Biz Updates: नौ प्रमुख शहरों में मकानों की बिक्री 16% घटी; हायर इंडिया में हिस्सेदारी खरीदेंगी दो कंपनियां
देश के शीर्ष नौ शहरों में मकानों की बिक्री मांग में कमी और आवासीय संपत्तियों की नई पेशकश में गिरावट के कारण अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में 16 फीसदी घटकर 98,019 इकाई रहने का अनुमान है। प्रॉपइक्विटी के मुताबिक, यह जुलाई-सितंबर, 2021 के बाद दर्ज की गई तिमाही आधार पर सबसे कम बिक्री है। इन शहरों में मकानों की बिक्री वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में घटकर 98,019 इकाई रह गई।
कई देशों के साथ भारत के मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के तहत चार्टर्ड अकाउंटेंट, डॉक्टर और आर्किटेक्ट जैसी पेशेवर सेवाओं पर बाध्यकारी प्रतिबद्धताएं इन पेशेवरों के लिए विदेश में अवसर खोलने में सहायक होंगी। वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा, भारत की विशाल आबादी पेशेवर सेवाओं की बढ़ती वैश्विक मांग को पूरा करने की अपार क्षमता प्रदान करती है।
अग्रवाल ने कहा, इस क्षमता का लाभ उठाने के लिए वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना और पेशेवरों को बदलते वैश्विक बाजार की जरूरतों और तकनीकी विकास के अनुरूप उन्नत कौशल से लैस करना महत्वपूर्ण है। इसके लिए इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया जैसे पेशेवर निकायों को ज्ञान साझा करने और बेहतर सहयोग के लिए मंच प्रदान करने हेतु अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों का आयोजन करने और उनमें भाग लेने की जरूरत है। अग्रवाल ने भारतीय पेशेवर सेवाओं के लिए वैश्विक बाजारों को खोलने हेतु हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय, घरेलू तंत्र में सुधार और विभिन्न एफटीए के तहत कानूनी रूप से बाध्यकारी प्रतिबद्धताओं के महत्व पर बल दिया।
भारती एंटरप्राइजेज और वारबर्ग पिंकस ने वॉशिंग मशीन एवं रेफ्रिजरेटर जैसे उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स सामान बनाने वाले हायर इंडिया में दो अरब डॉलर (करीब 17,955.5 करोड़ रुपये) में 49 फीसदी हिस्सा खरीदने की बुधवार को घोषणा की।
दोनों कंपनियों ने कहा, वे हायर इंडिया में रणनीतिक निवेश कर रही हैं। इसका प्रबंधन नियंत्रण वर्तमान चीनी समूह के पास ही रहेगा। हालांकि, उन्होंने अधिग्रहण की कीमत का खुलासा नहीं किया। इस सौदे के बाद भारती और वारबर्ग पिंकस के पास हायर अप्लायंसेज इंडिया लि. में सामूहिक रूप से 49 फीसदी हिस्सेदारी होगी।
चीन स्थित हायर ग्रुप, हायर इंडिया में 49 फीसदी हिस्सेदारी बरकरार रखेगा, जबकि शेष हिस्सा हायर इंडिया की प्रबंधन टीम के पास रहेगा। इस घोषणा के साथ ही हिस्सेदारी हासिल करने को लेकर प्रतिस्पर्धी दौड़ का अंत हो गया। इसके लिए सज्जन जिंदल के नेतृत्व वाला जेएसडब्ल्यू समूह और मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज जियो के जरिये दौड़ में थीं।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने उद्योगपति अनिल अंबानी और उनकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस लि. को बड़ी राहत देते हुए तीन बैंकों की ओर से खातों को फ्रॉड घोषित करने की सभी मौजूदा और भविष्य की कार्रवाइयों पर रोक लगा दी है।
यह आदेश जस्टिस मिलिंद जाधव ने दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि इंडियन ओवरसीज बैंक, आईडीबीआई बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की 2024 की मास्टर डायरेक्शन (निर्देश) का उल्लंघन किया है। बैंकों की कार्रवाई फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट पर आधारित थी, जिसे बाहरी एजेंसी बीडीओ एलएलपी ने तैयार किया था। जस्टिस जाधव ने साफ कहा कि यह रिपोर्ट मान्य नहीं है, क्योंकि इसे किसी योग्य चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) ने साइन नहीं किया था, जबकि आरबीआई नियमों के अनुसार ऑडिटर का सीए होना अनिवार्य है। कोर्ट ने कहा कि अगर अंतरिम राहत नहीं दी जाती तो अनिल अंबानी और उनकी कंपनी को गंभीर और अपूरणीय नुकसान हो सकता है। कोर्ट ने बैंकों की देरी पर भी नाराजगी जताई और कहा कि 2013-17 की अवधि के लिए 2019 में ऑडिट कराना गहरी नींद से जागने जैसा है।
विजन आईएएस पर ₹11 लाख का जुर्माना
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने सिविल सेवा परीक्षा (UPSC) में छात्रों की सफलता को लेकर भ्रामक विज्ञापन देने के मामले में कोचिंग संस्थान विजन आईएएस पर ₹11 लाख का जुर्माना लगाया है। यह उपभोक्ता संरक्षण कानूनों के तहत दोहराए गए अपराध पर लगाया गया पहला दंड है।
सीसीपीए की जांच में पाया गया कि विजन आईएएस ने अपने विज्ञापनों में यह स्पष्ट नहीं किया कि सफल उम्मीदवारों ने संस्थान के कौन-से कोर्स वास्तव में किए थे। इससे यह गलत धारणा बनी कि सभी टॉपर्स ने संस्थान के महंगे फाउंडेशन कोर्स किए थे, जिनकी फीस लाखों रुपये में होती है। सीसीपीए की मुख्य आयुक्त और उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने बताया कि नियामकीय चेतावनी और हस्तक्षेप के बावजूद संस्थान ने बाद के विज्ञापनों में भी इसी तरह के दावे जारी रखे। प्राधिकरण के अनुसार, यह आचरण उचित सावधानी और नियामकीय अनुपालन की कमी को दर्शाता है।
अदाणी समूह ने 2023 के बाद 33 अधिग्रहण पूरे किए
अदाणी ग्रुप ने जनवरी 2023 से अब तक अपने विभिन्न कारोबारों में करीब ₹80,000 करोड़ (9.6 अरब डॉलर) के 33 अधिग्रहण पूरे कर लिए हैं। यह कदम शॉर्ट-सेलर आरोपों के बाद बाजार में आई उथल-पुथल के बावजूद समूह की पूंजी तक निरंतर पहुंच और कार्यान्वयन क्षमता को दर्शाता है।
बाजार आंकड़ों और कंपनी सूत्रों के मुताबिक, अदाणी समूह की यह अधिग्रहण रणनीति मुख्य रूप से उसके कोर सेक्टर्स पर केंद्रित रही है। अधिग्रहण के मामले में पोर्ट्स सेक्टर सबसे आगे रहा, जहां करीब ₹28,145 करोड़ के सौदे किए गए। इसके बाद सीमेंट सेक्टर में ₹24,710 करोड़ और पावर सेक्टर में ₹12,251 करोड़ के अधिग्रहण हुए। इसके अलावा, समूह के नए और उभरते कारोबारों में लगभग ₹3,927 करोड़ के सौदे किए गए, जबकि ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन सेगमेंट में ₹2,544 करोड़ के अधिग्रहण जोड़े गए। हालांकि, इस सूची में दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रहे जयप्रकाश समूह के अधिग्रहण का प्रस्ताव शामिल नहीं है, जिसकी अनुमानित कीमत ₹13,500 करोड़ है और जिस पर अभी अंतिम निर्णय होना बाकी है। साथ ही, कुछ अन्य सौदे भी फिलहाल प्रक्रिया में हैं, जिन्हें इस आंकड़े में नहीं जोड़ा गया है।