Shardiya Navratri Day 8: आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि का आरंभ होता है और इसका समापन नवमी तिथि पर होता है। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 22 सितंबर से हुई थी और आज इसका आठवां दिन है, जिसे महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की विशेष पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यता है कि वह भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं, इसलिए उनकी आराधना करने से भोलेनाथ का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इस अवसर पर कई लोग कन्या पूजन भी करते हैं।
Navratri Day 8: महाअष्टमी पर करें इस आरती और मंत्र से मां महागौरी की पूजा, जानें शुभ मुहुर्त और पूजा विधि
अष्टमी के दिन मां की विधिवत पूजा, मंत्र-आरती करने और उन्हें विशेष भोग लगाने से साधक को संपूर्ण फल की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइए जानते हैं मां महागौरी की पूजा विधि, मंत्र, भोग और आरती...
महाअष्टमी 2025 शुभ मुहूर्त
इस साल अष्टमी तिथि का प्रारम्भ 29 सितंबर को शाम 04:31 बजे शुरू होगी और इसके समापन 30 सितंबर को शाम 06:06 बजे होगा। ऐसे में महाअष्टमी का पर्व 30 सितंबर 2025 को मनाया जाएगा।
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दुर्गा अष्टमी का पूजन मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 4:37 से 5:25 बजे तक (स्नान व ध्यान के लिए उत्तम)
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:47 से 12:35 बजे तक
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त: प्रातः 10:40 से 12:10 बजे
मां महागौरी की पूजा विधि
- इस दिन प्रातः स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें और मां महागौरी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- घी का दीपक जलाएं और मां को रोली, चंदन, अक्षत, धूप व पीले फूल अर्पित करें।
- नारियल, पूड़ी, काले चने और हलवे का भोग लगाएं।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और मां का मंत्र जाप और आरती करें।
मां महागौरी का प्रिय भोग
मां महागौरी को नारियल से बने व्यंजन विशेष रूप से प्रिय हैं। आप चाहें तो घर पर नारियल आधारित पकवान जैसे नारियल लड्डू, नारियल की बर्फी आदि बनाकर देवी को भोग लगा सकते हैं। यह सरल होने के साथ-साथ देवी को प्रसन्न करने का उत्तम माध्यम है।
मां महागौरी की आरती
जय महागौरी जगत की माया ।
जय उमा भवानी जय महामाया ॥
हरिद्वार कनखल के पासा ।
महागौरी तेरा वहा निवास ॥
चंदेर्काली और ममता अम्बे
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे ॥
भीमा देवी विमला माता
कोशकी देवी जग विखियाता ॥
हिमाचल के घर गोरी रूप तेरा
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ॥
सती 'सत' हवं कुंड मै था जलाया
उसी धुएं ने रूप काली बनाया ॥
बना धर्म सिंह जो सवारी मै आया
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ॥
तभी मां ने महागौरी नाम पाया
शरण आने वाले का संकट मिटाया ॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता
माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ॥
'चमन' बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो
महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो ॥

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