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Nitin Gadkari: नितिन गडकरी का स्पष्ट संदेश- सड़क सुरक्षा होनी चाहिए सबसे बड़ी प्राथमिकता
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Thu, 11 Sep 2025 03:19 PM IST
सार
SIAM के 65वें अधिवेशन में, प्रधानमंत्री मोदी ने ऑटो सेक्टर को विकसित भारत का एक स्तंभ बताया और स्वच्छ परिवहन की ओर कदम बढ़ाने का आग्रह किया। नितिन गडकरी ने सड़क सुरक्षा, प्रदूषण नियंत्रण, स्क्रैपेज और कम लॉजिस्टिक्स लागत को तत्काल प्राथमिकता बताते हुए गंभीरता से इस पर जोर दिया।
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Nitin Gadkari at SIAM 65th Convention
- फोटो : Amar Ujala
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) के 65वें सालाना सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कहा कि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री सिर्फ गाड़ियां बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मेक इन इंडिया की पहचान है और विकसित भारत का अहम स्तंभ है। पीएम ने उद्योग से अपील की कि भारत सिर्फ कदम से कदम मिलाकर न चले, बल्कि क्लीन मोबिलिटी की वैश्विक दौड़ में नेतृत्व करे।

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हादसे में क्षतिग्रस्त कार
- फोटो : अमर उजाला
सड़क सुरक्षा: अभी भी दूर की मंजिल
भारत में हर साल करीब पांच लाख लोग सड़क हादसों में जान गंवाते हैं। यानी हर मिनट कहीं न कहीं एक परिवार बिखर जाता है। गडकरी ने साफ कहा कि जब तक सड़क सुरक्षा को पहली प्राथमिकता नहीं बनाया जाएगा, तब तक किसी भी सुधार का मतलब अधूरा रहेगा।
सरकार ने कदम जरूर उठाए हैं, जैसे गाड़ियों में छह एयरबैग अनिवार्य करना, हेलमेट को बढ़ावा देना और अमिताभ बच्चन व प्रसून जोशी जैसे चेहरे के जरिए जागरूकता बढ़ाना। लेकिन गडकरी ने माना कि ड्राइविंग व्यवहार को कानून से बदलना आसान नहीं है। इसके ऊपर 22 लाख प्रशिक्षित ड्राइवरों की कमी हालात को और मुश्किल बना देती है।
यह भी पढ़ें - Odisha EV Policy 2025: छह महीने में ओडिशा सरकार की सभी गाड़ियां बनेंगी इलेक्ट्रिक, जानें डिटेल्स
भारत में हर साल करीब पांच लाख लोग सड़क हादसों में जान गंवाते हैं। यानी हर मिनट कहीं न कहीं एक परिवार बिखर जाता है। गडकरी ने साफ कहा कि जब तक सड़क सुरक्षा को पहली प्राथमिकता नहीं बनाया जाएगा, तब तक किसी भी सुधार का मतलब अधूरा रहेगा।
सरकार ने कदम जरूर उठाए हैं, जैसे गाड़ियों में छह एयरबैग अनिवार्य करना, हेलमेट को बढ़ावा देना और अमिताभ बच्चन व प्रसून जोशी जैसे चेहरे के जरिए जागरूकता बढ़ाना। लेकिन गडकरी ने माना कि ड्राइविंग व्यवहार को कानून से बदलना आसान नहीं है। इसके ऊपर 22 लाख प्रशिक्षित ड्राइवरों की कमी हालात को और मुश्किल बना देती है।
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Nitin Gadkari at SIAM 65th Convention
- फोटो : Amar Ujala
प्रदूषण: एक खामोश संकट
गडकरी ने चेतावनी दी कि प्रदूषण भी उतना ही गंभीर खतरा है। भारत में कुल उत्सर्जन का 40 प्रतिशत ट्रांसपोर्ट से आता है। दिल्ली जैसे शहरों में तो जीवन प्रत्याशा 10 साल तक कम हो सकती है। इसके साथ ही हर साल 22 लाख करोड़ रुपये सिर्फ फॉसिल फ्यूल आयात पर खर्च हो जाते हैं।
