानकारी के अनुसार, परिजन मरीज को अस्पताल से ले जाकर पुरानी डिंडौरी में स्थित एक निजी क्लिनिक में दिखाने पहुंचे थे। क्लिनिक संचालक ने मरीज को देखने से मना किया और उन्हें वापस जिला अस्पताल आने को कहा। इसके बाद परिजन फिर अस्पताल लौटे, जहां मरीज की मृत्यु हो चुकी थी। मीडिया के सवालों पर भी परिजन साफ जवाब देने से बचते दिखे।
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स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर में कई अनाधिकृत क्लिनिक चल रहे हैं, जहां बिना योग्यता वाले लोग इलाज करते हैं। ऐसे झोलाछाप डॉक्टर रिश्तों और भरोसे का फायदा उठाकर लोगों को असली स्थिति समझने नहीं देते। कई बार मरीज की जान पर बन आती है लेकिन लोग बोलने से डरते हैं। स्वास्थ्य विभाग पर लंबे समय से ऐसे क्लिनिकों पर कार्रवाई की मांग की जा रही है। प्रशासन से उम्मीद है कि इस घटना के बाद स्थिति सुधारने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।