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Dev Diwali 2025: गंगा का घाट नहीं तो घर के आंगन में जरूर जलाएं दीप, जानें प्रदोष काल में पूजा का क्या है महत्व

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सीहोर Published by: अर्पित याज्ञनिक Updated Tue, 04 Nov 2025 02:33 PM IST
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सार

धार्मिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था, इसी उपलक्ष्य में देव दिवाली मनाई जाती है। इस वर्ष देव दिवाली 5 नवंबर को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि 4 नवंबर रात 10:36 बजे से 5 नवंबर शाम 6:48 बजे तक रहेगी।

Dev Diwali 2025: Worship done during Pradosh period on Dev Diwali is fruitful.
देव दिवाली के शुभ मुहूर्त। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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धार्मिक मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था। इस विजय के उपलक्ष्य में देवताओं ने भगवान शिव की आराधना कर दीपों से आकाश को सजाया था। तभी से यह दिन देव दिवाली कहलाया। स्वर्ण पदक प्राप्त ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश शर्मा बताते हैं कि इस दिन की गई पूजा व्यक्ति के जीवन से सभी दुखों को हर लेती है और महादेव की कृपा से सुख-शांति की प्राप्ति होती है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष देव दिवाली का पर्व 05 नवंबर को मनाया जाएगा। उसी दिन कार्तिक पूर्णिमा भी है। पंडित शर्मा के अनुसार शुभ मुहूर्तों में पूजा-अर्चना करना अत्यंत शुभ फल प्रदान करता है।

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कार्तिक पूर्णिमा कब से कब तक

  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 04 नवंबर, रात 10:36 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 05 नवंबर, शाम 6:48 बजे


शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:46 से 5:37 तक
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 1:56 से 2:41 तक
  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 5:40 से 6:05 तक
  •  

शिव आराधना की विधि-मन, वचन और कर्म से भक्ति
पंडित गणेश शर्मा ने बताया कि देव दिवाली की पूजा प्रदोष काल में करनी चाहिए। भक्त सुबह स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें। घर में चौकी पर साफ वस्त्र बिछाकर शिवलिंग या महादेव की प्रतिमा स्थापित करें। देसी घी का दीपक जलाकर फूलों की माला अर्पित करें। इसके बाद कच्चे दूध, शहद, दही, घी और पंचामृत से अभिषेक करें। शिव चालीसा और मंत्रों का जप कर भगवान शिव से जीवन में सुख-शांति और स्वास्थ्य की कामना करें। पूजा के अंत में फल और मिठाई का भोग लगाकर आरती करें।

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दीपदान का महत्व
सनातन परंपरा के अनुसार देव दिवाली पर दीपदान करने का अत्यधिक महत्व है। पंडित शर्मा बताते हैं कि इस दिन गंगा घाटों या घर के आंगन में दीप जलाना शुभ फल देता है। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और सकारात्मकता का संचार होता है। दीपदान से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। यह माना जाता है कि जो भक्त इस दिन दीप जलाते हैं, उनके जीवन में कभी अंधकार नहीं रहता।

दान का पुण्य, हर अर्पण से बढ़ता है आशीर्वाद
देव दिवाली केवल पूजा का ही नहीं बल्कि दान और सेवा का पर्व भी है। इस दिन गरीबों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करने से पापों का नाश होता है। पंडित शर्मा बताते हैं कि जो व्यक्ति इस दिन दान करता है, उसके घर में धन-अन्न की कभी कमी नहीं रहती। देव दीवाली का यह दिन आत्मा को पवित्र करने वाला और मन को आनंद देने वाला अवसर होता है।

देव दिवाली, आस्था का उत्सव
देव दिवाली को देवताओं की दीपावली कहा जाता है। यह दिन केवल एक पर्व नहीं बल्कि आस्था का उत्सव है। जब देवता स्वयं धरती पर उतरकर मानव के सुख के लिए दीप प्रज्ज्वलित करते हैं। जब भक्त महादेव की आराधना करते हैं, तो उनका जीवन भी दीपों की तरह प्रकाशमय और शुभ हो उठता है। पंडित शर्मा कहते हैं कि जो मनुष्य सच्चे भाव से भगवान शिव की पूजा करता है, उसके जीवन से हर प्रकार का अंधकार दूर हो जाता है।


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