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GST Cut: जीएसटी रेट कट से पहले कार लोन कैंसिल कराने की होड़, जानें क्या है वजह
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Mon, 15 Sep 2025 09:35 PM IST
सार
22 सितंबर से लागू होने जा रहे GST (जीएसटी) रेट कट की वजह से बैंक में कार लोन रद्द कराने की मांग तेजी से बढ़ रही है। कई ग्राहक जिनके कार लोन पहले ही अप्रूव हो चुके थे, अब अपनी-अपनी बैंक शाखा से संपर्क कर लोन कैंसिल करा रहे हैं।
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Auto Sales
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22 सितंबर से लागू होने जा रहे GST (जीएसटी) रेट कट की वजह से बैंक में कार लोन रद्द कराने की मांग तेजी से बढ़ रही है। वजह साफ है- जीएसटी दर घटने के बाद पैसेंजर व्हीकल्स (यात्री वाहनों) की कीमत कम हो जाएगी। और कार खरीदने के लिए पहले से कम लोन की जरूरत होगी।

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बैंक लोन
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बैंक शाखाओं को कैंसिलेशन रिक्वेस्ट
कई ग्राहक जिनके कार लोन पहले ही अप्रूव हो चुके थे, अब अपनी-अपनी बैंक शाखा से संपर्क कर लोन कैंसिल करा रहे हैं। उनका कहना है कि वे नई कार जीएसटी कट लागू होने के बाद ही खरीदेंगे। एक सरकारी बैंक के अधिकारी ने बताया कि कैंसिलेशन चार्ज बहुत मामूली है और 22 सितंबर के बाद मिलने वाला फायदा उससे कहीं ज्यादा है। इसलिए लोग पुराने लोन छोड़कर, नए सिरे से लोन प्रोसेस कराने का विकल्प चुन रहे हैं।
यह भी पढ़ें - BMW S 1000 R: बीएमडब्ल्यू की हाइपर-नेकेड रोडस्टर बाइक भारत में लॉन्च, जानें कीमत और दमदार फीचर्स
कई ग्राहक जिनके कार लोन पहले ही अप्रूव हो चुके थे, अब अपनी-अपनी बैंक शाखा से संपर्क कर लोन कैंसिल करा रहे हैं। उनका कहना है कि वे नई कार जीएसटी कट लागू होने के बाद ही खरीदेंगे। एक सरकारी बैंक के अधिकारी ने बताया कि कैंसिलेशन चार्ज बहुत मामूली है और 22 सितंबर के बाद मिलने वाला फायदा उससे कहीं ज्यादा है। इसलिए लोग पुराने लोन छोड़कर, नए सिरे से लोन प्रोसेस कराने का विकल्प चुन रहे हैं।
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Car Loan
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बैंकों ने प्रोसेसिंग चार्ज हटाए
इस समय कई बैंकों ने कार और होम लोन पर प्रोसेसिंग चार्ज माफ कर दिए हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्राहक आकर्षित हों। वहीं, सीबीआईसी (CBIC) के अधिकारियों के मुताबिक, अगर कार डीलर ने ग्राहक को पहले ही इनवॉइस जारी कर दिया है तो उस पर पुरानी जीएसटी दर ही लागू होगी। लेकिन जिन ग्राहकों को इनवॉइस अभी तक नहीं मिला है, वे नई जीएसटी दर का फायदा उठा पाएंगे।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि अभी कारों की बिक्री में थोड़ी सुस्ती है। क्योंकि ग्राहक श्राद्ध पक्ष (21 सितंबर तक) और जीएसटी कट के बाद ही खरीदारी करना चाहते हैं। कुछ खरीदार अब सोच रहे हैं कि वे उसी बजट में 1,300cc वाली बेहतर वेरिएंट कार खरीदें, क्योंकि उन्हें करीब 10% का फायदा मिल रहा है।
