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राजस्थान का रण: गठबंधन की गांठें भले ही उलझीं लेकिन गुंजाइश अभी भी बाकी, भाजपा बागियों को साधने में जुटीं

पंकज चतुर्वेदी, जयपुर Published by: जलज मिश्रा Updated Fri, 22 Mar 2024 06:40 AM IST
सार

तमाम उतार चढ़ाव के बावजूद हनुमान बेनीवाल और कांग्रेस में बाड़मेर और नागौर में समझौते की उम्मीद बरकरार है। बाड़मेर में कांग्रेस ने हनुमान बेनीवाल की रालोपा से आए उम्मेदाराम बेनीवाल को प्रत्याशी बना दिया है। लेकिन हनुमान बेनीवाल की संसदीय सीट रही नागौर से प्रत्याशी घोषित नहीं किया है।

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Rajasthan Election though the knots of alliance got entangled BJP busy in taming rebels
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विस्तार
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चुनावों में आमतौर पर भाजपा और कांग्रेस के बीच आमने—सामने की लड़ाई के गवाह रहे राजस्थान सियासी गठबंधन की गांठें फिलहाल उलझ सी दिख रही हैं, लेकिन गुंजाइश समाप्त नहीं हुई है। पिछली बार हनुमान बेनीवाल की पार्टी रालोपा के साथ एक सीट का गठबंधन करने वाली भाजपा इस बार किसी समझौते में नहीं गई, लेकिन दो आम चुनावों से खाता नहीं खोल पाई कांग्रेस अभी भी कुछ सीटों पर वेट एंड वॉच की स्थिति में है। माना जा रहा है कि पार्टी बागड़ में आदिवासी वोट बैंक और शेखावाटी व मारवाड़ में जाट समुदाय को अपने पक्ष में करने के लिए अब भी गठबंधन की राह पकड़ सकती है। मोटे तौर पर ये सीटें बांसवाड़ा, नागौर, बाड़मेर और सीकर की हैं। इन सीटों पर अभी कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं।

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अब 11 सीटों पर मुकाबला तय
  1. बीकानेर: अर्जुनराम मेघवाल-गोविंदराम मेघवाल
  2. चूरू: देवेन्द्र झाझडिया-राहुल कस्वां
  3. अलवर: भूपेन्द्र यादव-ललित यादव
  4. भरतपुर: रामस्वरूप कोली-संजना जाटव
  5. जोधपुर: गजेन्द्र सिंह शेखावत-करण सिंह उचियारड़ा
  6. जालोर: लुम्बाराम चौधरी-वैभव गहलोत
  7. उदयपुर: मन्ना लाल रावत-ताराचंद मीणा
  8. चित्तौडगढ़: सी.पी.जोशी-उदयलाल आंजना
  9. बाड़मेर: कैलाश चौधरी-उम्मेदाराम बेनीवाल
  10. झालावाड़-बारां: दुष्यंत सिंह-उर्मिला जैन भाया
  11. पाली: पी.पी.चौधरी-संगीता बेनीवाल
रालोपा : राह में उतार चढ़ाव
तमाम उतार चढ़ाव के बावजूद हनुमान बेनीवाल और कांग्रेस में बाड़मेर और नागौर में समझौते की उम्मीद बरकरार है। बाड़मेर में कांग्रेस ने हनुमान बेनीवाल की रालोपा से आए उम्मेदाराम बेनीवाल को प्रत्याशी बना दिया है। लेकिन हनुमान बेनीवाल की संसदीय सीट रही नागौर से प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। इधर, हनुमान ने भी बाड़मेर और नागौर में अपने पत्ते नहीं खोले। ऐसे में अब रालोपा बाड़मेर में उम्मीदवार नहीं उतारे और कांग्रेस नागौर पर समझौता करे तो यह गठबंधन परवान चढ़ सकता है।
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बीएपी : डोर खिंची पर टूटी नहीं
आदिवासी बागड क्षेत्र में वर्चस्व रखने वाली बीएपी और कांग्रेस के बीच बांसवाड़ा—डूंगरपुर सीट को लेकर समझौते की तेज चर्चा थी। इस क्षेत्र में कांग्रेस के कद्दावर रहे महेन्द्रजीत सिंह मालवीय अब पाला बदल कर भाजपा के उम्मीदवार हैं। बीएपी मौजूदा विधायक राजकुमार रोत अपना उम्मीदवार बना चुकी है और कांग्रेस का फैसला शेष है। पूर्व में रोत की पार्टी रही बीटीपी ने यहां पिछले चुनाव में 17 प्रतिशत वोट बटोरे थे। ऐसे में कांग्रेस बीएपी से समझौता कर भाजपा को रोकने का प्रयास कर सकती है।

वामदल से कांग्रेस को उम्मीद 
सीकर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस और वामदलों का गठबंधन हो चुका है। अब इस जुगलबंदी से कांग्रेस को उम्मीद है कि शेखावाटी के अलावा भी राज्य में छितरे पड़ा वामदल वोट बैंक शायद उसे फायदा पहुंचा दे।  

भाजपा जोड़तोड़ से साध रही समीकरण
भाजपा राज्य में कहीं गठबंधन तो नहीं करती दिख रही, लेकिन विधानसभा चुनावों के दौरान बिगड़े सियासी समीकरणों को साधने में जरूर लगी है। खुद प्रदेशाध्यक्ष सी.पी.जोशी की चित्तौड़गढ़ सीट पर खतरा लग रहे विधायक चंद्रभान सिंह आक्या को भाजपा ने मना लिया। आक्या भाजपा से बागी होकर निदर्लीय चुनाव जीते थे।  इस चुनाव में भी उनके उतरने की संभावना थी। लेकिन मुख्यमंत्री भजनलाल और खुद जोशी ने उनकी मान मनौव्वल की। इसके अलावा, जोधपुर सीट पर गजेन्द्र सिंह शेखावत के लिए खतरा माने जा रहे शेरगढ़ से भाजपा विधायक बाबू सिंह को भी सीएम ने मना कर संभावित अड़चन को दूर किया।

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