MP News: हाईकोर्ट ने नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को बच्चे को जन्म देने की अनुमति दी, डिलीवरी का खर्च सरकार उठाएगी
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की इच्छा के अनुरूप बच्चे को जन्म देने की अनुमति देते हुए कहा है कि उसकी सहमति के बिना गर्भपात नहीं कराया जा सकता। कोर्ट ने डिलीवरी का पूरा खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन करने और हमीदिया अस्पताल भोपाल में प्रसव कराने के निर्देश दिए हैं।
विस्तार
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर ने नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की इच्छा के अनुरूप बच्चे को जन्म देने की अनुमति प्रदान की है। जस्टिस विशाल मिश्रा की एकलपीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि पीड़िता की सहमति के बिना गर्भपात की अनुमति नहीं दी जा सकती। साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिए कि पीड़िता की डिलीवरी से जुड़ा समस्त खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
हाईकोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि पीड़िता की डिलीवरी प्रक्रिया भोपाल स्थित हमीदिया अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम की निगरानी में कराई जाए।
जिला न्यायालय के पत्र पर हुई सुनवाई
नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता के गर्भपात के संबंध में संबंधित जिला न्यायालय ने हाईकोर्ट को पत्र भेजा था। इस पर संज्ञान याचिका के रूप में सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे।
मेडिकल बोर्ड द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में बताया गया कि पीड़िता की उम्र 16 वर्ष 7 माह है तथा गर्भावधि 29 सप्ताह 1 दिन की है, जो प्रसव की वैधानिक सीमा के अंतर्गत आती है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि पीड़िता को गर्भपात कराने अथवा न कराने के संबंध में समुचित जानकारी दी गई थी, लेकिन उसने गर्भपात से इनकार करते हुए बच्चे को जन्म देने की इच्छा जताई।
चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की रिपोर्ट
चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया कि पीड़िता का कथन है कि उसने अपनी मर्जी से विवाह किया है और वह बच्चे को जन्म देना चाहती है। रिपोर्ट के अनुसार पीड़िता के माता-पिता उसे अपने साथ रखने को तैयार नहीं हैं और उन्होंने उससे संबंध समाप्त करने की बात कही है।
ये भी पढ़ें- पन्ना से खुशखबरी: दुनिया में घटे गिद्ध, वहीं यहां के जंगलों में बढ़ी उनकी उड़ान; जैव विविधता के लिए शुभ संकेत
पीड़िता की सुरक्षा के निर्देश
एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि पीड़िता की इच्छा के विरुद्ध गर्भपात की अनुमति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को निर्देश दिए कि पीड़िता को बालिग होने तक अपनी निगरानी में रखा जाए और उसकी व होने वाले बच्चे की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाए जाएं। इन निर्देशों के साथ हाईकोर्ट ने याचिका का निराकरण कर दिया।

कमेंट
कमेंट X