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Sehore News: आष्टा नगर पालिका में हंगामा, 85 कर्मचारियों को अचानक हटाया; बिना सूचना हटाए जाने पर फूटा गुस्सा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सीहोर Published by: सीहोर ब्यूरो Updated Tue, 04 Nov 2025 02:30 PM IST
सार

कर्मचारियों ने बताया कि उन्हें महीनों से पूरा वेतन नहीं मिला और ठेकेदार रिश्वत वसूली करता रहा। वहीं, सीएमओ विनोद प्रजापति ने सफाई दी कि ठेका अवधि समाप्त होने के कारण कर्मचारियों को हटाया गया है। दो महीने का पीएफ जल्द जमा कराने का भरोसा दिया गया है।

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Sehore News: Employees suddenly removed from Ashta Municipality
आष्टा नगर पालिका में हंगामा। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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सीहोर जिले के आष्टा नगर पालिका में सोमवार को उस वक्त हंगामा मच गया, जब प्रशासन ने एक साथ 85 आउटसोर्स कर्मचारियों को हटा दिया। किसी को भी पूर्व सूचना नहीं दी गई। नगर पालिका कार्यालय में कर्मचारियों ने पहुंचकर जमकर नारेबाजी की और अधिकारियों पर मनमानी का आरोप लगाया। कई कर्मचारियों की आंखों में आंसू थे।
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एक महिला सफाई कर्मचारी ने कहा कि हम सालभर काम करते रहे और अब हमें सड़कों पर ला दिया। कर्मचारियों का कहना था कि वे पिछले एक वर्ष से ठेकेदार के अधीन काम कर रहे थे। नगर पालिका ने किसी भी कर्मचारी को हटाने की सूचना तक नहीं दी। अचानक सुबह जब उन्हें ड्यूटी पर नहीं आने को कहा गया, तो सबके पैरों तले जमीन खिसक गई। विरोध करते हुए कर्मचारियों ने कहा कि यह उनके जीवन पर सीधा वार है।हमारे छोटे-छोटे बच्चे हैं, अब रोटी कैसे जुटाएं?
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सीएमओ बोले-ठेका समाप्त हुआ, इसलिए हटाया गया
नगर पालिका सीएमओ विनोद प्रजापति ने स्पष्ट किया कि इन कर्मचारियों को नगर पालिका ने सीधे नियुक्त नहीं किया था, बल्कि ठेकेदार के माध्यम से रखा गया था। उनका कहना था कि ठेका अवधि समाप्त हो चुकी थी, इसलिए ठेकेदार ने उन्हें हटा दिया। सीएमओ ने यह भी जोड़ा कि नगर पालिका की आर्थिक स्थिति फिलहाल कमजोर है, लेकिन छह महीनों में सुधार का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि कर्मचारियों का दो महीने का पीएफ जल्द उनके खातों में जमा कराया जाएगा।

कर्मचारियों ने ठेकेदार पर गंभीर आरोप लगाए
आउटसोर्स कर्मचारी रीना बाई और जितेंद्र सिंघम ने बताया कि ठेकेदार ने कभी तय वेतन नहीं दिया। कभी ₹7000, तो कभी ₹9600 तक का भुगतान किया गया, जबकि शासन के अनुसार उन्हें कलेक्टर रेट से वेतन मिलना चाहिए था। कर्मचारियों ने खुलासा किया कि नियुक्ति के समय उनसे ₹50,000 तक रिश्वत मांगी गई थी। इसके अलावा पिछले 22 महीनों का पीएफ भी जमा नहीं किया गया। उनका कहना था कि ठेकेदार और नगर पालिका अधिकारियों के बीच गहरी मिलीभगत है, जिसका खामियाजा गरीब कर्मचारी भुगत रहे हैं।

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धमकियां और डर के बीच करते रहे काम
कर्मचारी रामप्रसाद और लताबाई ने बताया कि पिछले कई महीनों से वेतन नियमित नहीं मिला। वेतन मिलने में महीने-दर-महीने देरी होती रही। जब भी कोई शिकायत करता, उसे हटाने की धमकी दी जाती थी। हमने डर के साये में काम किया, अब हमें सड़क पर ला दिया गया। कुछ कर्मचारियों ने बताया कि उन्होंने कई बार अधिकारियों से न्याय की गुहार लगाई, पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।

अब कलेक्टर से न्याय की उम्मीद
नौकरी छूटने से कर्मचारियों के घरों में भूखमरी की स्थिति बनने लगी है। सोमवार के प्रदर्शन के बाद भी जब कोई अधिकारी बात करने नहीं आया, तो कर्मचारियों ने निर्णय लिया कि अब वे कलेक्टर से मिलकर शिकायत दर्ज कराएंगे। उनका कहना है कि अगर प्रशासन ने जल्द समाधान नहीं निकाला, तो वे सामूहिक धरना देंगे। रीना बाई की आंखें भर आईं कि हमने नगर पालिका को अपना घर समझा, लेकिन आज उसी घर ने हमें बेघर कर दिया।
 
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