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Tikamgarh News: शर्मनाक हालात, शव को नाव से ले जाना पड़ा मुक्तिधाम; यहां टूटी पुलिया का बनना सपने जैसा क्यों?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, टीकमगढ़ Published by: टीकमगढ़ ब्यूरो Updated Tue, 16 Sep 2025 02:27 PM IST
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सार

Tikamgarh News : टीकमगढ़ जिले के रानीपुरा गांव में टूटी पुलिया का निर्माण न होने से ग्रामीणों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालात इतने खराब हैं कि अंतिम संस्कार के लिए भी शव को नाव में रखकर मुक्तिधाम ले जाना पड़ रहा है।

In Tikamgarh district, the dead body has to be taken on a boat for cremation
सड़क न होने की वजह से शव को नाव से ले जाना पड़ा मुक्तिधाम। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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मूलभूत सुविधाओं के विस्तार के कितने भी दावे क्यों न किए जा रहे हों, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। ताजा मामला टीकमगढ़ जिले के रानीपुरा गांव का है, जहां पुलिया टूटे होने के कारण लोगों को शव को नाव में रखकर मुक्तिधाम तक ले जाना पड़ा।

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सोमवार को गांव की फूलवती केवट (55 वर्ष) पत्नी घनश्याम केवट का बीमारी से निधन हो गया। अंतिम संस्कार के लिए शव को मुक्तिधाम ले जाने के दौरान पुलिया टूटी होने से लोगों को मजबूरी में नाव का सहारा लेना पड़ा। पहले शव को नाव से दूसरी ओर ले जाया गया, फिर ग्रामीणों ने नाव के जरिए मुक्तिधाम तक पहुंचकर अंतिम संस्कार किया।

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आने-जाने में परेशानी 
ग्रामीणों ने बताया कि हर साल बारिश के बाद यही समस्या सामने आती है। पठला घाट की पुलिया टूटने से आने-जाने में परेशानी हो रही है। यह पुलिया 2002 में बनाई गई थी और रानीपुरा को शंकरगढ़ से जोड़ती है। टूटने के बाद इसका पुनर्निर्माण नहीं हुआ है।

प्रशासन का कहना
जतारा जनपद पंचायत के सीईओ सिद्धगोपाल वर्मा ने बताया कि यहां मोहनगढ़ तालाब का पानी भर जाने से दिक्कत हो रही है। जैसे ही पानी कम होगा, पुलिया का निर्माण कराया जाएगा।

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ग्रामीणों की नाराजगी
गांव की सरपंच मुन्नी यादव ने बताया कि पिछले साल बारिश में पुलिया टूट गई थी। इसके बाद से ग्रामीण लगातार परेशान हैं। अब शंकरगढ़ जाने के लिए लोगों को करीब 1 किलोमीटर लंबा चक्कर लगाना पड़ रहा है। कई बार प्रशासन और जनपद के अधिकारियों से पुलिया बनाने की मांग की गई, लेकिन अब तक कोई ध्यान नहीं दिया गया।

ग्रामीणों का कहना है कि यह सिर्फ एक समस्या नहीं है, बल्कि और भी कई दिक्कतें हैं जिन पर प्रशासन ध्यान नहीं देता। इस बार बारिश के दौरान यह दूसरी घटना है, जब शव को नाव से मुक्तिधाम ले जाना पड़ा। खैर तमाम दावों के बीच वर्षों से सड़क और पुल का बनना यहां के ग्रामीणों के लिए एक सपने जैसा है। देखना होगा कि यह सपना कब-तक पूरा हो पाता है..?

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