Meen Sankranti festival 2022: वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब ग्रहों का राशि परिवर्तन तो इसका व्यापक प्रभाव मनुष्यों के जीवन पर पड़ता है। सभी 09 ग्रह समय-समय पर राशि परिवर्तन करते रहते हैं। इसी में सभी ग्रहों के राजा भगवान सूर्यदेव भी है जो एक महीने के अंतराल पर एक से दूसरी राशि में गोचर करते हैं। सूर्य के गोचर को संक्रांति कहा जाता है। सालभर में कुल 12 संक्रांतियां पड़ती है। सूर्यदेव जिस राशि में भ्रमण करते हैं उस नाम से संक्राति कहा जाता है। सूर्यदेव अभी कुंभ राशि की यात्रा पर है ऐसे में यह कुंभ संक्रांति कहलाएगी। इसके बाद यानी 15 मार्च को सूर्यदेव मीन राशि में प्रवेश कर जाएंगे तब इस मीन संक्रांति कहा जाएगा। शास्त्रों में मीन संक्रांति का विशेष महत्व होता है। सूर्य संक्रांति के दौरान पवित्र नदियों में स्नान,दान,तप करने पर विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन सूर्यदेव की विशेष उपासना और मंत्रों का जाप करने से जीवन में सदैव सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। फाल्गुन माह में पड़ने वाली संक्रांति को मीन संक्रांति कहा जाता है।
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Meen Sankranti 2022: कब मनाई जाएगी मीन संक्रांति,जानिए महत्व, शुभ मुहूर्त, मंत्र और पूजा विधि
ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: विनोद शुक्ला
Updated Tue, 08 Mar 2022 07:15 AM IST
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मीन संक्रांति का महत्व
वैसे तो सभी संक्रांतियों का विशेष महत्व होता है लेकिन मीन संक्रांति के दिन गंगा स्नान और दान करने पर विशेष रूप से फलदायी मानी गई है। इस दिन सुबह जल्दी से उठकर भगवान सूर्यदेव की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। ज्योतिष में सूर्यदेव को आत्मा और मान-सम्मान का कारक ग्रह माना गया है इसलिए संक्रांति पर गंगा स्नान और सूर्यदेव की पूजा करने पर पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। संक्रांति के दिन में गुप्त शत्रुओं का नाश करने और मन से नकारात्मक ऊर्जा का दूर करने के लिए आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करना चाहिए।
वैसे तो सभी संक्रांतियों का विशेष महत्व होता है लेकिन मीन संक्रांति के दिन गंगा स्नान और दान करने पर विशेष रूप से फलदायी मानी गई है। इस दिन सुबह जल्दी से उठकर भगवान सूर्यदेव की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। ज्योतिष में सूर्यदेव को आत्मा और मान-सम्मान का कारक ग्रह माना गया है इसलिए संक्रांति पर गंगा स्नान और सूर्यदेव की पूजा करने पर पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। संक्रांति के दिन में गुप्त शत्रुओं का नाश करने और मन से नकारात्मक ऊर्जा का दूर करने के लिए आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करना चाहिए।
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सूर्य देव
कब है सूर्य का राशि परिवर्तन
सूर्यदेव अपनी कुंभ राशि की यात्रा को विराम देते हुए 14 और 15 मार्च की मध्य रात्रि को 12 बजकर 16 मिनट पर मीन राशि में प्रवेश कर जाएंगे। जैसे ही सूर्यदेव मीन राशि में गोचर होंगे तब से मीन संक्रांति आरंभ हो जाएगी।
सूर्यदेव अपनी कुंभ राशि की यात्रा को विराम देते हुए 14 और 15 मार्च की मध्य रात्रि को 12 बजकर 16 मिनट पर मीन राशि में प्रवेश कर जाएंगे। जैसे ही सूर्यदेव मीन राशि में गोचर होंगे तब से मीन संक्रांति आरंभ हो जाएगी।
सूर्य देव
मीन संक्रांति शुभ मुहूर्त :
महापुण्यकाल- सुबह 06 बजकर 31 मिनट से सुबह 08 बजकर 31 मिनट तक
पुण्यकाल- सुबह 08 बजकर 31 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक
महापुण्यकाल- सुबह 06 बजकर 31 मिनट से सुबह 08 बजकर 31 मिनट तक
पुण्यकाल- सुबह 08 बजकर 31 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक
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सूर्य देव
सूर्य उपासना के मंत्र
सूर्य की साधना में मंत्रों का जप करने पर मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती है। सुख-समृद्धि और अच्छी सेहत का आशीर्वाद प्राप्त होता है। तमाम तरह की बीमारी और जीवन से जुड़े अपयश दूर हो जाते हैं। सूर्य के आशीर्वाद से आपके भीतर एक नई ऊर्जा का संचार होता है। जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता दिलाने वाले सूर्य मंत्र इस प्रकार हैं -
एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणाध्र्य दिवाकर।।
ॐ घृणि सूर्याय नमः।।
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पतेए अनुकंपयेमां भक्त्याए गृहाणार्घय दिवाकररू।।
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।।
सूर्य की साधना में मंत्रों का जप करने पर मनोकामनाएं शीघ्र पूर्ण होती है। सुख-समृद्धि और अच्छी सेहत का आशीर्वाद प्राप्त होता है। तमाम तरह की बीमारी और जीवन से जुड़े अपयश दूर हो जाते हैं। सूर्य के आशीर्वाद से आपके भीतर एक नई ऊर्जा का संचार होता है। जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता दिलाने वाले सूर्य मंत्र इस प्रकार हैं -
एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणाध्र्य दिवाकर।।
ॐ घृणि सूर्याय नमः।।
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पतेए अनुकंपयेमां भक्त्याए गृहाणार्घय दिवाकररू।।
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।।

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