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Sehore News: फेस अटेंडेंस व्यवस्था बनी मुसीबत, 10 KM दूर से हाजिरी लगाने मजबूरी, 300 के पास मोबाइल ही नहीं

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सीहोर Published by: सीहोर ब्यूरो Updated Tue, 04 Nov 2025 04:16 PM IST
सार

1 नवंबर से लागू फेस रिकग्निशन अटेंडेंस सिस्टम सीहोर नगर पालिका कर्मचारियों के लिए मुसीबत बन गया है। ड्यूटी स्थल और हाजिरी स्थान अलग होने, नेटवर्क समस्याओं और स्मार्टफोन की कमी से हाजिरी मुश्किल हो रही है। पारदर्शिता की कोशिश तकनीकी चुनौतियों के कारण व्यवहारिक समस्या बन गई है। 

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Sehore news:Face attendance chaos in Sehore NAPA, Workers forced to travel 10 km just to mark presence
नपा कर्मचारियों के लिए ‘फेस अटेंडेंस’’ बनी सिरदर्द
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विस्तार
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शासन ने पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से 1 नवंबर से फेस रिकग्निशन आधारित अटेंडेंस प्रणाली लागू की, पर यह व्यवस्था नगर पालिका के कर्मचारियों के लिए मुसीबत बन गई है। ड्यूटी स्थल और अटेंडेंस लोकेशन अलग होने से कर्मचारी परेशान हैं। सफाईकर्मी से लेकर तकनीकी स्टाफ तक को रोजाना नगर पालिका कार्यालय आकर हाजिरी लगानी पड़ रही है, चाहे उनका कार्यस्थल 10 किलोमीटर दूर ही क्यों न हो।

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सीहोर नगर पालिका में काहिरी डेम, भगवानपुरा, जमोनिया, इंटकवेल और पानी की टंकियों पर तैनात कर्मचारियों को अब सिर्फ हाजिरी लगाने के लिए शहर तक आना पड़ रहा है। सफर में एक से डेढ़ घंटे का वक्त बर्बाद हो जाता है, जबकि सफाई या जलापूर्ति जैसी जरूरी सेवाओं में देर होने लगी है। कर्मचारियों का कहना है कि जहां हम काम करते हैं, वहीं से अटेंडेंस लगाने की व्यवस्था होनी चाहिए।
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तकनीकी अड़चनों से बढ़ी समस्या
पहले ही दिन से इस नई व्यवस्था में कई तकनीकी बाधाएं सामने आईं। नेटवर्क समस्या, सर्वर डाउन और ऐप के बार-बार हैंग होने से हाजिरी लगने में 15 से 20 मिनट लग रहे हैं। सीएमओ सुधीर सिंह ने बताया कि पहले दिन मात्र 20 से 25 प्रतिशत कर्मचारी ही अपनी उपस्थिति दर्ज करा सके। उन्होंने माना कि यह व्यवस्था व्यवहारिक रूप से कठिन साबित हो रही है और इस बारे में शासन को अवगत कराया जाएगा।

681 कर्मचारियों में से 300 के पास नहीं स्मार्टफोन
सीहोर नगर पालिका में कुल 681 कर्मचारी कार्यरत हैं, लेकिन उनमें से 300 कर्मचारियों के पास स्मार्टफोन नहीं है। अधिकांश मस्टर रोल या आउटसोर्स कर्मचारी हैं जिन्हें मात्र 10 हजार रुपए महीना वेतन मिलता है। ऐसे में स्मार्टफोन खरीदना उनके लिए मुश्किल है। महिला सफाईकर्मियों के लिए तो यह और भी चुनौतीपूर्ण है क्योंकि उन्हें तकनीकी ज्ञान नहीं है और एप संचालित करना कठिन हो रहा है।

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पारदर्शिता की कोशिश बनी व्यवहारिक चुनौती
शासन का उद्देश्य पारदर्शिता लाना था ताकि वेतन ऐसे कर्मचारियों को न मिले जो काम पर नहीं आते, परन्तु यह कदम उलटा असर दिखा रहा है। नेटवर्क फेल होने या मोबाइल की अनुपलब्धता के कारण कई कर्मचारी अनुपस्थित दर्ज हो रहे हैं, जबकि वे काम पर मौजूद हैं। शासन ने इस व्यवस्था को ई-नगर पालिका 2.0 पोर्टल से जोड़ा है, जिससे उपस्थिति के आधार पर ही वेतन दिया जाएगा। कर्मचारियों को अब डर है कि तकनीकी खामी की सजा उन्हें वेतन कटौती के रूप में भुगतनी पड़ेगी।

कर्मचारियों की गुहार
नगर पालिका कर्मचारियों ने मांग की है कि ड्यूटी स्थल पर ही फेस अटेंडेंस की अनुमति दी जाए या संबंधित दरोगा को उपस्थिति दर्ज करने का अधिकार मिले। सीएमओ सुधीर सिंह का कहना है कि हमने शासन को सभी व्यवहारिक परेशानियों से अवगत करा दिया है, उम्मीद है जल्द समाधान निकलेगा। फिलहाल, कर्मचारियों की हाजिरी कभी सर्वर पर तो कभी रजिस्टर पर ली जा रही है।

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