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Ratna Sansar: शनि के कुप्रभाव से बचने के लिए इस तरह धारण करें नीलम, ज्योतिष शास्त्र से जानिए इसके लाभ

ज्योतिष डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: श्वेता सिंह Updated Sat, 19 Feb 2022 08:01 AM IST
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Ratna Sansar: शनि देव की कुदृष्टि और महादशा से बचने के लिए नीलम रत्न बड़ी तेजी से अपना प्रभाव दिखाता है। - फोटो : istock

Ratna Sansar: ज्योतिष शास्त्र में 9 ग्रहों के राशि परिवर्तन का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर देखने को मिलता है।  शनि और राहु-केतु की कुदृष्टि से हर व्यक्ति घबराता है। हर मनुष्य चाहता है कि उनके जीवन में शनि देव की कृपा बनी रहे। शनि देव कुंभ और मकर राशि के अधिपति हैं। शनि देव न्याय के देवता माने जाते हैं,  व्यक्ति के कर्मों के अनुसार ही उन्हें फल मिलता है। ग्रहों की अशुभ दृष्टि व्यक्ति के जीवन पर अशुभ प्रभाव डालती है। ज्योतिष शास्त्र मानता है कि शनि देव की कुदृष्टि और महादशा से बचने के लिए नीलम रत्न बड़ी तेजी से अपना प्रभाव दिखाता है। अगर इसका शुभ प्रभाव हुआ तो इसका असर दिखने लगता है। लेकिन नीलम या कोई भी रत्न पहनने से पहले कुछ चीजें ध्यान में रखनी चाहिए। क्योंकि अगर इसका असर उल्टा हुआ तो आपको बुरा परिणाम भी तुरंत दिखने लगेगा। इसलिए ये रत्न पहनने से पहले ज्योतिषीय सलाह जरूर लें। आइए जानते हैं नीलम की पहचान कैसे की जाती है और इसको धारण करने की विधि और उसके लाभ क्या हैं। 

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Ratna Sansar: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि व्यक्ति की कुंडली में कोई समस्या है तो आसमानी नीले रंग के नीलम का प्रयोग करना चाहिए। - फोटो : istock

नीलम की पहचान करने का तरीका 
नीलम हमेशा उत्तम क्वालिटी का ही नीलम पहनना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि व्यक्ति की कुंडली में कोई समस्या है तो आसमानी नीले रंग के नीलम का प्रयोग करना चाहिए। नीलम असली है या नकली यह जानने के लिए इसे दूध के बर्तन में रख दें। यदि इसके बाद दूध का रंग नीला दिखने लगे तो रत्न असली है। इसके साथ ही नीलम रत्न को पानी के गिलास में रखने के बाद पानी में से किरणें निकलती दिखाई देती हैं तो नीलम असली है। इस रत्न को खरीदते समय ये भी ध्यान दें कि असली नीलम के अन्दर ध्यान से देखने पर दो परत दिखाई देती है। ये दोनों परत एक-दूसरे के सामंतर होती है।

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Ratna Sansar: नीलम के बारे कहा जाता है कि यह रंक से राजा और राजा को रंक तक बना देता है - फोटो : istock

शनि ग्रह का रत्न है नीलम
नीलम एक चमत्कारी रत्न है, इसे धारण करने से मन में, तीव्रता आती है, व्यवहार बदलाव करता है। माना जाता है कि नीलम धारण करने से व्यक्ति तरक्की की नई-नई सीढ़ियां चढ़ता चला जाता है। दूसरी ओर यह भी सत्य है कि जिन लोगों को नीलम रास नहीं आता, उनके जीवन तक को खतरा बना रहता है। नीलम के बारे कहा जाता है कि यह रंक से राजा और राजा को रंक तक बना देता है। नीलम धारण करते समय काफी सावधानी बरतनी चाहिए। नीलम शनि का रत्न माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जिस प्रकार शनिदेव किसी जातक के लिए शुभ तो किसी के लिए अशुभ होते हैं, उसी प्रकार नीलम लंबे समय तक किसी के लिए शुभ तो किसी के ऊपर अपने अशुभ प्रभाव दर्शाता है।

