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Sehore news: लापरवाही की भेंट चढ़ा 39 करोड़ का सीवरेज प्रोजेक्ट, कीचड़ भरी नाली में पाइप डालते पकड़ी गई कंपनी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सीहोर
Published by: सीहोर ब्यूरो
Updated Sun, 16 Nov 2025 04:21 PM IST
सार
सात साल की लंबी ढिलाई के बाद शुरू हुए सीवरेज लाइन बिछाने के काम में आई बड़ी लापरवाही ने कंपनी के काम पर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं। वार्ड पार्षद ने मौके पर पहुंचकर काम रुकवाया और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की।
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मलबे से भरी नाली में डाले जा रहे थे सीवरेज पाइप
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
जिले के भैरूंदा क्षेत्र में वर्ष 2018 में शुरू हुआ 39 करोड़ रुपए का बहुप्रतीसाक्षित सीवरेज प्रोजेक्ट सात साल बाद भी पूरा नहीं हो सका है। विश्व बैंक की सहायता से बनी इस योजना को शहर के भविष्य की स्वच्छता और व्यवस्थित मल-जल प्रबंधन से जोड़ा गया था लेकिन आज इसकी स्थिति बेहद निराशाजनक है। निर्माण में देरी, घटिया गुणवत्ता और लापरवाही ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ताजा मामला शास्त्री कॉलोनी में सामने आया, जिसने कंपनी के कामकाज की असलियत उजागर कर दी।
नाली में ही डाल रहे थे सीवरेज पाइप
वार्ड क्रमांक 13 में सीवरेज लाइन बिछाने का काम जब शुरू हुआ, तो स्थानीय लोगों ने देखा कि कंपनी के कर्मचारी बिना नाली की सफाई किए, कीचड़ और मलबे से भरी नाली में ही पाइप डाल रहे थे। यह दृश्य किसी भी जिम्मेदार परियोजना का हिस्सा नहीं कहा जा सकता। मल-जल निकासी के लिए बनाई गई लाइन को गंदी नाली के भीतर डालना न सिर्फ तकनीकी रूप से गलत है, बल्कि आने वाले वर्षों में नाली चौक होने और शहर में जलभराव की बड़ी समस्या पैदा कर सकता है।
पार्षद ने लापरवाही देखकर रोका काम
जैसे ही इस अनियमितता की जानकारी वार्ड क्रमांक 13 के पार्षद गौरव शर्मा को मिली, वे तुरंत मौके पर पहुंचे और तत्काल काम रुकवाया। साथ ही उन्होंने कड़ी चेतावनी दी कि इस तरह की खानापूर्ति शहर को भारी नुकसान पहुंचा सकती है। उन्होंने कहा कि यह जनता के 39 करोड़ रुपयों की बर्बादी है। उन्होंने कहा कि जब तक गुणवत्ता के अनुसार काम नहीं होगा, मैं इस वार्ड में पाइप नहीं डालने दूंगा।
ये भी पढ़ें: Sehore News: 22 साल पुरानी वोटरों की तलाश ने उड़ाई बीएलओ की नींद, घर-घर सर्च में सामने आ रहीं असल चुनौतियां
सामने आईं सर्वे की गलतियां
शास्त्री कॉलोनी में मल-जल निकासी के लिए पहले चौड़ी गली छोड़ी गई थी लेकिन समय के साथ हुए अतिक्रमणों ने इस गली को नाली में बदल दिया। नगर परिषद ने भी बिना अतिक्रमण हटाए सिर्फ औपचारिकता निभाते हुए नाली का निर्माण कर दिया। सर्वे के दौरान जिस स्थान को मैनहोल और पाइप लाइन के लिए चिन्हित किया जाना चाहिए था, उसे सर्वे टीम ने नजरअंदाज कर दिया। अब कंपनी हाउस कनेक्शन जोड़ने के लिए पीछे से पाइप ला रही है और उसे आगे बने मेनहोल में जोड़ने की कोशिश कर रही है, जिससे गंभीर तकनीकी दिक्कतें पैदा होंगी।
जमीन पर नतीजे शून्य
इस सीवरेज प्रोजेक्ट में 4.2 एमएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट, 42.33 किलोमीटर पाइप लाइन, 1036 मेनहोल, 232 गहरे मेनहोल और 993 मेन चैंबर बनाए जाने का प्रस्ताव था। साथ ही ठेकेदार को 10 वर्षों तक संचालन और संधारण की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके अलावा क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत और पौधरोपण कर पेड़ों के पोषण की जिम्मेदारी भी ठेकेदार पर थी लेकिन सात साल बाद भी न पाइप लाइन पूरी हुई, न मेनहोल सही बने, न सड़कों की स्थिति सुधरी। अब नाली में पाइप डालने की कोशिश ने काम की गुणवत्ता पर बड़े प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं।
पार्षद गौरव शर्मा ने इस पूरे मामले पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि नाली में कीचड़ भरा हुआ है, उसमें पाइप डालना समझ से परे है। यह सीधी लापरवाही नहीं, बल्कि जनता के पैसों का अपमान है। उन्होंने कहा कि शहर की समस्याओं के प्रति कंपनी और नगर परिषद की उदासीनता अब असहनीय हो चुकी है। वे जहां-जहां नाली में पाइप डाले गए हैं, वहां उन्हें निकलवाकर दोबारा सही तरीके से डलवाने की मांग करेंगे।
