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Sehore News: उपज बिकी मगर भुगतान अटका, मंडी में रोज पहुंच रहे परेशान किसान, विभाग भी बेबस
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सीहोर
Published by: सीहोर ब्यूरो
Updated Tue, 04 Nov 2025 02:18 PM IST
सार
करीब 64 हजार से ज्यादा किसानों के पंजीयन में गड़बड़ियां सामने आई हैं, जिससे मंडी और कृषि विभाग में शिकायतों का अंबार लग गया है। अधिकारी सुधार में जुटे हैं, लेकिन प्रक्रिया धीमी है। किसान अपने मेहनत के पैसे के लिए हफ्तों से मंडी परिसर में इंतजार कर रहे हैं।
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सीहोर गल्ला मंडी।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
सीहोर की कृषि उपज मंडी में इन दिनों किसानों के चेहरों पर बेचैनी साफ झलक रही है। खेतों से उपज लेकर मंडी तक पहुंचे किसान अब अपने मेहनत की कमाई पाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। भावांतर योजना के तहत खरीदी तो हो रही है, लेकिन बैंक खातों की छोटी-छोटी त्रुटियों ने किसानों का बड़ा नुकसान कर दिया है। उपज बेचने के कई दिन बाद भी उन्हें भुगतान नहीं मिल पा रहा है। रोजाना पांच से दस किसान मंडी कार्यालय और कृषि विभाग में शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं।
भावांतर पंजीयन की गलतियों ने बढ़ाई मुश्किल
कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, जिले के करीब 64 हजार 649 किसानों ने भावांतर योजना में पंजीयन कराया था। 24 अक्टूबर से खरीदी शुरू हुई, लेकिन अब समस्याएं सामने आ रही हैं। कई किसानों के बैंक खाते का आईएफएससी कोड गलत दर्ज हो गया है, तो कुछ का आधार उनके खाते से लिंक नहीं है। कई मामलों में किसानों ने पंजीयन के समय ऋण खाते का नंबर दर्ज करा दिया, ताकि पैसा आने पर बैंक काट न ले, इसीलिए व्यापारी को दूसरा नंबर दे दिया। यही वजह है कि भुगतान रुका हुआ है।
बैंक और व्यापारी के बीच फंसा भुगतान
किसानों के खाते की त्रुटियों के चलते व्यापारी बैंक से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन नहीं कर पा रहे हैं। इससे न सिर्फ किसानों की कमाई अटकी है, बल्कि व्यापारियों को भी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। भुगतान का सिस्टम पूरी तरह ऑनलाइन होने के कारण एक छोटी गलती भी बड़ा संकट बन गई है। कृषि विभाग के डीडीए ऑफिस में रोजाना किसानों की भीड़ लग रही है। अधिकारी सुधार कराने में लगे हैं, लेकिन शिकायतों का ढेर बढ़ता ही जा रहा है।
सोमवार को 20 हजार क्विंटल उपज आई
बीते सप्ताह सीहोर और आष्टा मंडी में सोयाबीन की आवक 25 हजार क्विंटल तक पहुंच गई थी, लेकिन खराब मौसम और अवकाश के कारण अब इसमें कमी आई है। शुक्रवार को सीहोर मंडी में केवल 14,689 क्विंटल और आष्टा में 17,409 क्विंटल उपज आई। शनिवार को देवउठनी एकादशी और रविवार को अवकाश के चलते मंडी पूरी तरह बंद रही। अब सोमवार से दोबारा खरीदी शुरू होने पर सीहोर मंडी में करीब 20 हजार क्विंटल उपज आई।
अफसर जुटे सुधार में, किसान कर रहे इंतजार
कृषि विभाग और मंडी प्रशासन लगातार किसानों के खातों की त्रुटियों को ठीक करने में जुटा है। डीडीए कार्यालय में बैंक कोड, खाता संख्या और आधार लिंकिंग के सुधार का कार्य चल रहा है। डीडीए कृषि विभाग सीहोर के अधिकारी ए.के. उपाध्याय ने बताया कि जैसे ही किसानों के खाते ठीक हो रहे हैं, राशि उनके खातों में पहुंच रही है। फिर भी सुधार की गति शिकायतों की संख्या के मुकाबले काफी धीमी है।
ये भी पढ़ें- Coldrif Cough Syrup: 22 बच्चों की मौत के मामले में आरोपी डॉक्टर की पत्नी गिरफ्तार, स्टॉक में की थी हेराफेरी
उम्मीद और चिंता के बीच किसान
