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India-EU Deal: विशेष सचिव ने कहा- यूरोपीय संघ के साथ व्यापार समझौता भारतीय ऑटो उद्योग के लिए लाएगा बड़े मौके
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Fri, 12 Sep 2025 10:16 AM IST
सार
भारत और यूरोपियन यूनियन (ईयू) के बीच होने वाला प्रस्तावित ट्रेड पैक्ट (व्यापार समझौता) देश के ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए निर्यात बढ़ाने और यूरोप की बड़ी ऑटो कंपनियों से नई साझेदारियां करने का बड़ा मौका लेकर आ सकता है।
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Automobile Industry
- फोटो : Adobe Stock
भारत और यूरोपियन यूनियन (ईयू) के बीच होने वाला प्रस्तावित ट्रेड पैक्ट (व्यापार समझौता) देश के ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए निर्यात बढ़ाने और यूरोप की बड़ी ऑटो कंपनियों से नई साझेदारियां करने का बड़ा मौका लेकर आ सकता है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

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भारत का सबसे बड़ा फ्री ट्रेड एग्रीमेंट
वाणिज्य विभाग के विशेष सचिव राजेश अग्रवाल ने बताया कि भारत इस समय ईयू के साथ अपना सबसे बड़ा फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) (मुक्त व्यापार समझौते) (एफटीए) को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहा है। यह ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए खासतौर पर अहम है क्योंकि यूरोपियन यूनियन का ऑटो सेक्टर बहुत मजबूत है। उन्होंने कहा कि कोशिश यही है कि समझौता जल्द से जल्द तय हो जाए और एक संतुलित डील बने। जिससे भारतीय ऑटो इंडस्ट्री को यूरोप का बाजार मिले और साथ ही घरेलू उद्योग को भी सुरक्षित रखा जा सके।
यह भी पढ़ें - Vehicle Scrapping: गडकरी बोले- कबाड़ नीति से फायदा ही फायदा, नई गाड़ी लेने वालों को मिले और डिस्काउंट
वाणिज्य विभाग के विशेष सचिव राजेश अग्रवाल ने बताया कि भारत इस समय ईयू के साथ अपना सबसे बड़ा फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) (मुक्त व्यापार समझौते) (एफटीए) को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहा है। यह ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए खासतौर पर अहम है क्योंकि यूरोपियन यूनियन का ऑटो सेक्टर बहुत मजबूत है। उन्होंने कहा कि कोशिश यही है कि समझौता जल्द से जल्द तय हो जाए और एक संतुलित डील बने। जिससे भारतीय ऑटो इंडस्ट्री को यूरोप का बाजार मिले और साथ ही घरेलू उद्योग को भी सुरक्षित रखा जा सके।
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नए पार्टनरशिप और टेक्नोलॉजी की उम्मीद
अगर यह समझौता हो जाता है, तो भारतीय कंपनियों को न सिर्फ निर्यात बढ़ाने का मौका मिलेगा बल्कि यूरोपियन दिग्गज कंपनियों के साथ साझेदारी कर सही टेक्नोलॉजी और मोबिलिटी सॉल्यूशंस भारत लाने का रास्ता भी खुलेगा।
यह भी पढ़ें - GST Cut: त्योहार से पहले टू-व्हीलर खरीदारों को बड़ी राहत, जानें जीएसटी कटौती से कौन से मॉडल हुए कितने सस्ते
UK के साथ पहले ही हुआ है समझौता
भारत पहले ही यूनाइटेड किंगडम (यूके) के साथ ऐसा ही एक समझौता कर चुका है, जिसके तहत ऑटोमोबाइल आयात पर शुल्क 100 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत तक की जाएगी। यह कटौती धीरे-धीरे 10-15 साल की अवधि में लागू होगी, ताकि घरेलू सेक्टर पर एकदम से असर न पड़े।
यह भी पढ़ें - GST 2.0: जीएसटी 2.0 को अपनाने से कार की कीमतों में गिरावट, जानिए कौन से ब्रांड/मॉडल सस्ते हुए और कितने हुए
अगर यह समझौता हो जाता है, तो भारतीय कंपनियों को न सिर्फ निर्यात बढ़ाने का मौका मिलेगा बल्कि यूरोपियन दिग्गज कंपनियों के साथ साझेदारी कर सही टेक्नोलॉजी और मोबिलिटी सॉल्यूशंस भारत लाने का रास्ता भी खुलेगा।
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UK के साथ पहले ही हुआ है समझौता
भारत पहले ही यूनाइटेड किंगडम (यूके) के साथ ऐसा ही एक समझौता कर चुका है, जिसके तहत ऑटोमोबाइल आयात पर शुल्क 100 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत तक की जाएगी। यह कटौती धीरे-धीरे 10-15 साल की अवधि में लागू होगी, ताकि घरेलू सेक्टर पर एकदम से असर न पड़े।
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Car Plant
- फोटो : Freepik
सप्लाई चेन को मजबूत बनाने पर फोकस
अग्रवाल ने कहा कि इस तरह के समझौते सिर्फ क्षमता बढ़ाने में ही मदद नहीं करेंगे, बल्कि सप्लाई चेन को और मजबूत बनाएंगे। उन्होंने बताया कि चीन की तरफ से रेयर अर्थ मैग्नेट्स पर लगाए गए निर्यात प्रतिबंध भारत के लिए एक "बड़ा चेतावनी" है। इससे सीख लेते हुए भारत को अपनी खरीद और सप्लाई के स्रोतों को बढ़ाना होगा और सिर्फ एक देश पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।
यह भी पढ़ें - Toll: नितिन गडकरी ने कहा- बस ऑपरेटरों को राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल में फायदा देने की नीति पर हो रहा है काम
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- फोटो : Freepik
धीरे-धीरे खोले जाएंगे संवेदनशील सेक्टर
उन्होंने कहा कि भारत हर एफटीए में यह ध्यान रखता है कि संवेदनशील सेक्टर, खासकर ऑटो, धीरे-धीरे खोले जाएं। कई मामलों में 5-10 साल में बाजार खोला जाता है और कई बार कोटा तय कर दिया जाता है ताकि पूरा बाजार अचानक विदेशी कंपनियों के लिए न खुल जाए।
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उन्होंने कहा कि भारत हर एफटीए में यह ध्यान रखता है कि संवेदनशील सेक्टर, खासकर ऑटो, धीरे-धीरे खोले जाएं। कई मामलों में 5-10 साल में बाजार खोला जाता है और कई बार कोटा तय कर दिया जाता है ताकि पूरा बाजार अचानक विदेशी कंपनियों के लिए न खुल जाए।
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