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MP News: 11 साल पहले दिवंगत हो चुके शिक्षक लखनलाल को कारण बताओ नोटिस जारी, शिक्षा मंत्री के गृह जिले का मामला
न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, नरसिंहपुर
Published by: अरविंद कुमार
Updated Sat, 15 Mar 2025 07:04 PM IST
सार
Narsinghpur News: नरसिंहपुर के उसरी गांव में स्थित एकीकृत माध्यमिक स्कूल का हाल ही में जिला पंचायत के सीईओ दलीप सिंह ने निरीक्षण किया। निरीक्षण में बच्चों की शिक्षा का स्तर कमजोर पाया गया, जिसके चलते प्राचार्य, शिक्षक और जनशिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
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कारण बताओ नोटिस
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
मध्यप्रदेश के शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप के गृह जिले नरसिंहपुर में शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां के उसरी गांव के एक सरकारी स्कूल में 11 साल पहले दिवंगत हो चुके शिक्षक लखनलाल चौधरी को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया। यह मामला अब तूल पकड़ चुका है और अधिकारी एक-दूसरे पर लापरवाही का ठीकरा फोड़ रहे हैं।
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बता दें कि नरसिंहपुर के उसरी गांव में स्थित एकीकृत माध्यमिक स्कूल का हाल ही में जिला पंचायत के सीईओ दलीप सिंह ने निरीक्षण किया। निरीक्षण में बच्चों की शिक्षा का स्तर कमजोर पाया गया, जिसके चलते प्राचार्य, शिक्षक और जनशिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। लेकिन इस प्रक्रिया में हद तो तब हो गई, जब 11 साल पहले दिवंगत हो चुके शिक्षक लखनलाल चौधरी के नाम पर भी नोटिस जारी कर दिया गया।
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नोटिस में लिखा गया कि वे निरीक्षण के दौरान अनुपस्थित पाए गए और बच्चों की खराब शैक्षणिक स्थिति उनकी अनुशासनहीनता का नतीजा है। यह हैरान करने वाला है कि शिक्षा विभाग को शिक्षक की मृत्यु की जानकारी ही नहीं थी, जबकि इसका प्रमाण उनका मृत्यु प्रमाण पत्र है।
अब इस मामले में एक और लापरवाही उजागर हुई है। जिला शिक्षा केंद्र के बीआरसी (ब्लॉक रिसोर्स कोऑर्डिनेटर) ने इस नोटिस को बाकायदा तामील भी करा दिया। जब यह मामला सार्वजनिक हुआ, तो आनन-फानन में सीईओ ने नोटिस को रद्द कर दिया। लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर बिना वेरीफिकेशन के नोटिस जारी कैसे हुआ और उसकी तामील क्यों की गई?
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सीईओ दलीप सिंह ने इस चूक को शिक्षा विभाग के पोर्टल की खामी और लिपिक की लापरवाही बताया। उनका कहना है कि बीआरसी केंद्र के लिपिक ने बिना जांच-पड़ताल के सीधे नोटिस तैयार कर दिया, और बीआरसी ने बिना वेरीफाई किए उसे तामील भी करा दिया। अब सीईओ इस गलती की जिम्मेदारी पोर्टल और लिपिक पर डाल रहे हैं और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की बात कर रहे हैं। अब सवाल यह है कि इस मामले में आखिर कार्रवाई किस पर होगी? क्या लापरवाह अधिकारियों पर कोई सख्त कदम उठाया जाएगा? यह देखना दिलचस्प होगा।

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