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Indore News: इंदौर के ऑक्सीजन और वाटर जोन को खत्म करने पर सरकार की मुहर, अब जनता लड़ेगी लड़ाई

अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Wed, 05 Feb 2025 08:36 PM IST
सार

Indore News: हुकमचंद मिल की जमीन पर तैयार जंगल को उजाड़कर कमर्शियल और रेसिडेंशियल कॉम्लेक्स बनाने के लिए सरकार ने हाउसिंग बोर्ड को हरी झंडी दे दी है। 
 

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हुकुमचंद मिल के जंगल को काटा जाएगा। - फोटो : अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर
मप्र सरकार ने इंदौर के ऑक्सीजन और वाटर रिचार्ज जोन को खत्म करने के लिए सहमति दे दी है। यहां पर बने हुए सैकड़ों साल पुराने जंगल को खत्म कर कमर्शियल और रेसिडेंशियल कॉम्लेक्स बनाने के लिए हाउसिंग बोर्ड को हरी झंडी दे गई दी है। यह फैसला आते ही शहर की संस्थाओं और समाजसेवियों ने शहर को बचाने के लिए एक बार फिर से कमर कस ली है। सभी ने एक सुर में कहा कि वायु प्रदूषण, सूखे और भीषण गर्मी से जूझते इस इंदौर को अब और बर्बाद नहीं करने दिया जाएगा। यहां पर पांच हजार से अधिक पेड़ों को काटने, तालाब को सुखाने और कुओं को बंद करने की योजना पर काम शुरू हो गया है। 
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यहां पर स्थित कुएं। - फोटो : अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर
क्या है मामला
इंदौर के मध्य में स्थित हुकुमचंद मिल की जमीन सरकार ने हाउसिंग बोर्ड को दे दी है। हाउसिंग बोर्ड यहां पर कमर्शियल और रेसिडेंशियल कॉम्लेक्स बनाएगा और फ्लैट, दुकानें आदि बनाकर बेचेगा। यहां पर पांच हजार से अधिक प्राचीन पेड़ हैं और सैकड़ों साल से बना प्राकृतिक जंगल है जिसमें लाखों जीव जंतु निवास करते हैं। जनता की नजर से दूर यह जंगल इंदौर के सबसे खूबसूरत प्राकृतिक स्थलों में से एक है। 
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यहां पर स्थित तालाब - फोटो : अमर उजाला, डिजिटल डेस्क, इंदौर
प्राचीन जंगल को काटकर जमीन बेचेंगे, नया जंगल बनाने के लिए फिर करोड़ों रुपए लेंगे
शहर के समाजसेवियों और संस्थाओं का कहना है कि इसे सिटी फारेस्ट घोषित कर दिया जाए। एक तरफ तो हम प्राचीन जंगल को काट रहे हैं और दूसरी तरफ स्कीम-97 में खाली पड़ी 42 एकड़ जमीन पर सिटी फारेस्ट बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि बने बनाए जंगल को काटकर जमीन बेची जा रही है और नया जंगल बनाने के नाम पर फिर से करोड़ों रुपए निकाल लिए जाएंगे। यह कैसा इंसाफ है। 

जनता को करेंगे एकजुट
सामाजिक कार्यकर्ता अजय लागू, अरविंद पोरवाल ने बताया कि हम किसी भी कीमत पर पेड़ों की कटाई नहीं होने देंगे, हुकुमचंद मिल के जंगल को नहीं उजड़ने देंगे। हम शहर की सभी प्रमुख संस्थाओं और लोगों से बात करेंगे और सभी को एक मंच पर जुटाएंगे। शहरवासी यदि एक आवाज में अपनी बात रखेंगे तो सरकार भी जनता का साथ देगी।

पेड़ बचाने की कोशिश हो 
पर्यावरणविद् ओपी जोशी का कहना है कि आज दो खबरें सुर्खियों में हैं। एक खबर है कि 42 एकड़ में आईडीए सिटी फारेस्ट बनाएगा, दूसरी तरफ 42 एकड़ में ही जो हुकमचंद मिल की हरियाली है, उसे उजाड़ा जाएगा। सरकार कुछ तो सोचे कि इस शहर के साथ कैसा सलूक करना चाह रही है। जहां पहले से पेड़ हैं, उन्हें बचाने की कोशिश होना चाहिए, बजाय इसके कि नया जंगल तैयार किया जाए। यह शहर का प्रमुख ऑक्सीजन और वाटर जोन है, यदि इसे खत्म कर दिया तो फिर कभी इसकी भरपाई नहीं हो पाएगी। 

हम हरियाली बचाने पर बात कर रहे हैं
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि हमने कहा है कि इस प्रोजेक्ट में कम से कम डेढ़ हेक्टेयर में हरियाली बरकरार रहे। तालाब और कुओं को भी कायम रखा जाए। आगे भी इस पर बात करेंगे। 
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