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पानी ने छीनी खुशी: 'धरतीपुत्रों' ने खेतों में छोड़े मवेशी...और चरवाई मूंग की फसल, उनकी जुबानी जान लीजिए
न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, नरसिंहपुर
Published by: अरविंद कुमार
Updated Tue, 29 Apr 2025 05:04 PM IST
सार
दाल का मैदान कहा जाने वाला मध्यप्रदेश का इलाका अभी सूखा है। यहां के कुओं में पानी नहीं है। इसकी वजह से मूंग की फसल नहीं हो पा रही है। किसानों ने मूंग की फसल मवेशियों के हवाले कर दी है।
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समस्या बताते किसान
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
नरसिंहपुर जिले के तेंदूखेड़ा तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत मर्रावन में किसानों ने अपने खेतों में बोनी, बखरनी और खाद यूरिया बीज डालकर मूंग की फसल को उगाया। लेकिन पानी की आपूर्ति के चलते किसानों को अपनी मेहनत की फसल मूंग में मवेशियों से चराने के लिए अपने खेतों में छोड़ दिया और अपनी पूरी फसल को बर्बाद कर दिया।
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किसान बताते हैं कि एक एकड़ की मूंग की फसल उगाने में सात से आठ हजार का खर्च आता है और हमारे एरिया में करीब 20 एकड़ में मूंग की फसल लगी है। लेकिन पानी का स्तर बहुत नीचे चला गया है और पानी की पूर्ति ने होने के कारण सभी किसान अपनी मूंग की फसलों को मवेशियों से चराने के लिए मजबूर हैं।
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गुहार लगाई, नहीं मिली कोई मदद
वहीं, किसान बताते हैं कि पानी की व्यवस्था के लिए शासन-प्रशासन से कई बार मांग कर चुके हैं। लेकिन आज तक पानी की व्यवस्था न होने से किसान फसल बर्बाद करने के लिए मजबूर हैं। यहां के किसान खेसव पटेल ने बताया, एक एकड़ में मूंग की फसल पैदा करने के लिए करीब 10 हजार रुपये की लागत आती है। बोनी के बाद फसल में दवा भी लगा दी थी, पर कुएं का पानी खत्म हो गया। इसके कारण फसल सूखने लगी थी। फसल सूखती उसके पहले मवेशियों को खेत पर चला दिया। इससे कम से कम उनका पेट तो भर गया।
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कुएं के पानी पर निर्भर हैं ज्यादातर किसान
ये हालात केवल खेसव पटेल के नहीं हैं। कुओं पर आधारित खेती करने वाले ज्यादातर किसान पानी की कमी से जूझ रहे हैं। हालांकि, इन किसानों ने सरकार पानी उपलब्ध कराने के लिए निवेदन भी किया, पर किसानों का कहना है कि इस मामले में कोई सुनवाई नहीं हुई है। फिर अंत में जाकर ये फैसला लिया गया।

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