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MP News: रीवा की बेटी आयुषी वर्मा बनेंगी भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट, भाई का अधूरा सपना बहन ने पूरा किया
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, रीवा
Published by: अर्पित याज्ञनिक
Updated Mon, 01 Sep 2025 02:12 PM IST
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सार
आयुषी की उपलब्धि से रीवा और विंध्य क्षेत्र में खुशी की लहर है। भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर उन्होंने साबित किया कि बेटियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं और युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं।

आयुषी वर्मा।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
रीवा की बेटी आयुषी वर्मा ने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से न केवल परिवार, बल्कि पूरे विंध्य अंचल का नाम रोशन कर दिया है। उन्होंने UPSC की ओर से आयोजित संयुक्त रक्षा सेवा (CDS) परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 24वीं रैंक हासिल की। साथ ही SSCW (शॉर्ट सर्विस कमीशन वुमेन) टेक्निकल शाखा में पूरे देश में प्रथम स्थान (AIR-1) प्राप्त किया। उनकी इस उपलब्धि से रीवा ही नहीं, बल्कि पूरा मध्यप्रदेश गौरवान्वित महसूस कर रहा है। आयुषी अब ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA) में प्रशिक्षण लेंगी। वहां वे नेतृत्व, रणनीति और तकनीकी ज्ञान प्राप्त करेंगी। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद वे भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के रूप में सेवा देंगी।

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आयुषी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा रीवा के एक निजी कॉन्वेंट स्कूल से प्राप्त की। उनके पिता रमेश वर्मा एक स्पोर्ट्स ऑफिसर हैं और मां ममता वर्मा गृहिणी हैं। आयुषी बचपन से ही पढ़ाई में तेज रही हैं और खेलों में भी उन्होंने अपनी प्रतिभा दिखाई। वे जूडो और कराटे की चैंपियन रह चुकी हैं। परिवार के अनुशासन और शिक्षा के वातावरण ने उन्हें हमेशा नई ऊंचाइयों को छूने के लिए प्रेरित किया।
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माता-पिता के साथ टॉपर बिटिया आयुषी।
- फोटो : अमर उजाला
12वीं में ही देख लिया था देश सेवा का सपना
आयुषी बताती हैं कि 12वीं कक्षा के दौरान ही यह ठान लिया था कि सेना में जाकर देश की सेवा करनी है। इसी लक्ष्य को सामने रखकर उन्होंने कठिन परिश्रम की राह चुनी और सफलता हासिल की।उन्हें सबसे ज्यादा प्रेरणा रीवा की अवनी चतुर्वेदी से मिली, जो भारतीय वायुसेना की पहली महिला फाइटर पायलट बनीं। “जब स्कूल में थी, तब रीवा की अवनी चतुर्वेदी का एयरफोर्स में चयन हुआ था। शहर में उनके पोस्टर लगे थे। तभी सोचा था कि आर्मी की यूनिफॉर्म मुझे भी शोभा देगी।”
पढ़ाई में बड़े भाई का मिला पूरा साथ
पढ़ाई के दौरान आयुषी को परिवार का पूरा सहयोग मिला। उनके बड़े भाई भी एसएसबी कैंडिडेट रहे, लेकिन मेडिकल कारणों से चयनित नहीं हो पाए। बावजूद इसके उन्होंने आयुषी को हर कदम पर मार्गदर्शन और हौसला दिया। आयुषी खुद मानती हैं कि लक्ष्य स्पष्ट हो और मेहनत ईमानदारी से की जाए, तो किसी भी मंजिल तक पहुंचना संभव है।
