MP News: बाबा बागेश्वर के केस की सुनवाई अब 02 जून को, जानें कौन सा बयान देकर फंसे हैं धीरेंद्र शास्त्री
कोर्ट ने धीरेंद्र शास्त्री को 20 मई को पेश होने का नोटिस जारी किया था, लेकिन न्यायिक मजिस्ट्रेट सीता शरण यादव की छुट्टी के कारण सुनवाई नहीं हो सकी। शास्त्री की ओर से एक अधिवक्ता ने मेमो के माध्यम से उपस्थिति दर्ज कराई। अब अगली सुनवाई 2 जून 2025 को निर्धारित की गई है।
विस्तार
जिला न्यायालय में 20 मई को कथा वाचक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के खिलाफ दायर आपराधिक परिवाद, महाकुंभ 2025 के दौरान दिए गए विवादास्पद बयान के संबंध में सुनवाई होनी थी। इस मामले में अधिवक्ता संदीप कुमार तिवारी ने शास्त्री के बयान को भड़काऊ और असंवैधानिक बताते हुए परिवाद दायर किया था। कोर्ट ने धीरेंद्र शास्त्री को 20 मई की सुबह 11 बजे उपस्थित होने का नोटिस जारी किया था, लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी, क्योंकि न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी सीता शरण यादव छुट्टी पर हैं।
धीरेंद्र शास्त्री की ओर से एक अधिवक्ता ने मेमो के आधार पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई हैं, जिसके तहत उन्होंने कोर्ट में उपस्थित होकर औपचारिक रूप से मामले में अपनी उपस्थिति चिह्नित की और अब अगली सुनवाई की तारीख 02 जून 2025 को होगी। दोपहर 2.00 तक कथावाचक पंडित धीरेंद्र शास्त्री की तरफ से कोई पक्ष रखने नहीं पहुंचा था, इसके बाद तारीख बढ़ाई गई है। धारा 196, 197( 2), 299, 352, 353 बीएनएस 2023 तथा 66 ए 67 आईटी एक्ट 2000 के तहत परिवाद दायर है। परिवार प्रकरण क्रमांक 185/25 के तहत नोटिस जारी किया गया है।
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जारी नोटिस के अनुसार 'महाकुंभ 2025 के संदर्भ में पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने सार्वजनिक रूप से प्रयागराज में कहा था कि महाकुंभ में हर व्यक्ति को आना चाहिए, जो नहीं आएगा वह पछताएगा और देशद्रोही कहलाएगा।' इस बयान को लेकर शहडोल जिला न्यायालय के अधिवक्ता एवं पूर्व शासकीय अधिवक्ता संदीप तिवारी ने गहरी आपत्ति जताई। उनका कहना है कि यह वक्तव्य न केवल भारतीय संविधान की मूल भावना, विशेष रूप से धर्मनिरपेक्षता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के विरुद्ध है, बल्कि यह भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दंडनीय अपराध भी है।
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उन्होंने अपने परिवाद में कहा कि सेना सैनिक, अस्पतालों में सेवा दे रहे डॉक्टर, कानून व्यवस्था में लगे पुलिसकर्मी, न्यायपालिका के सदस्य, पत्रकार या कोई भी नागरिक जो अपने कर्तव्यों के कारण महाकुंभ में उपस्थित नहीं हो पाता, क्या उसे देशद्रोही कहा जा सकता है? यह वक्तव्य न केवल असंवेदनशील है, बल्कि सामाजिक वैमनस्य फैलाने वाला भी है।
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