यह भी पढ़ें - 2025 Royal Enfield Meteor 350: 2025 रॉयल एनफील्ड मीटियोर 350 क्रूजर बाइक लॉन्च, जानें कीमत और नए फीचर्स
इस समय कई बैंकों ने कार और होम लोन पर प्रोसेसिंग चार्ज माफ कर दिए हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्राहक आकर्षित हों। वहीं, सीबीआईसी (CBIC) के अधिकारियों के मुताबिक, अगर कार डीलर ने ग्राहक को पहले ही इनवॉइस जारी कर दिया है तो उस पर पुरानी जीएसटी दर ही लागू होगी। लेकिन जिन ग्राहकों को इनवॉइस अभी तक नहीं मिला है, वे नई जीएसटी दर का फायदा उठा पाएंगे।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि अभी कारों की बिक्री में थोड़ी सुस्ती है। क्योंकि ग्राहक श्राद्ध पक्ष (21 सितंबर तक) और जीएसटी कट के बाद ही खरीदारी करना चाहते हैं। कुछ खरीदार अब सोच रहे हैं कि वे उसी बजट में 1,300cc वाली बेहतर वेरिएंट कार खरीदें, क्योंकि उन्हें करीब 10% का फायदा मिल रहा है।
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₹2,500 करोड़ का सेस खत्म
22 सितंबर से जीएसटी दरें घटने के साथ ही ऑटो कंपनियों की बुक्स में पड़ा 2,500 करोड़ रुपये का कंपन्सेशन सेस भी खत्म हो जाएगा। फिलहाल, गाड़ियों पर 28% जीएसटी लगता है, जो सबसे ऊंचा स्लैब है, और इसके ऊपर 1% से 22% तक कंपन्सेशन सेस भी देना पड़ता है।
इस समय गाड़ियों पर कुल टैक्स बोझ इंजन की क्षमता और लंबाई के आधार पर छोटी पेट्रोल कारों पर 29% से लेकर SUV पर 50% तक होता है। लेकिन 22 सितंबर से पेट्रोल और डीजल कारों पर-
22 सितंबर से जीएसटी दरें घटने के साथ ही ऑटो कंपनियों की बुक्स में पड़ा 2,500 करोड़ रुपये का कंपन्सेशन सेस भी खत्म हो जाएगा। फिलहाल, गाड़ियों पर 28% जीएसटी लगता है, जो सबसे ऊंचा स्लैब है, और इसके ऊपर 1% से 22% तक कंपन्सेशन सेस भी देना पड़ता है।
इस समय गाड़ियों पर कुल टैक्स बोझ इंजन की क्षमता और लंबाई के आधार पर छोटी पेट्रोल कारों पर 29% से लेकर SUV पर 50% तक होता है। लेकिन 22 सितंबर से पेट्रोल और डीजल कारों पर-
- 1,200cc तक (पेट्रोल) और 1,500cc तक (डीजल) वाली कारों पर सिर्फ 18% जीएसटी लगेगा।
- इससे ज्यादा इंजन पावर वाली कारों पर अब भी 40% टैक्स लगेगा।
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Car Loan
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CBIC चेयरमैन का बयान
सीबीआईसी चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि उद्योग जगत ने कंपन्सेशन सेस को लेकर कई बार चिंता जताई थी। लेकिन उन्होंने साफ कहा, "यह सेस एक खास उद्देश्य से लगाया गया था। अब जब यह हट रहा है तो जो भी क्रेडिट कंपनियों की बुक्स में पड़ा है, वहीं पड़ा रहेगा।"
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सीबीआईसी चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि उद्योग जगत ने कंपन्सेशन सेस को लेकर कई बार चिंता जताई थी। लेकिन उन्होंने साफ कहा, "यह सेस एक खास उद्देश्य से लगाया गया था। अब जब यह हट रहा है तो जो भी क्रेडिट कंपनियों की बुक्स में पड़ा है, वहीं पड़ा रहेगा।"
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