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MP News: मजदूर के बेटे ने पास की NEET परीक्षा, खुशी के मारे रो पड़ी मां, विद्यार्थियों को दी सीख
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, छिंदवाड़ा
Published by: अरविंद कुमार
Updated Sun, 29 Jan 2023 01:04 PM IST
सार
मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा जिले निवासी एक मजदूर के बेटे ने नीट की परीक्षा पास की है। बेटे के परीक्षा पास करने की खुशी में मां की आंखों से आंसू निकल पड़े। साथ ही नीट परीक्षा पास किए बेटे ने अन्य लोगों को पढ़ने-लिखने की सीख दी है।
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दीपक मालवी
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
हर मां-बाप का सपना होता है कि उनके बच्चे पढ़-लिखकर आगे बढ़ें। इसी सपने को छिंदवाड़ा के कृष्णा नगर के मजदूर मां के बेटे दीपक मालवी ने अपने हौंसले और मेहनत की दम पर सच कर दिखाया है। बचपन से डॉक्टर बनने का सपना देखने वाले दीपक ने अपनी लगन से नीट की परीक्षा उत्तीर्ण की है।
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बता दें, दीपक की मां मजदूरी करती हैं, जबकि उनके पिता का छह साल पहले देहांत हो चुका है। ऐसे में अब मजदूर का बेटा भी डॉक्टर बनेगा। दीपक को भोपाल के आरकेडीएफ मेडिकल कालेज में एडमिशन मिल गया है। दीपक को मां ने मजदूरी करके जैसे तैसे पाला है। परिवार में दीपक की दो बड़ी बहनें भी हैं, जिनमें से एक की शादी हो चुकी है और एक अभी कंप्यूटर सेंटर में जॉब कर रही है।
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दीपक मालवी ने अपनी नर्सरी से लेकर दसवीं तक की पढ़ाई ज्ञान ज्योति स्कूल शिक्षक कॉलोनी में पूरी की है। 11वीं और 12वीं की पढ़ाई कुकड़ा शासकीय महाविद्यालय से की। इसके बाद अनगढ़ हनुमान मंदिर पोस्ट ऑफिस के सामने एक दवा दुकान में काम करते हुए दीपक ने मेडिकल कॉलेज की प्रवेश परीक्षा के लिए 2018 में इंदौर में कोचिंग पूरी की।
पढ़ाई करते हुए नीट की परीक्षा दी
दीपक ने साल 2019 में पहली बार नीट के लिए परीक्षा दी। इसके बाद वर्ष 2020 में कोरोना लॉकडाउन में वापस अपने घर आकर पढ़ाई करते रहा। 2020 में नीट की परीक्षा दी और 371 अंक प्राप्त किए। दोबारा कोटा में जाकर नीट की कोचिंग ली और घर आकर पढ़ाई की। 2022 में नीट की में 449 नंबर हासिल किए। अब भोपाल के आरकेडीएफ मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लिया है।
मेहनत से मुकाम हासिल किया
जब दीपक की मां को अपने बेटे के डॉक्टर बनने के लिए कॉलेज में प्रवेश मिलने की बात पता चली तो वह खुशी से रो पड़ीं। उनके परिवार में पहली बार कोई उच्च शिक्षा प्राप्त कर डॉक्टर बनने जा रहा है। मेडिकल कॉलेज में प्रवेश की कड़ी प्रतिस्पर्धा हैं, वहीं कुछ लोग लाखों रुपये डोनेशन देकर अपने बच्चों को प्रवेश दिलाते हैं। लेकिन, दीपक ने कमाल किया है। उसने अपनी मेहनत से अपना मुकाम हासिल किया है, वह काबिले तारीफ है।