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Sehore News: दीक्षा मौत कांड में नया खुलासा! अवैध मुस्कान क्लीनिक की लापरवाही पर जांच रिपोर्ट ने खोले राज

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सीहोर Published by: सीहोर ब्यूरो Updated Fri, 24 Oct 2025 08:57 AM IST
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सार

दीक्षा कुशवाहा की मौत की जांच में मुस्कान क्लीनिक की लापरवाही सामने आई है। बिना योग्य डॉक्टर के संचालित क्लीनिक में गलत इंजेक्शन से दीक्षा की हालत बिगड़ी। मस्तिष्क बुखार को सामान्य जुकाम समझा गया। क्लीनिक पहले से बंद करने के आदेश के बावजूद चलता रहा, संचालक फरार है।

Sehore news: Diksha Death Case, Probe Reveals Shocking Negligence by Illegal Muskan Clinic in Sehore
फ़ाइल फ़ोटो-जांच रिपोर्ट में लापरवाही की पुष्टि
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विस्तार
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मासूम दीक्षा कुशवाहा की मौत के मामले में जांच टीम की प्रारंभिक रिपोर्ट ने अवैध मुस्कान क्लीनिक की लापरवाही को उजागर कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार क्लीनिक संचालक अशोक विश्वकर्मा न तो योग्य डॉक्टर था और न ही उसे गंभीर बीमारियों की पहचान का अनुभव था। जिस बीमारी को उसने सामान्य बुखार समझा, वह वास्तव में मस्तिष्क का बुखार था।

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गलत इंजेक्शन से बिगड़ी दीक्षा की हालत
जांच में यह भी सामने आया है कि क्लीनिक पहुंचते ही दीक्षा को एक अज्ञात दवा का इंजेक्शन लगाया गया। कुछ ही मिनटों में बच्ची की तबीयत बुरी तरह बिगड़ गई और वह बेहोश होकर कोमा में चली गई। डॉक्टर ने बिना ऑक्सीजन या आपात उपचार की सुविधा के परिजनों को उसे भोपाल रेफर कर दिया, जहां पांच दिन बाद उसकी मौत हो गई।
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सर्दी-खांसी समझकर देता रहा दवा
डॉ. नवीन मैहर की अध्यक्षता वाली समिति ने बताया कि दीक्षा के लक्षण “एन्सेफलाइटिस” यानी मस्तिष्क संक्रमण के थे। यह गंभीर बीमारी है, जिसमें तत्काल विशेषज्ञ इलाज की आवश्यकता होती है। मगर झोलाछाप संचालक ने इसे सर्दी-बुखार समझकर इंजेक्शन दे दिया। टीम ने संकेत दिए हैं कि समय पर सही इलाज होता, तो दीक्षा की जान बचाई जा सकती थी।

प्रशासन की लापरवाही भी आई सामने
फॉलोअप जांच में यह तथ्य भी उभरा है कि मुस्कान क्लीनिक को पहले ही दिसंबर 2024 में बंद करने का आदेश दिया गया था। बावजूद इसके यह क्लीनिक पिछले 10 महीनों से धड़ल्ले से चल रहा था। सीएमएचओ कार्यालय से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर यह अवैध अस्पताल संचालित होता रहा, लेकिन किसी अधिकारी को भनक तक नहीं लगी।

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कार्रवाई अधर में, फरार है संचालक
फिलहाल पुलिस ने क्लीनिक संचालक अशोक विश्वकर्मा के खिलाफ एफआईआर तो दर्ज की है, लेकिन यह केवल स्वास्थ्य नियमों के उल्लंघन की धाराओं में हुई है। बच्ची की मौत में सीधे लापरवाही साबित होने पर ही (लापरवाही से मृत्यु) या इससे गंभीर अपराध जोड़े जा सकते हैं। फिलहाल आरोपी फरार बताया जा रहा है।

न्याय की आस में दीक्षा का परिवार
दीक्षा के पिता रोहित कुशवाहा अब भी अपनी मासूम बेटी की तस्वीर हाथ में लिए न्याय की गुहार लगा रहे हैं। उनका कहना है कि हमें अपनी बच्ची तो वापस नहीं मिल सकती, लेकिन हम चाहते हैं कि किसी और परिवार के साथ ऐसा न हो। अब पूरा जिला प्रशासन की अगली कार्रवाई पर नजरें टिकाए है कि क्या दीक्षा को आखिर इंसाफ़ मिलेगा या यह मामला भी फाइलों में दफन हो जाएगा।

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