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Pollution: दिल्ली की हवा में सबसे ज्यादा जहर कौन घोल रहा है? इस 'विलेन' के बारे में आपने शायद ही सोचा होगा!
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Wed, 24 Dec 2025 03:52 PM IST
सार
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 190(2) के तहत किसी भी सार्वजनिक सड़क पर चलने वाले वाहन के पास वैध पीयूसी प्रमाणपत्र होना अनिवार्य है। क्या आपको पता है कौन से वाहन इसका उल्लंघन करते हैं?
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Delhi Pollution
- फोटो : ANI
दिल्ली की हवा जब 'बेहद खराब' स्तर पर पहुंच चुकी है, तो आमतौर पर उंगली कारों और बड़ी गाड़ियों पर उठती है। लेकिन हालिया आंकड़े इस सोच को पूरी तरह पलट देते हैं। प्रदूषण नियंत्रण नियमों की सबसे ज्यादा अनदेखी राजधानी में दोपहिया वाहन कर रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि दिल्ली में पीयूसी (पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल) नियमों के सबसे बड़े दोषी कार नहीं, बल्कि बाइक और स्कूटर हैं।
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- फोटो : Adobe Stock
पीयूसी चालानों में सबसे ऊपर बाइकें
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अगर पीयूसी उल्लंघन करने वाले वाहनों की कोई लीडरबोर्ड बनाई जाए, तो उसमें सबसे ऊपर 2016 मॉडल की हीरो पैशन प्रो बाइक होगी। इस बाइक पर कुल 47 पीयूसी चालान लंबित हैं और इसका प्रदूषण प्रमाणपत्र वर्षों पहले ही खत्म हो चुका है। इसके ठीक पीछे 2018 मॉडल की एक और पैशन प्रो है, जिस पर 38 चालान दर्ज हैं। यही आंकड़ा 2022 की हीरो स्प्लेंडर का भी है। यह साफ करता है कि ये मामूली चूक नहीं, बल्कि बार-बार नियम तोड़ने के मामले हैं।
सूची में चौथे नंबर पर 2018 की टीवीएस जुपिटर स्कूटर है, जिस पर 37 चालान दर्ज हैं। पांचवें स्थान पर 2021 की यामाहा रे ZR स्ट्रीट रैली है, जिसके मालिक ने कभी पीयूसी प्रमाणपत्र बनवाया ही नहीं। यानी न तो प्रमाणपत्र खोया गया और न ही भूल हुई, बल्कि नियमों को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया।
यह भी पढ़ें - Manual to Automatic Conversion: मैनुअल कार को ऑटोमैटिक में बदलना कितना आसान या मुश्किल? जानें पूरी डिटेल्स
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अगर पीयूसी उल्लंघन करने वाले वाहनों की कोई लीडरबोर्ड बनाई जाए, तो उसमें सबसे ऊपर 2016 मॉडल की हीरो पैशन प्रो बाइक होगी। इस बाइक पर कुल 47 पीयूसी चालान लंबित हैं और इसका प्रदूषण प्रमाणपत्र वर्षों पहले ही खत्म हो चुका है। इसके ठीक पीछे 2018 मॉडल की एक और पैशन प्रो है, जिस पर 38 चालान दर्ज हैं। यही आंकड़ा 2022 की हीरो स्प्लेंडर का भी है। यह साफ करता है कि ये मामूली चूक नहीं, बल्कि बार-बार नियम तोड़ने के मामले हैं।
सूची में चौथे नंबर पर 2018 की टीवीएस जुपिटर स्कूटर है, जिस पर 37 चालान दर्ज हैं। पांचवें स्थान पर 2021 की यामाहा रे ZR स्ट्रीट रैली है, जिसके मालिक ने कभी पीयूसी प्रमाणपत्र बनवाया ही नहीं। यानी न तो प्रमाणपत्र खोया गया और न ही भूल हुई, बल्कि नियमों को पूरी तरह नजरअंदाज किया गया।
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- फोटो : अमर उजाला
क्या कहता है कानून
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 190(2) के तहत किसी भी सार्वजनिक सड़क पर चलने वाले वाहन के पास वैध पीयूसी प्रमाणपत्र होना अनिवार्य है। नए वाहनों को रजिस्ट्रेशन के एक साल बाद पीयूसी प्रमाणपत्र बनवाना होता है। जबकि पुराने वाहनों के लिए हर छह महीने में नवीनीकरण जरूरी है। ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के लिए यह अवधि और भी कम हो सकती है।
इसके उल्लंघन पर सजा भी हल्की नहीं है। 2019 में कानून में किए गए संशोधन के बाद बिना वैध पीयूसी के वाहन चलाने पर 10,000 रुपये तक का जुर्माना, तीन महीने तक की जेल और ड्राइविंग लाइसेंस तीन महीने के लिए निलंबित किया जा सकता है। दोबारा पकड़े जाने पर जुर्माना 20,000 रुपये तक पहुंच सकता है। दिल्ली में यह कार्रवाई ई-चालान के जरिए होती है। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि इसका डर अभी भी काफी लोगों पर असर नहीं डाल पा रहा।
यह भी पढ़ें - Delhi Pollution: दिल्ली में ग्रैप-4 के तहत सख्ती, लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या पीयूसी जांच वाकई कारगर है?
