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Karwa Chauth 2025: करवा चौथ पर क्यों होती है चंद्रमा की पूजा? जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथा, पूजा विधि और महत्व

ज्योतिषाचार्य पं. मनोज कुमार द्विवेदी Published by: ज्योति मेहरा Updated Thu, 09 Oct 2025 03:08 PM IST
सार

Karwa Chauth 2025: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौख का व्रत रखा जाता है, जिसमें सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला उपवास किया जाता है।

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Karwa Chauth 2025 why moon is worshipped on karwa chauth significance and puja vidhi in hindi
Karwa Chauth 2025 जानें करवा चौथ की शुरुआत कैसे हुई? - फोटो : अमर उजाला

Karwa Chauth 2025 Vrat Niyam: करवा चौथ का पावन पर्व 10 अक्तूबर को मनाया जाएगा। यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है, जिसमें सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला उपवास किया जाता है। इस व्रत की महिमा केवल पति-पत्नी के प्रेम और विश्वास में ही नहीं, बल्कि इसमें छिपे दार्शनिक और आध्यात्मिक संदेश में भी निहित है।


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करवा चौथ की शुरुआत कैसे हुई?
करवा चौथ की परंपरा देवताओं के समय से चली आ रही है। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार देवताओं और दानवों में युद्ध शुरू हो गया और उस युद्ध में देवताओं की हार होने लगी। भयभीत देवता ब्रह्मदेव के पास गए और उनसे रक्षा की प्रार्थना की। ब्रह्मदेव ने कहा कि इस संकट से बचने के लिए सभी देवताओं की पत्नियों को अपने-अपने पतियों के लिए व्रत रखना चाहिए और सच्चे दिल से उनकी विजय की कामना करनी चाहिए। ब्रह्मदेव ने यह वचन दिया कि ऐसा करने पर इस युद्ध में देवताओं की जीत निश्चित हो जाएगी। ब्रह्मदेव के इस सुझाव को सभी ने स्वीकार किया।

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करवा चौथ की पौराणिक कथा - फोटो : freepik

ब्रह्मदेव के कहे अनुसार कार्तिक माह की चतुर्थी के दिन सभी देवताओं की पत्नियों ने व्रत रखा और अपने पतियों की विजय के लिए प्रार्थना की। उनकी यह प्रार्थना स्वीकार हुई और युद्ध में देवताओं की जीत हुई। इस खुशखबरी को सुन कर सभी देव पत्नियों ने अपना व्रत खोला और खाना खाया। उस समय आकाश में चांद भी निकल आया था। माना जाता है कि इसी दिन से करवा चौथ के व्रत के परंपरा शुरू हुई।

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महाभारत में भी करवा चौथ का वर्णन - फोटो : freepik

महाभारत में भी करवा चौथ का वर्णन
महाभारत में भी करवा चौथ के महात्म्य के बारे में बताया गया है। भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को करवा चौथ की कथा सुनाते हुए कहा था कि पूरी श्रद्धा और विधि-पूर्वक इस व्रत को करने से समस्त दुख दूर हो जाते हैं। श्री कृष्ण भगवान की आज्ञा मानकर द्रौपदी ने भी करवा-चौथ का व्रत रखा था। इस व्रत के प्रभाव से ही पांचों पांडवों ने महाभारत के युद्ध में विजय हासिल की।

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करवा चौथ व्रत का महत्व  - फोटो : freepik

करवा चौथ व्रत का महत्व 
इस व्रत में भगवान शिव शंकर, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेश और चंद्र देवता की पूजा का विधान है। व्रत वाले दिन कथा सुनना बेहद जरूरी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि करवाचौथ की कथा सुनने से विवाहित महिलाओं का सुहाग अखंड रहता है, उनके घर में सुख,शान्ति,समृद्धि आती है और सन्तान सुख मिलता है।

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Pooja Thali - फोटो : freepik

'करवा चौथ' का अर्थ
करवा चौथ का नाम ही अपने रहस्य को समेटे हुए है। “करवा” एक मिट्टी का विशेष बर्तन होता है। प्राचीन काल में मिट्टी के बने बर्तन ही धार्मिक अनुष्ठानों में प्रमुखता से प्रयुक्त होते थे, क्योंकि वे प्राकृतिक और पवित्र माने जाते थे। आज भी करवा चौथ की पूजा में दो करवे बनाए जाते हैं। इन पर रक्षा सूत्र बाँधा जाता है और आटे व हल्दी से स्वस्तिक का चिन्ह अंकित किया जाता है।

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