ज्योतिष : मकर, धनु और कुंभ राशि पर शनि की छाया, जानिए इन पर से कब हटेगी साढ़ेसाती?
शनि की साढ़ेसाती
जब शनि का गोचर किसी एक राशि में होता है तो शनि उस राशि में ढाई साल तक रहते हैं। ढाई साल के बाद ही शनि का राशि परिवर्तन दूसरी राशि में होता है। ज्योतिष गणना के अनुसार चंद्र राशि से जब शनि 12वें भाव, पहले भाव व द्वितीय भाव से निकलते हैं। उस अवधि को शनि की साढ़े साती कहा जाता है। शनि जिस राशि में गोचर करते हैं तो राशिक्रम के हिसाब से उस राशि के आगे और पीछे वाली राशि पर भी अपना असर डालते हैं। इस तरह से शनि एक राशि पर साढ़े सात साल तक रहते हैं। इस साढ़े सात साल के समय को ही शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है। फिर जैसे-जैसे शनि आगे बढ़ते हैं साढ़ेसाती उतरती जाती है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार प्रत्येक ग्रह की कुछ राशियां उच्च की और कुछ नीच की होती है। शनिदेव तुला राशि में उच्च के होते हैं और इस राशि के स्वामी शुक्र ग्रह हैं। ऐसे में शनिदेव तुला राशि के जातकों पर शुभ प्रभाव डालते हैं। मकर और कुंभ राशि के स्वामी शनिदेव होते हैं इसलिए जिन लोगों की राशियां मकर और कुंभ होती हैं उन पर शनिदेव की विशेष कृपा होती है। इस तरह तुला, मकर और कुंभ शनिदेव की तीन प्रिय राशियां होती हैं। ऐसे में इन तीन राशि के जातकों को शनिदेव की विशेष पूजा आराधना करनी चाहिए।
24 जनवरी 2019 से शनिदेव मकर राशि में हैं। मकर राशि शनि की राशि है। शनि के मकर राशि में विराजमान होने के कारण इस पर साढ़ेसाती का दूसरा चरण चल रहा है। मकर राशि पर शनि की साढ़ेसाती 29 मार्च 2025 तक रहेगी।
शनि के मकर राशि में भ्रमण करने की वजह से कुंभ राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण चल रहा है। ज्योतिष गणना के अनुसार 3 जून 2027 तक कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती रहेगी।

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