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 190(2) के तहत किसी भी सार्वजनिक सड़क पर चलने वाले वाहन के पास वैध पीयूसी प्रमाणपत्र होना अनिवार्य है। नए वाहनों को रजिस्ट्रेशन के एक साल बाद पीयूसी प्रमाणपत्र बनवाना होता है। जबकि पुराने वाहनों के लिए हर छह महीने में नवीनीकरण जरूरी है। ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के लिए यह अवधि और भी कम हो सकती है।
इसके उल्लंघन पर सजा भी हल्की नहीं है। 2019 में कानून में किए गए संशोधन के बाद बिना वैध पीयूसी के वाहन चलाने पर 10,000 रुपये तक का जुर्माना, तीन महीने तक की जेल और ड्राइविंग लाइसेंस तीन महीने के लिए निलंबित किया जा सकता है। दोबारा पकड़े जाने पर जुर्माना 20,000 रुपये तक पहुंच सकता है। दिल्ली में यह कार्रवाई ई-चालान के जरिए होती है। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि इसका डर अभी भी काफी लोगों पर असर नहीं डाल पा रहा।
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- फोटो : अमर उजाला
GRAP लागू होने के बाद क्या दिखा
14 अक्तूबर से ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) (ग्रैप) लागू हुआ। नवंबर के आखिर तक दिल्ली में 1.05 लाख से ज्यादा पीयूसी चालान काटे गए, यानी रोजाना औसतन 2,300 से ज्यादा। इनमें से करीब 82,774 चालान सिर्फ बाइक और स्कूटरों पर थे। आसान शब्दों में कहें तो हर पांच में से चार पीयूसी उल्लंघन दोपहिया वाहन कर रहे हैं।
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14 अक्तूबर से ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) (ग्रैप) लागू हुआ। नवंबर के आखिर तक दिल्ली में 1.05 लाख से ज्यादा पीयूसी चालान काटे गए, यानी रोजाना औसतन 2,300 से ज्यादा। इनमें से करीब 82,774 चालान सिर्फ बाइक और स्कूटरों पर थे। आसान शब्दों में कहें तो हर पांच में से चार पीयूसी उल्लंघन दोपहिया वाहन कर रहे हैं।
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- फोटो : अमर उजाला
गलती नहीं, आदत बन चुका है नियम तोड़ना
ट्रैफिक पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त सत्य वीर कटारा के मुताबिक, इतनी बार नियम तोड़ना किसी भूल का नतीजा नहीं है। उन्होंने कहा कि वाहन मालिकों की जिम्मेदारी है कि उनके पास वैध पीयूसी हो। जिन मामलों में 10 से ज्यादा चालान लंबित हैं, वहां कानून की खुली अवहेलना साफ दिखती है। ऐसे मामलों को अदालत में भी भेजा जाता है।
यह तस्वीर साफ इशारा करती है कि दिल्ली के प्रदूषण संकट में दोपहिया वाहनों की भूमिका को हल्के में नहीं लिया जा सकता। जब तक नियमों का पालन आदत नहीं बनेगा, तब तक चालान और चेतावनियां भी हवा में घुलती रहेंगी।
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ट्रैफिक पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त सत्य वीर कटारा के मुताबिक, इतनी बार नियम तोड़ना किसी भूल का नतीजा नहीं है। उन्होंने कहा कि वाहन मालिकों की जिम्मेदारी है कि उनके पास वैध पीयूसी हो। जिन मामलों में 10 से ज्यादा चालान लंबित हैं, वहां कानून की खुली अवहेलना साफ दिखती है। ऐसे मामलों को अदालत में भी भेजा जाता है।
यह तस्वीर साफ इशारा करती है कि दिल्ली के प्रदूषण संकट में दोपहिया वाहनों की भूमिका को हल्के में नहीं लिया जा सकता। जब तक नियमों का पालन आदत नहीं बनेगा, तब तक चालान और चेतावनियां भी हवा में घुलती रहेंगी।
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