यह तो आप जानते ही होंगे कि चंद्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है। यह खुद से नहीं चमकता बल्कि सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है। पिछले काफी समय से चांद को लेकर वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं। हाल ही में कई देशों ने चंद्रमा पर अपने अभियान भेजे हैं। चीन ने रोवर, तो वहीं भारत ने भी एक साल पहले अपना ऑर्बिटर भेजा है। नासा ने भी चार साल के अंदर दो लोगों को चंद्रमा पर उतरने की योजना पर तेजी से काम कर रहा है। इसी बीच चांद पर मिली एक दरार ने वैज्ञानिकों को हैरान कर रखा है।
चांद पर दरार देख हैरान हुए वैज्ञानिक, जानिए कितनी अहम है ये जानकारी
चांद का पृथ्वी पर प्रभाव
चंद्रमा पृथ्वी का एक इकलौता प्राकृतिक उपग्रह है। चंद्रमा का गुरूत्व पृथ्वी के महासागरों पर ज्वार भाटा का प्रभाव देता है। वहीं आमौतर पर यह उपग्रह दिशासूचक की तरह भी काम करता है और कई देशों के कैलेंडर भी इसके चाल पर निर्भर हैं। अगर चांद नहीं होता तो धरती पर दिन-रात 24 घंटे के बजाए सिर्फ छह से 12 घंटे का ही होता। एक साल में 365 दिन नहीं बल्कि 1000 से 1400 के आसपास दिन होते।
चांद के बारे में जानकारी
वैसे चंद्रमा के बारे में हमें काफी कुछ पता है, लेकिन इसके बावजूद भी वैज्ञानिकों का मानना है कि चद्रमा के अध्ययन से हमें पृथ्वी और चंद्रमा दोनों की उत्पत्ति की जानकारी मिल सकती है। नासा के अपोलो अभियानों के जरिए चांद से लाए गए पत्थरों के अध्ययन बताते हैं कि चंद्रमा और पृथ्वी दोनों की ही उत्पत्ति लगभग एक साथ ही 4.6 अरब साल पहले हुई थी।
चांद पर दरार
चंद्रमा उपग्रह पर शोध के लिए कई रोबोटिक अंतरिक्षयान भेजे जा चुके हैं। इनसे मिली जानकारियों का वैज्ञानिक अध्ययन करते रहते हैं और नई-नई जानकारियों के बारे में बताते हैं। कुछ इसी तरह की एक अनोखी खोज ने शोधकर्ताओं को हैरान कर दिया है। उन्होंने चंद्रमा की सतह पर एक अजीब सी दरार देखी है। स्मिथसन इंस्टीट्यूट के इस अध्ययन में अपोलो 17 के दौरान लगाए गए सेंसर्स के माध्यम से शोधकर्ताओं ने इस फॉल्ट को पाया है।
कैसे आई यह दरार
शोधकर्ताओं को आंकड़ों से यह बात पता चला है कि चांद की सतह पर यह रहस्यमय दरार एक शक्तिशाली झटके की वजह से आई है, जिसका रिक्टर स्केल पर मान 5.5 के करीब पाया गया है। वैसे यह भूकंप धरती पर इमारतों को नुकसान पहुंचाने के लिए काफी है। बता दें कि इस अध्ययन से चांद पर भूकंपीय गतिविधि होने की पुष्टि भी मिलती है।