इतने बड़े प्रोजेक्ट में नगर परिषद और संबंधित विभागों की निगरानी का अभाव साफ दिखाई देता है। सात वर्षों में प्रोजेक्ट अधूरा रहना ही काफी है, लेकिन ऊपर से लापरवाही भरा काम यह संकेत देता है कि जिम्मेदार लोग केवल कागजी कार्रवाई तक सीमित हैं। शहरवासियों का मानना है कि यदि पार्षद समय पर न पहुंचते तो कंपनी नाली में पाइप डालकर आगे बढ़ जाती और भविष्य में शहर एक और बड़ी समस्या से जूझता।
पार्षद द्वारा की गई शिकायत पर प्रोजेक्ट इंजीनियर फुरकान अली ने तुरंत काम रुकवाया और भविष्य में नाली में पाइप न डालने के निर्देश दिए। यह कदम सराहनीय है लेकिन सवाल अब भी वही है, क्या इतनी बड़ी परियोजना बिना निगरानी के ऐसे ही चलती रहेगी? शहर के लोग चाहते हैं कि इस प्रोजेक्ट की गंभीर जांच हो, जिम्मेदारों पर कार्रवाई हो और कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए।
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नाली में ही डाल रहे थे सीवरेज पाइप
वार्ड क्रमांक 13 में सीवरेज लाइन बिछाने का काम जब शुरू हुआ, तो स्थानीय लोगों ने देखा कि कंपनी के कर्मचारी बिना नाली की सफाई किए, कीचड़ और मलबे से भरी नाली में ही पाइप डाल रहे थे। यह दृश्य किसी भी जिम्मेदार परियोजना का हिस्सा नहीं कहा जा सकता। मल-जल निकासी के लिए बनाई गई लाइन को गंदी नाली के भीतर डालना न सिर्फ तकनीकी रूप से गलत है, बल्कि आने वाले वर्षों में नाली चौक होने और शहर में जलभराव की बड़ी समस्या पैदा कर सकता है।
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पार्षद ने लापरवाही देखकर रोका काम
जैसे ही इस अनियमितता की जानकारी वार्ड क्रमांक 13 के पार्षद गौरव शर्मा को मिली, वे तुरंत मौके पर पहुंचे और तत्काल काम रुकवाया। साथ ही उन्होंने कड़ी चेतावनी दी कि इस तरह की खानापूर्ति शहर को भारी नुकसान पहुंचा सकती है। उन्होंने कहा कि यह जनता के 39 करोड़ रुपयों की बर्बादी है। उन्होंने कहा कि जब तक गुणवत्ता के अनुसार काम नहीं होगा, मैं इस वार्ड में पाइप नहीं डालने दूंगा।
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सामने आईं सर्वे की गलतियां
शास्त्री कॉलोनी में मल-जल निकासी के लिए पहले चौड़ी गली छोड़ी गई थी लेकिन समय के साथ हुए अतिक्रमणों ने इस गली को नाली में बदल दिया। नगर परिषद ने भी बिना अतिक्रमण हटाए सिर्फ औपचारिकता निभाते हुए नाली का निर्माण कर दिया। सर्वे के दौरान जिस स्थान को मैनहोल और पाइप लाइन के लिए चिन्हित किया जाना चाहिए था, उसे सर्वे टीम ने नजरअंदाज कर दिया। अब कंपनी हाउस कनेक्शन जोड़ने के लिए पीछे से पाइप ला रही है और उसे आगे बने मेनहोल में जोड़ने की कोशिश कर रही है, जिससे गंभीर तकनीकी दिक्कतें पैदा होंगी।
जमीन पर नतीजे शून्य
इस सीवरेज प्रोजेक्ट में 4.2 एमएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट, 42.33 किलोमीटर पाइप लाइन, 1036 मेनहोल, 232 गहरे मेनहोल और 993 मेन चैंबर बनाए जाने का प्रस्ताव था। साथ ही ठेकेदार को 10 वर्षों तक संचालन और संधारण की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके अलावा क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत और पौधरोपण कर पेड़ों के पोषण की जिम्मेदारी भी ठेकेदार पर थी लेकिन सात साल बाद भी न पाइप लाइन पूरी हुई, न मेनहोल सही बने, न सड़कों की स्थिति सुधरी। अब नाली में पाइप डालने की कोशिश ने काम की गुणवत्ता पर बड़े प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं।
पार्षद गौरव शर्मा ने इस पूरे मामले पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि नाली में कीचड़ भरा हुआ है, उसमें पाइप डालना समझ से परे है। यह सीधी लापरवाही नहीं, बल्कि जनता के पैसों का अपमान है। उन्होंने कहा कि शहर की समस्याओं के प्रति कंपनी और नगर परिषद की उदासीनता अब असहनीय हो चुकी है। वे जहां-जहां नाली में पाइप डाले गए हैं, वहां उन्हें निकलवाकर दोबारा सही तरीके से डलवाने की मांग करेंगे।
इतने बड़े प्रोजेक्ट में नगर परिषद और संबंधित विभागों की निगरानी का अभाव साफ दिखाई देता है। सात वर्षों में प्रोजेक्ट अधूरा रहना ही काफी है, लेकिन ऊपर से लापरवाही भरा काम यह संकेत देता है कि जिम्मेदार लोग केवल कागजी कार्रवाई तक सीमित हैं। शहरवासियों का मानना है कि यदि पार्षद समय पर न पहुंचते तो कंपनी नाली में पाइप डालकर आगे बढ़ जाती और भविष्य में शहर एक और बड़ी समस्या से जूझता।
पार्षद द्वारा की गई शिकायत पर प्रोजेक्ट इंजीनियर फुरकान अली ने तुरंत काम रुकवाया और भविष्य में नाली में पाइप न डालने के निर्देश दिए। यह कदम सराहनीय है लेकिन सवाल अब भी वही है, क्या इतनी बड़ी परियोजना बिना निगरानी के ऐसे ही चलती रहेगी? शहर के लोग चाहते हैं कि इस प्रोजेक्ट की गंभीर जांच हो, जिम्मेदारों पर कार्रवाई हो और कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए।