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डीएम साहब से दिव्यांग मांगने आए थे नौकरी, दिया ऐसा तोहफा कि सब कर रहे हैं तारीफ
फीचर डेस्क, अमर उजाला
Published by: प्रशांत राय
Updated Sat, 14 Sep 2019 01:28 PM IST
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कहते हैं कि अगर आप किसी की मदद करने की ठान लें तो आप कर लेते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ तमिलनाडु के थूथुकुड्डी जिले में, जहां वहां के जिलाधिकारी ने दिव्यांग लोगों के लिए जो मदद का हाथ बढ़ाया है, उसकी तारीफ हर कोई कर रहा है। जिलाधिकारी के पास नौकरी की मांग करने आए दिव्यांगों को लिए उन्होंने कैफे ही खुलवा दिया और साथ ही इस कैफे में काम करने वाले लोगों को 45 दिन की मैनेजमेंट की ट्रेनिंग भी दिलवाई।
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एक वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, इस कैफे में काम कर रहे 12 लोगों में से 11 लोग लोकोमोटर दिव्यांग हैं। इसका मतलब यह है कि वह चल-फिर नहीं सकते हैं। वहीं एक सदस्य सुन नहीं सकता है। इस कैफे का नाम 'कैफे एबल' रखा गया है, जिसकी प्रतिदिन कमाई करीब दस हजार रुपये है। इस कैफे में हेड शेफ से लेकर जूस मास्टर, टी मास्टर, बिलिंग क्लर्क और सफाईकर्मी सहित सभी दिव्यांग हैं। जिलाधिकारी संदीप नंदूरी का कहना है कि मुझे अक्सर अलग-अलग दिव्यांग जनों से नौकरियों के लिए याचिकाएं मिलती थीं, लेकिन हर किसी को नौकरी देना संभव नहीं था। इस कारण कैफे खोलने का विचार आया।
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इस बेहतर कदम की शुरुआत जिलाधिकारी संदीप नंदूरी ने एक स्वयं सहायता समूह के गठन से की। इस स्वयं सहायता समूह में उन सभी दिव्यांगों को शामिल किया गया है, जिन्होंने नौकरी का अनुरोध किया था। राजापलायम में ऑस्कर होटल मैनेजमेंट कॉलेज से बात की गई और इन दिव्यांगजनों को 45 दिन के लिए होटल मैनेजमेंट ट्रेनिंग कोर्स में एडमिशन कराया गया। इसके बाद तीन निजी कंपनियों के सीएसआर फंड और जिला प्रशासन द्वारा धन जुटाकर कलेक्ट्रेट परिसर में ही कैफे की शुरुआत की गई।
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जिला प्रशासन के अनुसार नौकरी का निवेदन लेकर आए इन दिव्यांगजनों की हालात ऐसी नहीं थी कि कैफे का किराया दे सकें। प्रशासन का मकसद सभी को आत्मनिर्भर बनाना था। इसलिए कलेक्ट्रेट परिसर में ही कैफे खोलने का फैसला लिया गया। इस कैफे में प्रतिदिन वहां आने वाले ग्राहकों को दक्षिण भारतीय नाश्ता, दोपहर और रात के भोजन के साथ ही गर्म पेय पदार्थ और जूस परोसा जाता है।
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जिलाधिकारी संदीप नंदूरी की कोशिश सिर्फ कैफे को शुरू करने तक नहीं थी। वह दिव्यांगजनों के प्रति लोगों की सोच बदलने के लिए खुद कैफे में बैठते हैं। जिलाधिकारी वहां चर्चा और बैठकों का आयोजन करते हैं। संदीप नंदूरी का कहना है कि हम वहां से स्टाफ मीटिंग के लिए खाने की चीजें भी मंगवाते हैं और जिले के दूसरे अधिकारियों को भी वहां भोजन करने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं।
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