इंदौर लिट चौक में मंथन: पूर्व रॉ प्रमुख धस्माना बोले-अब लड़ाई सीमाओं तक सीमित नहीं,कई मोर्चे पर हो रहा संघर्ष
इंदौर के लिट चौक में आयोजित कार्यक्रम के दूसरे दिन देश की आंतरिक सुरक्षा, फिल्मों में खुफिया एजेंसियों की छवि, युवाओं की भूमिका और शहर के विकास जैसे मुद्दों पर मंथन हुआ।
विस्तार
लिट चौक के दूसरे दिन फिल्म, देश की आंतरिक सुरक्षा और शहर के विकास सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। कार्यक्रम में देश के पूर्व रॉ प्रमुख और इंदौर के पूर्व एसपी अनिल धस्माना ने कहा कि अब युद्ध पारंपरिक तरीके से नहीं लड़े जाते। आज लड़ाई केवल सीमाओं तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि कई मोर्चों पर एक साथ संघर्ष होता है।
वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी धस्माना ने कहा कि इंटेलिजेंस सर्विस एक गुमनाम सेवा होती है। न कोई सरकारी आवास मिलता है, न गाड़ी। इस सेवा में परिवार का सहयोग बेहद जरूरी होता है। उन्होंने बताया कि उनके कई रिश्तेदार यह तक समझते थे कि उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है।
फिल्मों में बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है रॉ
धस्माना ने कहा कि रॉ को लेकर फिल्मों में कई बार चीजें बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई जाती हैं। नौकरी के दौरान बार-बार मोबाइल की सिम बदलनी पड़ती है, यह सही नहीं है, लेकिन यह भी सच है कि कई बार फिल्मों से भी तरीके सीखे जाते हैं। उन्होंने कहा कि देश के युवा बेहद मेहनती हैं। दुनिया की कई बड़ी कंपनियां भारतीय प्रतिभा का लोहा मानती हैं। विश्व की शीर्ष कंपनियों में लगभग 30 प्रतिशत भारतीय सीईओ हैं।
अहम और वहम न रखें युवा
धस्माना ने युवाओं को सलाह दी कि वे अपने भीतर अहम और वहम न रखें। समय की कद्र करें। असफलता भी काम करने से मिलती है, जबकि जो काम नहीं करता, वह न सफल होता है और न ही असफल।
ऑपरेशन बंबई बाजार का जिक्र
धस्माना ने इंदौर में पुलिस अधीक्षक रहते किए गए बहुचर्चित ऑपरेशन बंबई बाजार का जिक्र करते हुए कहा कि एक विवाद की सूचना मिलने पर वे बंबई बाजार पहुंचे थे। वहां बाला बेग के घर से फेंका गया एक सिलबट्टा उनके अंगरक्षक छेदीलाल दुबे को लगा था, जिससे दुबे की मौत हो गई। इसके बाद ऑपरेशन बंबई बाजार को अंजाम दिया गया था। इसे पूरे शहर ने सराहा था। उन्होंने कहा कि उनकी सफलता में इंदौर की नौकरी हमेशा सहायक रही।
धस्माना ने युवाओं को सलाह दी कि वे अपने भीतर अहम और वहम न रखें। समय की कद्र करें। असफलता भी काम करने से मिलती है, जबकि जो काम नहीं करता, वह न सफल होता है और न ही असफल।
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पीओके भारत का हिस्सा : पूर्व सेना प्रमुख नरवणे
लिट चौक में पूर्व सेना प्रमुख जनरल एम. एम. नरवणे ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी भी देशभक्त है और देश के बारे में सोचती है। उन्होंने कहा कि देश सेवा केवल सेना में जाकर ही नहीं, बल्कि किसी भी पेशे में रहकर की जा सकती है। हर व्यक्ति को यह सोचना चाहिए कि वह अपने काम से देश के हित में क्या कर सकता है। छोटे-छोटे कार्य भी देश सेवा का माध्यम बन सकते हैं। पूर्व जनरल नरवणे ने कहा कि पीओके भारत का हिस्सा है और इस संबंध में संसद में प्रस्ताव पारित हो चुका है। अक्तूबर 2022 में रक्षा मंत्री ने भी कहा था कि इसे मूर्त रूप दिया जाएगा। उन्होंने विश्वास जताया कि एक दिन पीओके भारत का हिस्सा जरूर बनेगा।
मेरे कार्यकाल में पूरी नदी साफ नहीं हो सकती : मेयर
इंदौर के मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि इंदौर की नदियों को साफ करने के लिए पहले भी प्रयास किए गए, लेकिन उनका दायरा सीमित था। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि उनके कार्यकाल में कान्हा-सरस्वती नदी पूरी तरह साफ हो जाएगी। यह काम चरणबद्ध तरीके से हो रहा है। पूरी नदी को एक साथ साफ करने के लिए करीब पांच हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता है। मेयर ने कहा कि इंदौर ने हमेशा भविष्य को ध्यान में रखकर काम किया है। उन्होंने पांच साल नहीं, बल्कि अगले 30-40 वर्षों को ध्यान में रखकर योजनाएं बनाई हैं। शहर में सीवरेज, पानी और सड़कों पर बड़े स्तर पर काम चल रहा है। वर्तमान में 23 सड़कें और 15 पुल एक साथ निर्माणाधीन हैं। इंदौर देश का पहला शहर है, जहां डिजिटल पते दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बढ़ते शहर की अपनी चुनौतियां और संघर्ष होते हैं। उनका एडवोकेट होना शहर के लिए लाभकारी है, क्योंकि वे शहर की मजबूती से पैरवी करते हैं।
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