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Sehore News: रिकॉर्ड आवक से गुलजार हुई कृषि उपज मंडी, नई व्यवस्था से सोयाबीन किसानों को बड़ी राहत
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सीहोर
Published by: सीहोर ब्यूरो
Updated Tue, 18 Nov 2025 01:44 PM IST
सार
Sehore News: रिकॉर्ड आवक से गुलजार हुई कृषि उपज मंडी, नई व्यवस्था से सोयाबीन किसानों को बड़ी राहत
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सीहोर मंडी, बदलाव की बयार, किसानों के लिए नई उम्मीद
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विस्तार
सीहोर कृषि उपज मंडी इस समय प्रदेश की सबसे व्यस्त मंडियों में से एक बनी हुई है। बीते एक महीने से रिकॉर्ड तोड़ आवक के बीच सुबह से देर रात तक मंडी परिसर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की कतारों से भरा रहता है। सबसे ज्यादा आवक सोयाबीन की हो रही है, जिसके चलते किसानों की भीड़ लगातार बढ़ रही है। स्थिति को देखते हुए मंडी प्रशासन ने बड़ा निर्णय लिया है, जिसका किसानों को तुरंत लाभ मिलने लगा है।
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मंडी में आने वाली उपज के लिए पहले तीन शेड गेहूं के लिए और दो शेड सोयाबीन के लिए निर्धारित थे लेकिन सोयाबीन की भारी आवक के चलते प्रशासन ने अब तीन शेड सोयाबीन के लिए और दो गेहूं-मक्का के लिए तय कर दिए। यह व्यवस्था सोमवार से लागू होते ही असर दिखाने लगी। किसानों को अब ट्रॉलियां खड़ी करने, नीलामी तक पहुंचने और तुलाई कराने में पहले की तुलना में काफी आसानी हो रही है।
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मंडी में रोजाना 25 हजार क्विंटल से अधिक उपज पहुंच रही है, जिसमें 15 हजार क्विंटल के आसपास सोयाबीन है। इतनी बड़ी मात्रा में आवक होने से अव्यवस्था बढ़ रही थी। अब प्रत्येक शेड पर कर्मचारियों की ड्यूटी लगाकर नीलामी और वाहन संचालन को सुचारू किया गया है।
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भावांतर योजना ने दी किसानों को मजबूती
सरकार द्वारा सोयाबीन की खरीदी भावांतर भुगतान योजना के तहत जारी है। जिले के 65 हजार से अधिक पंजीकृत किसानों में से 10 हजार किसान अपनी उपज बेच चुके हैं। किसानों का कहना है कि भावांतर योजना से वास्तविक बाजार मूल्य मिल रहा है और मेहनत का सम्मान बढ़ा है। खरीदी 15 जनवरी 2026 तक चलेगी।
मंडी सचिव नरेंद्र कुमार माहेश्वरी के अनुसार आवक के अनुसार व्यवस्था बदली जाती रहती है। इस बदलाव से किसानों का समय बच रहा है, भीड़ कम हुई है और नीलामी की रफ्तार बढ़ी है। किसान अब आसानी से अपनी उपज बेचकर घर लौट पा रहे हैं।
नई व्यवस्था से किसानों का बोझ कम हुआ है। लंबे इंतजार, भीड़ और अव्यवस्था में अब कमी आ रही है। किसान कैलाश शर्मा का कहना है कि नीलामी तेजी से हो रही है, दाम अच्छे मिल रहे हैं और खरीदी पारदर्शिता के साथ चल रही है। मंडी में केवल अनाज नहीं, बल्कि किसानों की मेहनत भी सम्मान पा रही है।