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Jabalpur News: घर छोड़कर गई युवती हाईकोर्ट की पहल पर पिता के साथ रहने को तैयार, शादी के दबाव में छोड़ा था घर
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर
Published by: जबलपुर ब्यूरो
Updated Wed, 12 Nov 2025 08:48 PM IST
सार
शादी के दबाव में घर से गई युवती ने हाईकोर्ट की पहल पर पिता के साथ रहने पर सहमति दे दी। युवती घर से दूर सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी कर रही थी।
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हाईकोर्ट की पहल पर पिता के साथ रहने तैयार हुई युवती
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विस्तार
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की पहल पर सिविल सर्विस की तैयारी कर रही एक युवती आखिरकार अपने पिता के साथ रहने के लिए राजी हो गई। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ ने युवती के पिता द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निपटारा करते हुए उसके संरक्षण को लेकर आदेश जारी किए हैं। विस्तृत आदेश फिलहाल प्रतीक्षित है।
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मामला भोपाल के बजरिया थाना क्षेत्र का है, जहां एक पिता ने अपनी बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। महीनों बीत जाने के बाद भी पुलिस युवती को खोज नहीं पाई, जिसके चलते पिता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। युगल पीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए पुलिस को युवती को ढूंढकर अदालत के समक्ष पेश करने के निर्देश दिए थे।
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करीब 10 महीने बाद पुलिस ने युवती को इंदौर से बरामद किया। जांच में पता चला कि वह वहां किराए के कमरे में रह रही थी, एक निजी कंपनी में नौकरी कर रही थी और सिविल सर्विस की तैयारी भी कर रही थी।
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पिछली सुनवाई में जब युवती को कोर्ट में पेश किया गया तो उसने बताया कि उसके पिता उसे पढ़ाई करने से रोक रहे थे और शादी का दबाव बना रहे थे। लगातार तनाव और प्रताड़ना के चलते वह घर छोड़कर इंदौर चली गई और आत्मनिर्भर होकर नौकरी करते हुए सिविल सर्विस की तैयारी शुरू की। उसने न्यायालय से आग्रह किया कि उसे पिता के पास वापस न भेजा जाए।
इस पर पिता की ओर से कहा गया कि वे अब बेटी को किसी भी तरह से प्रताड़ित नहीं करेंगे और उसकी पढ़ाई में सहयोग देंगे। उन्होंने बेटी को घर भेजने का अनुरोध किया। इसके बाद न्यायालय ने युवती से कहा कि वह चार-पांच दिन पिता के साथ रहकर देखे, यदि माहौल उचित न लगे तो जिला कलेक्टर को निर्देश दिए जाएंगे कि वह उसकी स्वतंत्र रूप से पढ़ाई और रहने की व्यवस्था करें।
अगली सुनवाई के दौरान युवती ने अदालत को बताया कि वह अब पिता के साथ रहने के लिए तैयार है। अदालत ने उसके भविष्य और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उसके संरक्षण को लेकर आदेश पारित करते हुए याचिका का निपटारा कर दिया। प्रकरण में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दीपक कुमार रघुवंशी ने पैरवी की।