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Tikamgarh News: धसान नदी में अवैध रेत खनन जारी, किसके इसारे पर लगी लिफ्टर मशीन? एनजीटी के नियमों की अनदेखी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, टीकमगढ़
Published by: तरुणेंद्र चतुर्वेदी
Updated Fri, 19 Dec 2025 02:47 PM IST
सार
टीकमगढ़ जिले के पलेरा ब्लॉक से गुजरने वाली धसान नदी में एनजीटी के निर्देशों को ताक पर रखकर खुलेआम अवैध रेत खनन किया जा रहा है। आरोप है कि यह पूरा कारोबार स्थानीय प्रशासन और खनन विभाग की मिलीभगत से चल रहा है।
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धसान नदी में रेत माफिया बेखौफ, किसके इसारे में लगाई गई है लिफ्टर मशीन।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
टीकमगढ़ जिले में अवैध रेत खनन का कारोबार बेलगाम होता जा रहा है। जिले के पलेरा ब्लॉक से गुजरने वाली धसान नदी में रेत माफिया बेखौफ होकर नदी का सीना चीर रहे हैं। एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद नदी के भीतर लिफ्टर मशीनें लगाकर खुलेआम अवैध रेत खनन किया जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि यह पूरा खेल कथित तौर पर स्थानीय पुलिस, प्रशासन और खनन विभाग के संरक्षण में चल रहा है।
माइनिंग विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, टीकमगढ़ जिले में रेत खनन का ठेका महालक्ष्मी ग्रुप को दिया गया है। लेकिन आरोप है कि ठेका कंपनी द्वारा नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए पलेरा ब्लॉक की ग्राम पंचायत गोना के मजरा कुटन घाट पर अवैध खनन किया जा रहा है। यह घाट शासन द्वारा स्वीकृत नहीं है, इसके बावजूद यहां नदी के अंदर कई लिफ्टर मशीनें लगाकर बड़े पैमाने पर रेत निकाली जा रही है।
भारी वाहनों की आवाजाही से सड़कों की हालत खराब
स्थानीय ग्रामीण राजकुमार ने बताया कि पिछले करीब एक माह से लगातार लिफ्टर मशीनें धसान नदी में चल रही हैं। प्रतिदिन लगभग 500 ट्रक रेत का अवैध खनन किया जा रहा है। भारी वाहनों की आवाजाही से गांव की सड़कों की हालत खराब हो चुकी है और नदी का प्राकृतिक स्वरूप भी नष्ट हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार शिकायत के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिससे रेत माफियाओं के हौसले और बुलंद हो गए हैं।
जानें एसडीएम क्या बोले इस मुद्दे पर?
इस मामले में जतारा एसडीएम संजय दुबे ने कहा कि प्रशासन द्वारा पूर्व में भी अवैध रेत खनन के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। उन्होंने बताया कि अब फिर से सूचना प्राप्त हुई है, जिस पर खनिज विभाग के साथ मिलकर जल्द ही छापा मार कार्रवाई की जाएगी। एसडीएम ने साफ शब्दों में कहा कि किसी भी कीमत पर नदी के अंदर लिफ्टर लगाकर रेत खनन नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह एनजीटी के निर्देशों का खुला उल्लंघन है।
ये भी पढ़ें- MP News: बच्चों को HIV संक्रमित रक्त चढ़ाने का मामला, तीन कर्मचारी सस्पेंड, पूर्व सिविल सर्जन को नोटिस जारी
'सब मैनेज करके ही होता है'
वहीं, महालक्ष्मी ग्रुप के कर्मचारी छोटे राजा का बयान प्रशासनिक दावों पर सवाल खड़े करता है। उसने खुलेआम कहा कि नदी से रेत निकालने के लिए लिफ्टर का उपयोग करना मजबूरी है और “सब मैनेज करके ही होता है।” यह बयान अवैध खनन में मिलीभगत की आशंका को और गहरा करता है।
धसान नदी में हो रहा यह अवैध खनन न केवल पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा है, बल्कि शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है। अब देखना होगा कि प्रशासन की कथित कार्रवाई सिर्फ कागजों तक सीमित रहती है या वास्तव में रेत माफियाओं पर प्रभावी शिकंजा कस पाता है।
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माइनिंग विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, टीकमगढ़ जिले में रेत खनन का ठेका महालक्ष्मी ग्रुप को दिया गया है। लेकिन आरोप है कि ठेका कंपनी द्वारा नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए पलेरा ब्लॉक की ग्राम पंचायत गोना के मजरा कुटन घाट पर अवैध खनन किया जा रहा है। यह घाट शासन द्वारा स्वीकृत नहीं है, इसके बावजूद यहां नदी के अंदर कई लिफ्टर मशीनें लगाकर बड़े पैमाने पर रेत निकाली जा रही है।
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भारी वाहनों की आवाजाही से सड़कों की हालत खराब
स्थानीय ग्रामीण राजकुमार ने बताया कि पिछले करीब एक माह से लगातार लिफ्टर मशीनें धसान नदी में चल रही हैं। प्रतिदिन लगभग 500 ट्रक रेत का अवैध खनन किया जा रहा है। भारी वाहनों की आवाजाही से गांव की सड़कों की हालत खराब हो चुकी है और नदी का प्राकृतिक स्वरूप भी नष्ट हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार शिकायत के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिससे रेत माफियाओं के हौसले और बुलंद हो गए हैं।
जानें एसडीएम क्या बोले इस मुद्दे पर?
इस मामले में जतारा एसडीएम संजय दुबे ने कहा कि प्रशासन द्वारा पूर्व में भी अवैध रेत खनन के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। उन्होंने बताया कि अब फिर से सूचना प्राप्त हुई है, जिस पर खनिज विभाग के साथ मिलकर जल्द ही छापा मार कार्रवाई की जाएगी। एसडीएम ने साफ शब्दों में कहा कि किसी भी कीमत पर नदी के अंदर लिफ्टर लगाकर रेत खनन नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह एनजीटी के निर्देशों का खुला उल्लंघन है।
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'सब मैनेज करके ही होता है'
वहीं, महालक्ष्मी ग्रुप के कर्मचारी छोटे राजा का बयान प्रशासनिक दावों पर सवाल खड़े करता है। उसने खुलेआम कहा कि नदी से रेत निकालने के लिए लिफ्टर का उपयोग करना मजबूरी है और “सब मैनेज करके ही होता है।” यह बयान अवैध खनन में मिलीभगत की आशंका को और गहरा करता है।
धसान नदी में हो रहा यह अवैध खनन न केवल पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा है, बल्कि शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है। अब देखना होगा कि प्रशासन की कथित कार्रवाई सिर्फ कागजों तक सीमित रहती है या वास्तव में रेत माफियाओं पर प्रभावी शिकंजा कस पाता है।

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