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Sehore News: मासूमों के भय और मां की व्यथा ने कोर्ट को झकझोरा, दरिंदे को अंतिम सांस तक मिली जेल की सजा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सीहोर Published by: सीहोर ब्यूरो Updated Sat, 01 Nov 2025 10:29 AM IST
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सार

तीन मासूमों के साथ अप्राकृतिक कृत्य करने के मामले में न्यायालय ने कठोर सजा सुनाते हुए आरोपी को अंतिम सांस तक कारावास की सजा सुनाई है। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश ने कहा कि बच्चों के खिलाफ अपराध अक्षम्य हैं और ऐसे अपराधियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा। 

Sehore News: Court Moved by Kids’ Pain and Mother’s Agony, Rapist Sentenced to Life Till Last Breath
फ़ाइल फ़ोटो
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विस्तार
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जिले की भैरुंदा तहसील में इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना पर अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। नसरुल्लागंज निवासी रामू उर्फ रामदास बैरागी ने तीन मासूम बच्चों से घिनौना कुकृत्य किया। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश उषा तिवारी ने उसे अंतिम सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाकर समाज को कठोर संदेश दिया।

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अभियोजन के अनुसार घटना 7 अगस्त 2024 की है, जब पीड़ित बच्चों की मां ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि उनके दोनों बेटे और उनका दोस्त मोहल्ले में खेल रहे थे, तभी रामू बैरागी उन्हें बहाने से अपने घर ले गया। वहां उसने निर्दोष बच्चों के साथ अमानवीय हरकत की, जिससे पूरा मोहल्ला स्तब्ध रह गया।
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जब पहली बार मां को घटना का पता चला, तो उन्होंने इंसानियत पर भरोसा करते हुए रामू को चेतावनी देकर छोड़ दिया लेकिन हैवानियत फिर जागी। 5 अगस्त की शाम रामू ने दोबारा बच्चों के साथ कुकृत्य किया और उन्हें डंडी से धमकाया। बच्चों के भय और मां की व्यथा ने हर संवेदनशील दिल को दहला दिया।

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फरियाद के बाद पुलिस ने तुरंत ही मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया। साक्ष्यों के आधार पर अपराध सिद्ध करने में पुलिस और अभियोजन पक्ष की भूमिका सराहनीय रही। वैज्ञानिक साक्ष्य और गवाहों के बयान ने अदालत के सामने सच्चाई को पूरी तरह उजागर कर दिया।

शासन पक्ष से विशेष लोक अभियोजक मनोज जाट ने यह मामला गंभीरता से प्रस्तुत किया। उन्होंने अदालत के समक्ष सभी प्रमाणों को तार्किक रूप से रखते हुए यह साबित किया कि आरोपी ने तीन मासूमों के साथ जघन्य अपराध किया। अभियोजन की यह सटीक पैरवी ही न्याय की जीत बनी।

फैसला सुनाते हुए प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश ने कहा कि बच्चों के खिलाफ अपराध अक्षम्य हैं और ऐसे अपराधियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा। न्यायालय ने आरोपी को अंतिम सांस तक आजीवन कारावास और 21 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाकर यह स्पष्ट किया कि अब दरिंदों के लिए समाज में कोई जगह नहीं होगी।

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