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MP Election Results: ग्वालियर-चंबल अंचल में बसपा ने चकनाचूर किया कांग्रेस का सपना, न खुद जीत सकी न जीतने दी
न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, ग्वालियर
Published by: अरविंद कुमार
Updated Sat, 08 Jun 2024 08:17 PM IST
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सार
बहुजन समाज पार्टी जितनी कभी मजबूत होती थी, उतनी मजबूत आज दिखाई नहीं देती है। यही कारण है कि जनता पार्टी को नकार कर मुख्य धारा वाली पार्टी में शामिल हो रही है।
यूपी की पूर्व सीएम मायावती
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
मध्यप्रदेश में ग्वालियर-चंबल अंचल की चार लोकसभा सीटों पर कांग्रेस को सबसे ज्यादा उम्मीद थी कि वह कम से कम तीन सीटें जीत रही है। लेकिन बहुजन समाज पार्टी ने कांग्रेस का गणित बिगाड़ दिया और उन्होंने कांग्रेस का सपना तोड़ दिया। भले ही बीएसपी ज्यादा वोट हासिल न कर पाई हो, लेकिन कांग्रेस को इसका नुकसान जरूर उठाना पड़ा है। यहां से बसपा भले ही खुद नहीं जीत पाई, लेकिन कांग्रेस का खेल बिगाड़ने में कामयाब रही।
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ग्वालियर-चंबल अंचल की सियासत हमेशा से ही कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच घूमती रही है। लेकिन कुछ साल ऐसे भी आए, जब बहुजन समाज पार्टी का इस अंचल में खासा प्रभाव देखने को मिला। अंचल में बीएसपी का प्रभाव कम ज्यादा होता रहा है। कई बार तो ऐसे मौके भी आए हैं, जब बीजेपी और कांग्रेस के रूठे हुए नेता बीएसपी के टिकट पर विधायक तक बन गए हैं। इसी उम्मीद के साथ मुरैना, भिंड और ग्वालियर लोकसभा सीटों पर कांग्रेस से नाराज नेता बीएसपी के टिकट पर लड़े। उन्होंने चुनाव तो इस उम्मीद से लड़ा था कि वह जीत जाएं, लेकिन कांग्रेस को हराने में जरूर कामयाब रहे।
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मुरैना लोकसभा सीट...
मुरैना लोकसभा सीट की बात करें तो यहां से रमेश गर्ग पहले कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे। लेकिन जब उनकी बात नहीं बनी तो वह बहुजन समाज पार्टी से टिकट ले आए। बीएसपी के रमेश गर्ग को मुरैना लोकसभा में 1,79,669 वोट मिले, जबकि इस सीट पर कांग्रेस के सत्यपाल सिंह सिकरवार 52,530 वोटों से चुनाव हार गए। यानी बहुजन समाज पार्टी कांग्रेस की हार के अंतर से लगभग तीन गुना ज्यादा वोट ले गई। हालांकि, मुरैना लोकसभा में बीएसपी ने बीजेपी का भी नुकसान किया है। लेकिन चर्चा यह हो रही है कि अगर बीएसपी नहीं होती तो कांग्रेस मुरैना जीतती।
भिंड लोकसभा सीट...
भिंड लोकसभा सीट से देवाशीष जरारिया 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन जीत नहीं पाए। इस बार उन्होंने फिर कांग्रेस का टिकट मांगा, नहीं मिला तो बीएसपी से चुनाव मैदान में कूद गए। भिंड लोकसभा सीट पर कांग्रेस के फूल सिंह बरैया को चार लाख 72 हजार 225 वोट मिले। जबकि बहुजन समाज पार्टी के देवाशीष जरारिया को 20,465 वोट मिले। फूल सिंह बरैया 64,840 वोटों से चुनाव हार गए। यानी बीएसपी के वोटों ने एक तो कांग्रेस की हवा खराब की और दूसरा नुकसान भी।
ग्वालियर लोकसभा सीट...
वहीं, अब बात प्रदेश की सबसे हाई प्रोफाइल सीट ग्वालियर लोकसभा की करें तो इस सीट पर भी कल्याण सिंह कंसाना कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे। क्योंकि वह लंबे समय से कांग्रेस से जुड़े रहे। जब कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो वह बहुजन समाज पार्टी से चुनाव मैदान में उतर गए। ग्वालियर लोकसभा सीट कांग्रेस 70,210 वोटों से हार गई। जबकि बीएसपी के उम्मीदवार को यहां 33,465 वोट मिले। यानी कांग्रेस अगर बहुजन समाज पार्टी को साधने में सफल हो जाती तो ग्वालियर चंबल अंचल के परिणाम कुछ और ही देखने को मिलते।
क्या कहना है राजनीतिक दलों का
वहीं, ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस बीएसपी से नुकसान की बात कर रही है। कांग्रेस का कहना है कि निश्चित रूप से ग्वालियर-चंबल अंचल में मुरैना और भिंड लोकसभा सीट पर बसपा ने कांग्रेस को नुकसान किया है। लेकिन देखने में आ रहा है कि हर बार के चुनाव में बसपा का जनाधार लगातार घटता जा रहा है। क्योंकि वह सिर्फ अब वोट कटाऊ पार्टी रह गई है।
वहीं, बीजेपी का कहना है कि बसपा का कोई जनाधार नहीं है। जाति और समाज की राजनीति जो पार्टियां करती हैं। ऐसी पार्टियों को लोकतांत्रिक व्यवस्था में शुभ नहीं मानना चाहिए। बसपा जितनी कभी मजबूत होती थी, उतनी मजबूत आज दिखाई नहीं देती है। यही कारण है कि जनता पार्टी को नकार मुख्य धारा में शामिल हो रहे हैं।

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