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Ratna Sansar: नीलम धारण करने के 3 से 6 कैरेट के नीलम रत्न को स्वर्ण या पंचधातु की अंगूठी में जड़वाना चाहिए।  - फोटो : istock

नीलम रत्न को धारण करने की विधि
नीलम रत्न नीचे दी गई विधि से धारण करेंगे तो आपको इसका शुभ प्रभाव प्राप्त होगा। आइए जानते हैं नीलम धारण करने की विधि- 

  • नीलम धारण करने के 3 से 6 कैरेट के नीलम रत्न को स्वर्ण या पंचधातु की अंगूठी में जड़वाना चाहिए। 
  • तत्पश्चात उचित शुभ मुहूर्त अनुसार किसी शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को सुर्योदय के पश्चात स्नान कर अंगूठी का शुद्धिकरण करना चाहिए। 
  • इसके लिए गंगा जल, दूध, केसर और शहद के घोल में अंगूठी को 15 से 20 मिनट तक रख दें और शनि देव की आराधना करें। 
  • अब अंगूठी को घोल से निकाल कर गंगा जल से धो ले।
  • नीलम को बाएं हाथ में धारण करना चाहिए। 
  • चौकोर नीलम धारण करना सबसे फायदेमंद माना जाता है। 
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Ratna Sansar: मेष, वृष, तुला एवं वृश्चिक लग्न वाले अगर नीलम को धारण करते हैं तो उनका भाग्योदय होता है।  - फोटो : istock

नीलम धारण करने के लाभ

  • नीलम शनि का रत्न है और अपना असर बहुत तीव्रता से दिखाता है इसलिए नीलम कभी भी बिना ज्योतिषी की सलाह के नहीं पहनना चाहिए। 
  • मेष, वृष, तुला एवं वृश्चिक लग्न वाले अगर नीलम को धारण करते हैं तो उनका भाग्योदय होता है। 
  • चौथे, पांचवे, दसवें और ग्यारवें भाव में शनि हो तो नीलम जरूर पहनना चाहिए। 
  • शनि छठें और आठवें भाव के स्वामी के साथ बैठा हो या स्वयं ही छठे और आठवें भाव में हो तो भी नीलम रत्न धारण करना चाहिए।
  • शनि मकर और कुम्भ राशि का स्वामी है। इनमें से दोनों राशियां अगर शुभ भावों में बैठी हों तो नीलम धारण करना चाहिए लेकिन अगर दोनों में से कोई भी राशि अशुभ भाव में हो तो नीलम नहीं पहनना चाहिए।
  • शनि की साढेसाती में नीलम धारण करना लाभ देता है। शनि की दशा अंतरदशा में भी नीलम धारण करना लाभदायक होता है।
  • शनि की सूर्य से युति हो, वह सूर्य की राशि में हो या उससे दृष्ट हो तो भी नीलम पहनना चाहिए। 
  • कुंडली में शनि मेष राशि में स्थित हो तो भी नीलम पहनना चाहिए। 
  • कुंडली में शनि वक्री, अस्तगत या दुर्बल अथवा नीच का हो तो भी नीलम धारण करके लाभ होता है। जिसकी कुंडली में शनि प्रमुख हो और प्रमुख स्थान में हो उन्हें भी नीलम धारण करना चाहिए।
  • नीलम काली विद्या, तंत्र-मंत्र, जादू-टोना, भूत प्रेत आदि से बचाता करता है। 
  • इसके अलावा नीलम धारण करने से जातक की कार्य क्षमता बढ़ती है। साथ ही नीलम का प्रभाव व्यक्ति के स्वभाव में सौम्यता लाता है। 
  • नीलम रत्न व्यक्ति को उन्नति के शिखर की ओर ले जाता है एवं घर में समृद्धि खुशहाली बनाए रखने का कार्य करता है। 
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