किसानों के लिए यह स्थिति बेहद तनावपूर्ण है। खेतों में मेहनत के बाद जब उपज बिकती है, तो हर किसान को अपने हक का पैसा पाने की आस रहती है। लेकिन अब उन्हें भुगतान पाने के लिए पांच-पांच, छह-छह दिन इंतजार करना पड़ रहा है। कई किसान मंडी परिसर में ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर बैठे हैं, ताकि जैसे ही खाते में राशि आए, घर लौट सकें। किसान राधेश्याम राय कहते हैं कि एक सप्ताह पहले उन्होंने भावांतर में सोयाबीन बेचा था, लेकिन अभी तक रुपया नहीं आया। विभाग का अमला भले ही सुधार में जुटा हो, पर किसान अब भी अपने परिश्रम की पूरी कीमत का इंतजार कर रहे हैं।
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भावांतर पंजीयन की गलतियों ने बढ़ाई मुश्किल
कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, जिले के करीब 64 हजार 649 किसानों ने भावांतर योजना में पंजीयन कराया था। 24 अक्टूबर से खरीदी शुरू हुई, लेकिन अब समस्याएं सामने आ रही हैं। कई किसानों के बैंक खाते का आईएफएससी कोड गलत दर्ज हो गया है, तो कुछ का आधार उनके खाते से लिंक नहीं है। कई मामलों में किसानों ने पंजीयन के समय ऋण खाते का नंबर दर्ज करा दिया, ताकि पैसा आने पर बैंक काट न ले, इसीलिए व्यापारी को दूसरा नंबर दे दिया। यही वजह है कि भुगतान रुका हुआ है।
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बैंक और व्यापारी के बीच फंसा भुगतान
किसानों के खाते की त्रुटियों के चलते व्यापारी बैंक से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन नहीं कर पा रहे हैं। इससे न सिर्फ किसानों की कमाई अटकी है, बल्कि व्यापारियों को भी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। भुगतान का सिस्टम पूरी तरह ऑनलाइन होने के कारण एक छोटी गलती भी बड़ा संकट बन गई है। कृषि विभाग के डीडीए ऑफिस में रोजाना किसानों की भीड़ लग रही है। अधिकारी सुधार कराने में लगे हैं, लेकिन शिकायतों का ढेर बढ़ता ही जा रहा है।
सोमवार को 20 हजार क्विंटल उपज आई
बीते सप्ताह सीहोर और आष्टा मंडी में सोयाबीन की आवक 25 हजार क्विंटल तक पहुंच गई थी, लेकिन खराब मौसम और अवकाश के कारण अब इसमें कमी आई है। शुक्रवार को सीहोर मंडी में केवल 14,689 क्विंटल और आष्टा में 17,409 क्विंटल उपज आई। शनिवार को देवउठनी एकादशी और रविवार को अवकाश के चलते मंडी पूरी तरह बंद रही। अब सोमवार से दोबारा खरीदी शुरू होने पर सीहोर मंडी में करीब 20 हजार क्विंटल उपज आई।
अफसर जुटे सुधार में, किसान कर रहे इंतजार
कृषि विभाग और मंडी प्रशासन लगातार किसानों के खातों की त्रुटियों को ठीक करने में जुटा है। डीडीए कार्यालय में बैंक कोड, खाता संख्या और आधार लिंकिंग के सुधार का कार्य चल रहा है। डीडीए कृषि विभाग सीहोर के अधिकारी ए.के. उपाध्याय ने बताया कि जैसे ही किसानों के खाते ठीक हो रहे हैं, राशि उनके खातों में पहुंच रही है। फिर भी सुधार की गति शिकायतों की संख्या के मुकाबले काफी धीमी है।
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उम्मीद और चिंता के बीच किसान
किसानों के लिए यह स्थिति बेहद तनावपूर्ण है। खेतों में मेहनत के बाद जब उपज बिकती है, तो हर किसान को अपने हक का पैसा पाने की आस रहती है। लेकिन अब उन्हें भुगतान पाने के लिए पांच-पांच, छह-छह दिन इंतजार करना पड़ रहा है। कई किसान मंडी परिसर में ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर बैठे हैं, ताकि जैसे ही खाते में राशि आए, घर लौट सकें। किसान राधेश्याम राय कहते हैं कि एक सप्ताह पहले उन्होंने भावांतर में सोयाबीन बेचा था, लेकिन अभी तक रुपया नहीं आया। विभाग का अमला भले ही सुधार में जुटा हो, पर किसान अब भी अपने परिश्रम की पूरी कीमत का इंतजार कर रहे हैं।