इसीलिए सरकार एथेनॉल, मक्का-आधारित ईंधन, हाइड्रोजन और बायो-सीएनजी जैसे विकल्पों को बढ़ावा दे रही है। E20 फ्यूल ब्लेंडिंग शुरू हो चुकी है, लेकिन असली चुनौती इसे बड़े पैमाने पर अपनाने और किसानों व सप्लाई चेन को मजबूत करने की है।
यह भी पढ़ें - Automatic Gearbox: AMT, iMT, CVT, DCT या टॉर्क कन्वर्टर? जानिए कौन सा ऑटोमैटिक गियरबॉक्स आपके लिए सही है
गडकरी ने चेतावनी दी कि प्रदूषण भी उतना ही गंभीर खतरा है। भारत में कुल उत्सर्जन का 40 प्रतिशत ट्रांसपोर्ट से आता है। दिल्ली जैसे शहरों में तो जीवन प्रत्याशा 10 साल तक कम हो सकती है। इसके साथ ही हर साल 22 लाख करोड़ रुपये सिर्फ फॉसिल फ्यूल आयात पर खर्च हो जाते हैं।
इसीलिए सरकार एथेनॉल, मक्का-आधारित ईंधन, हाइड्रोजन और बायो-सीएनजी जैसे विकल्पों को बढ़ावा दे रही है। E20 फ्यूल ब्लेंडिंग शुरू हो चुकी है, लेकिन असली चुनौती इसे बड़े पैमाने पर अपनाने और किसानों व सप्लाई चेन को मजबूत करने की है।
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हाइवे पर ट्रक
- फोटो : अमर उजाला
लॉजिस्टिक्स की लागत
गुड्स ट्रांसपोर्टेशन में भारत अभी पीछे है। जहां चीन का लॉजिस्टिक्स खर्च जीडीपी का 7-8 प्रतिशत है, वहीं भारत में यह 10 प्रतिशत के आसपास है। गडकरी का लक्ष्य इसे 2025 के आखिर तक सिंगल डिजिट में लाना है। हाईवे और फ्रेट ट्रकिंग में सुधार हुआ है, लेकिन रोड, रेल और पोर्ट्स की कड़ी एक साथ मजबूत करनी होगी, वरना एक्सपोर्ट महंगा ही रहेगा।
यह भी पढ़ें - Petrol Pump: गाड़ी में तेल भरवाते समय 'पहले क्लिक' के बाद भी डलवाते हैं ईंधन? तो जान जाइए इसके खतरे
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Vehicle Scrapping
- फोटो : Freepik
स्क्रैपेज पॉलिसी: अधूरी उड़ान
वाहन स्क्रैपेज नीति पर भी गडकरी ने ध्यान दिलाया। अगस्त 2025 में तीन लाख गाड़ियां स्क्रैप हुईं, जिनमें 1.41 लाख सरकारी वाहन थे। लेकिन अभी भी करीब 97 लाख गाड़ियां यार्ड में खड़ी इंतजार कर रही हैं।
अगर यह योजना पूरी तरह लागू हो जाए तो सात लाख टन स्टील इंपोर्ट बच सकता है, 40,000 करोड़ रुपये जीएसटी से आ सकते हैं और 70 लाख नौकरियां पैदा हो सकती हैं। इतना ही नहीं, यह 26 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर पर्यावरणीय फायदा देगा। लेकिन समस्या यह है कि कंपनियां ग्राहकों को स्क्रैपिंग सर्टिफिकेट पर मजबूत इंसेंटिव नहीं दे रही हैं।
यह भी पढ़ें - EV: मुंबई में 85 प्रतिशत ऑटो और टैक्सी ड्राइवर क्यों नहीं अपना पा रहे इलेक्ट्रिक वाहन? सर्वे ने बताई वजह
वाहन स्क्रैपेज नीति पर भी गडकरी ने ध्यान दिलाया। अगस्त 2025 में तीन लाख गाड़ियां स्क्रैप हुईं, जिनमें 1.41 लाख सरकारी वाहन थे। लेकिन अभी भी करीब 97 लाख गाड़ियां यार्ड में खड़ी इंतजार कर रही हैं।
अगर यह योजना पूरी तरह लागू हो जाए तो सात लाख टन स्टील इंपोर्ट बच सकता है, 40,000 करोड़ रुपये जीएसटी से आ सकते हैं और 70 लाख नौकरियां पैदा हो सकती हैं। इतना ही नहीं, यह 26 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर पर्यावरणीय फायदा देगा। लेकिन समस्या यह है कि कंपनियां ग्राहकों को स्क्रैपिंग सर्टिफिकेट पर मजबूत इंसेंटिव नहीं दे रही हैं।
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