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Vastu Tips: वास्तु के ये प्रभावशाली चिन्ह घर में लाते हैं सुख-समृद्धि, जानिए इनके बारे में
शैली प्रकाश
Published by: मेघा कुमारी
Updated Fri, 18 Jul 2025 11:37 AM IST
सार
Vastu Tips For Positive Energy In Home: वास्तु के अनुसार यदि घर में कुछ प्रभावशाली चिन्ह को रखा जाए, तो घर में सुख-समृद्धि वास करती हैं। साथ ही बरकत और खुशहाली पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, आइए इसके बारे में जानते हैं...
Vastu Tips For Positive Energy In Home: हिंदू धर्म और वास्तु शास्त्र के अनुसार कुछ मंगलकारी चित्र, छाप या मांडना से घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। यह मंगल प्रतीक सुख, शांति, समृद्धि और शुभता लाते हैं। इन्हें घर के द्वार, मंदिर या दीवारों पर उचित दिशा में लगाना चाहिए। कई मंगल प्रतीकों में से इन दस के बारे में विस्तार से जानिए....
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हल्दी के हाथ की छाप को पंचसूलक कहते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार यह नकारात्मक शक्तियों को बाहर ही रोक देता है।
- फोटो : freepik
ओम:
ॐ अनहद नाद का प्रतीक है। ब्रह्मांड में इसी तरह का नाद लगातार गूंज रहा है। ॐ शब्द तीन ध्वनियों से बना हुआ है- अ, उ, म इन तीनों ध्वनियों का अर्थ उपनिषद में भी आता है। भू: लोक, भुव: लोक और स्वर्ग लोक का प्रतीक है। यह धर्म में हमारी आस्था को बढ़ाता है।
पंचसूलक
हल्दी के हाथ की छाप को पंचसूलक कहते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार यह नकारात्मक शक्तियों को बाहर ही रोक देता है। मुख्य प्रवेश द्वार पर लगी पंचसूलक की छाप सुख, शांति, समृद्धि और शुभता लाती है।
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स्वस्तिक शब्द को 'सु' और 'अस्ति' दोनों से मिलकर बना है। 'सु' का अर्थ है शुभ और 'आस्तिक' का अर्थ है होना यानी जिससे 'शुभ हो', 'कल्याण हो' वही स्वस्तिक है।
- फोटो : Amar Ujala
स्वास्तिक
स्वस्तिक शब्द को 'सु' और 'अस्ति' दोनों से मिलकर बना है। 'सु' का अर्थ है शुभ और 'आस्तिक' का अर्थ है होना यानी जिससे 'शुभ हो', 'कल्याण हो' वही स्वस्तिक है। द्वार पर और उसके बाहर आसपास की दोनों दीवारों पर स्वास्तिक का चिन्ह लगाने से वास्तुदोष दूर होता है और शुभ मंगल होता है। इससे दरिद्रता का नाश होता है।
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कमल के पुष्प को ब्रह्मा, लक्ष्मी तथा सरस्वती जी ने अपना आसन बनाया है। कमल का फूल जल से उत्पन्न होकर कीचड़ में खिलता है
- फोटो : अमर उजाला
कमल
हिन्दू पुराणों के अनुसार कमल के फूल की उत्पत्ति भगवान विष्णु जी की नाभि से हुई है और कमल के फूल से ब्रह्माजी की उत्पत्ति मानी जाती है। कमल के पुष्प को ब्रह्मा, लक्ष्मी तथा सरस्वती जी ने अपना आसन बनाया है। कमल का फूल जल से उत्पन्न होकर कीचड़ में खिलता है परंतु वह दोनों से निर्लिप्त रहकर पवित्र जीवन जीने की प्रेरणा देता है। कहते हैं कि कमल के फूल की ही तरह सृष्टि और इस ब्रह्मांड की रचना हुई है और यह ब्रह्मांड इसी फूल की तरह है। मंदिरों के गुंबद और स्तंभों पर कमल की आकृति बनाई जाती है। यह शुभता और समृद्धि का प्रतीक है।
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कलश को सुख- समृद्धि, ऐश्वर्य देने वाला तथा मंगलकारी माना जाता है।
- फोटो : adobe stock
त्रिशूल
त्रिशूल 3 प्रकार के कष्टों दैनिक, दैविक, भौतिक के विनाश का सूचक भी है। यह महाकालेश्वर के 3 कालों (वर्तमान, भूत, भविष्य) का प्रतीक भी है। यह बुरी शक्तियों को रोकता है।
कलश
समुद्र मंथन के दौरान अंत में भगवान धन्वंतरि देव अमृत से भरा कलश लेकर निकले थे। यह कलश उसी का प्रतीक है। कलश को सुख- समृद्धि, ऐश्वर्य देने वाला तथा मंगलकारी माना जाता है। कलश के मुख में भगवान विष्णु, गले में रुद्र, मूल में ब्रह्मा तथा मध्य में देवी शक्ति का निवास माना जाता है। कलश में जल होता है। उसके मुख पर श्रीफल रखते हैं। जल विष्णु और वरुण देव का प्रतीक है और श्रीफल माता लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है।
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