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आयुषी बताती हैं कि 12वीं कक्षा के दौरान ही यह ठान लिया था कि सेना में जाकर देश की सेवा करनी है। इसी लक्ष्य को सामने रखकर उन्होंने कठिन परिश्रम की राह चुनी और सफलता हासिल की।उन्हें सबसे ज्यादा प्रेरणा रीवा की अवनी चतुर्वेदी से मिली, जो भारतीय वायुसेना की पहली महिला फाइटर पायलट बनीं। “जब स्कूल में थी, तब रीवा की अवनी चतुर्वेदी का एयरफोर्स में चयन हुआ था। शहर में उनके पोस्टर लगे थे। तभी सोचा था कि आर्मी की यूनिफॉर्म मुझे भी शोभा देगी।”
पढ़ाई में बड़े भाई का मिला पूरा साथ
पढ़ाई के दौरान आयुषी को परिवार का पूरा सहयोग मिला। उनके बड़े भाई भी एसएसबी कैंडिडेट रहे, लेकिन मेडिकल कारणों से चयनित नहीं हो पाए। बावजूद इसके उन्होंने आयुषी को हर कदम पर मार्गदर्शन और हौसला दिया। आयुषी खुद मानती हैं कि लक्ष्य स्पष्ट हो और मेहनत ईमानदारी से की जाए, तो किसी भी मंजिल तक पहुंचना संभव है।
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बधाई देने पहुंचे लोग।
- फोटो : अमर उजाला
परिवार का सहयोग
आयुषी की सफलता में उनके परिवार का बड़ा योगदान रहा। पिता रमेश वर्मा ने कहा, “आयुषी बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रही है। खेलों में भी हमेशा आगे रही। उसने लक्ष्य तय किया और मेहनत से CDS पास कर दिखाया।” उनकी मां ममता वर्मा ने भावुक होकर कहा, “बेटा हर्ष वर्मा भी सेना में जाना चाहता था। उसने CDS पास किया लेकिन मेडिकल कारणों से शामिल नहीं हो पाया। आज आयुषी ने यह सपना पूरा कर दिया।”
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पूरे विंध्य क्षेत्र में खुशी का माहौल
आयुषी की इस उपलब्धि ने रीवा सहित पूरे विंध्य क्षेत्र में खुशी का माहौल बना दिया है। लोग सोशल मीडिया पर उनकी सफलता की जमकर सराहना कर रहे हैं और उन्हें बधाई संदेश भेज रहे हैं। परिवार और शिक्षकों का कहना है कि आयुषी ने साबित कर दिया कि बेटियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं, बस उन्हें अवसर और प्रोत्साहन देने की जरूरत है।
युवाओं के लिए बनीं प्रेरणा
भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर आयुषी ने न केवल अपने सपने पूरे किए, बल्कि हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं। उनकी सफलता यह संदेश देती है कि समर्पण, अनुशासन और कड़ी मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।
आयुषी की सफलता में उनके परिवार का बड़ा योगदान रहा। पिता रमेश वर्मा ने कहा, “आयुषी बचपन से ही पढ़ाई में अव्वल रही है। खेलों में भी हमेशा आगे रही। उसने लक्ष्य तय किया और मेहनत से CDS पास कर दिखाया।” उनकी मां ममता वर्मा ने भावुक होकर कहा, “बेटा हर्ष वर्मा भी सेना में जाना चाहता था। उसने CDS पास किया लेकिन मेडिकल कारणों से शामिल नहीं हो पाया। आज आयुषी ने यह सपना पूरा कर दिया।”
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पूरे विंध्य क्षेत्र में खुशी का माहौल
आयुषी की इस उपलब्धि ने रीवा सहित पूरे विंध्य क्षेत्र में खुशी का माहौल बना दिया है। लोग सोशल मीडिया पर उनकी सफलता की जमकर सराहना कर रहे हैं और उन्हें बधाई संदेश भेज रहे हैं। परिवार और शिक्षकों का कहना है कि आयुषी ने साबित कर दिया कि बेटियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं, बस उन्हें अवसर और प्रोत्साहन देने की जरूरत है।
युवाओं के लिए बनीं प्रेरणा
भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर आयुषी ने न केवल अपने सपने पूरे किए, बल्कि हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं। उनकी सफलता यह संदेश देती है कि समर्पण, अनुशासन और कड़ी मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।