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मध्यप्रदेश चुनाव परिणाम: नोटा के कारण हारे शिवराज सरकार के यह चार मंत्री
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Updated Thu, 13 Dec 2018 10:05 AM IST
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नोटा
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मध्यप्रदेश की सत्ता शिवराज सिंह चौहान के हाथ आते-आते फिसल गई है। प्रदेश की 10 हजार जनता ने इस बार नोटा (इनमें से कोई नहीं) के विक्लप को चुना। इसकी वजह मतदाताओं का गुस्सा और परेशान होना है। राज्य में हुए मतदान में नोटा को पांचवे स्थान पर सबसे ज्यादा वोट मिले हैं। नोटा की वजह से शिवराज सरकार के चार मंत्रियों को हार का मुंह देखना पड़ा।
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चार विधानसभा सीटों पर जितने अंतर से कांग्रेस उम्मीदवार जीते हैं उससे कहीं ज्यादा वोट नोटा के पक्ष में पड़े हैं। नोटा ने 22 विधानसभा क्षेत्रों में जीत के अंतर को काफी कम कर दिया था। जहां भाजपा और कांग्रेस के वोट शेयर के बीच केवल 0.1 प्रतिशत का अंतर था। वहीं नोटा को 1.4 प्रतिशत वोट मिले यानी 5.4 लाख उम्मीदवारों ने अपना वोट किसी को नहीं दिया।
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भाजपा को 41 प्रतिशत, कांग्रेस को 40.9 प्रतिशत, बहुजन समाज पार्टी को 5 प्रतिशत और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को 1.8 प्रतिशत वोट मिले। पांचवे नंबर पर नोटा रहा। उसे समाजवादी पार्टी 1.3 प्रतिशत और आम आदमी पार्टी 0.7 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले। जिन 22 सीटों पर नोटा ने जीत के अंतर को कम किया उसमें वह चार विधानसभा सीटें भी शामिल थीं जहां चार मंत्री बहुत कम अतंर से हार गए।
ग्वालियर में जीत का अंतर केवल 121 वोट का रहा। वहीं यहां नोटा के पक्ष में 1,550 वोट पड़े। जिसकी वजह से गृहमंत्री नारायण सिंह कुशवाहा को हार गए। दमोह में वित्त मंत्री जयंत मलैया केवल 799 वोट से हार गए। यहां नोटा के पक्ष में 1,299 वोट पड़े। जबलपुर उत्तर में स्वास्थ्य मंत्री शरद जैन 578 वोट से हार गए जबकि यहां नोटा को 1,209 वोट मिले।
इसी तरह बुरहानपुर विधानसभा सीट से महिला एंव बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनिस 5,120 वोट से हार गईं। यहां 5,700 लोगों ने नोटा का बटन दबाया। भाजपा को नोटा की वजह से काफी नुकसान हुआ। वहीं कांग्रेस उम्मीदवार को इसका फायदा मिला। तिमरणी सीट से कांग्रेस के अभिजीत शाह को केवल 2,213 सीटों के अंतर से हार गए और भाजपा के संजय शाह जीत गए। यहां नोटा के पक्ष में 4,084 वोट गिरे। नागौड़ विधानसभा में कांग्रेस के यदवेंद्र सिंह केवल 1,234 वोटों से हार गए जबकि नोटा को 2,301 वोट मिले।