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Sehore News: शिवराज बोले–पुराने कब्जे नहीं छोड़ेंगे, बोवनी करेंगे! वन विभाग को दी अवज्ञा आंदोलन की चेतावनी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सीहोर
Published by: सीहोर ब्यूरो
Updated Wed, 29 Oct 2025 10:08 PM IST
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सार
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आदिवासी वर्षों से उस भूमि पर खेती कर रहे हैं, जो उनका जीवनाधार है। उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी कि देश में लोकतंत्र है, अफसरशाही नहीं। गरीबों के पेट पर लात मत मारो। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यदि प्रशासन ने पुराने कब्जे वाली जमीन पर बोवनी रोकी, तो सविनय अवज्ञा आंदोलन किया जाएगा।
भैरूंदा में आदिवासी पंचायत, शिवराज की हुंकार
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विस्तार
सीहोर जिले के भैरूंदा तहसील का दशहरा मैदान बुधवार को जनसैलाब से भर गया, जब केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आदिवासी पंचायत को संबोधित करते हुए वन विभाग की तानाशाही के खिलाफ खुलकर आवाज उठाई। वन भूमि पर खेती कर रहे आदिवासियों को बोवनी न करने के नोटिस थमाए जाने के विरोध में हजारों लोग जुटे। मंच से चौहान ने ऐलान किया कि कोई भी अपने पुराने कब्जे नहीं छोड़ेगा, सब बोवनी करेंगे!
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शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आदिवासी वर्षों से उस भूमि पर खेती कर रहे हैं, जो उनका जीवनाधार है। उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी कि देश में लोकतंत्र है, अफसरशाही नहीं। गरीबों के पेट पर लात मत मारो। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यदि प्रशासन ने पुराने कब्जे वाली जमीन पर बोवनी रोकी, तो सविनय अवज्ञा आंदोलन किया जाएगा। चौहान ने यह भी कहा कि वे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मिलकर इस पूरे प्रकरण की जानकारी देंगे।
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धनतेरस पर मिले नोटिस, दीपावली फीकी पड़ गई
अपने भाषण में शिवराज भावुक हो उठे। बोले कि इस बार हमारे आदिवासी भाइयों की दीपावली नहीं मन पाई। धनतेरस के दिन जब सब दीप जला रहे थे, तब इन गरीबों को वन विभाग ने नोटिस थमा दिए। जिस जमीन पर उनका खून-पसीना लगा है, उसी पर खेती करने से रोका जा रहा है। बोवनी नहीं करेंगे तो जिएंगे कैसे? उनके यह शब्द सुनकर सभा में भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा।
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71 वर्षीय बंसीलाल की पीड़ा सुनकर शिवराज हुए व्यथित
सभा के दौरान 71 वर्षीय बुजुर्ग बंसीलाल, निवासी इटावाखुर्द, मंच पर पहुंचे। उन्होंने कांपती आवाज़ में कहा कि हम 60 साल से यही जमीन जोत रहे हैं। अब वन विभाग ने कहा कि प्रमाण दो, वरना खेत छोड़ो। उन्होंने बताया कि नोटिस मिलने के बाद वे भूखे ही सो गए। शिवराज ने बंसीलाल को गले लगाया और कहा कि अब कोई चिंता मत करना, तुम्हारे साथ शिवराज खड़ा है।
शिवराज का संदेश—संगठित रहो, यही लोकतंत्र की ताकत है
शिवराज सिंह चौहान ने आदिवासियों से कहा कि उन्हें अपनी एकता बनाए रखनी होगी। बोले—आज हमारी सरकार है, कल किसी और की होगी। लेकिन जनता की संगठित शक्ति से बड़ी कोई ताकत नहीं होती। उन्होंने आदिवासी समुदाय से हर गांव में संगठनात्मक संरचना मजबूत करने का आह्वान किया ताकि भविष्य में कोई उनकी रोज़ी-रोटी पर आघात न कर सके।
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विधायक रमाकांत भार्गव का आरोप—अधिकारियों की साजिश
मंच पर विधायक रमाकांत भार्गव ने वन विभाग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि अधिकारी जानबूझकर आदिवासियों को परेशान कर रहे हैं। वे बिना साक्ष्य के नोटिस थमा रहे हैं और लोगों को हटाने की साजिश रच रहे हैं। भार्गव ने कहा कि अगर आदिवासियों की सेवा करना अपराध है, तो हम अपराधी हैं, और यह अपराध करते रहेंगे।
निर्मला बारेला बोलीं, 1927 अधिनियम का डर दिखाया जा रहा
आदिवासी वित्त विकास निगम की अध्यक्ष निर्मला बारेला ने बताया कि वन विभाग भारतीय वन अधिनियम 1927 का हवाला देकर कोटवारों से मुनादी करा रहा है। कहा जा रहा है कि जिनके पास प्रमाण नहीं, वे खेतों पर न जाएं। उन्होंने कहा कि बुजुर्गों के मौखिक साक्ष्य को भी मान्यता दी जाए और वन मित्र पोर्टल पर लंबित दावों का निराकरण तुरंत किया जाए। साथ ही उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल अभ्यारण्य पर लगी अस्थायी रोक को स्थायी रूप से निरस्त करने की मांग दोहराई।
पंचायत के बाद शिवराज ने आदिवासियों संग बैठकर किया भोजन
सभा के बाद एक अनोखा दृश्य देखने को मिला। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वीआईपी भोजन व्यवस्था ठुकरा दी और दशहरा मैदान में ही आदिवासियों के साथ पंक्ति में बैठकर भोजन किया। उन्होंने मक्के की रोटी और भिंडी की सब्जी का स्वाद लिया। भोजन के दौरान शिवराज ने कहा कि हम सब एक परिवार हैं, यह भूमि आपकी है, और इस धरती पर किसी को अन्याय नहीं करने दूँगा,यह दृश्य देखकर उपस्थित हर व्यक्ति की आंखें नम हो गईं।
8000 आदिवासियों का पैदल मार्च, शक्ति प्रदर्शन से जाम हुआ इंदौर रोड
आदिवासी पंचायत केवल भाषणों तक सीमित नहीं रही। सभा कि बाद यह जनशक्ति प्रदर्शन में बदल गई। करीब 8,000 आदिवासियों ने एक साथ सड़क पर उतरकर दशहरा मैदान तक पैदल मार्च निकाला। भीड़ इतनी विशाल थी कि इंदौर रोड पर घंटों यातायात ठप हो गया। ढोल-नगाड़ों और नारों के बीच आदिवासी एकता का यह प्रदर्शन प्रशासन के लिए भी संदेश था कि अब यह समुदाय अपने हक से पीछे नहीं हटेगा।

भैरूंदा में आदिवासी पंचायत, शिवराज की हुंकार

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