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भारत पर ट्रंप का अतिरिक्त 25% टैरिफ लागू: विनिर्माण महत्वाकांक्षाओं को लग सकता है झटका; भारत की क्या रणनीति?

अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली Published by: अभिषेक दीक्षित Updated Wed, 27 Aug 2025 09:51 AM IST
सार

वोंटोबेल में ईएम इक्विटीज के सह-प्रमुख राफेल लुएशर का कहना है कि उच्च टैरिफ भारत की विनिर्माण महत्वाकांक्षाओं को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। इससे अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव में आने वाली भारतीय कंपनियां भी निवेश संबंधी फैसले टाल सकती हैं, जिसका नकारात्मक असर नौकरियों पर पड़ सकता है।

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Donald Trump 50pc forced tariffs imposed On India: Manufacturing ambitions may suffer setback; India ready
अमेरिकी टैरिफ - फोटो : Amar Ujala

भारतीय उत्पादों पर बुधवार से 50 फीसदी उच्च अमेरिकी टैरिफ लागू गया है। इससे 48.2 अरब डॉलर के भारतीय निर्यात पर असर पड़ेगा। ट्रंप टैरिफ की वजह से भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजारों में काफी महंगे हो जाएंगे, जिससे घरेलू निर्यातकों के लिए प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो जाएगा।

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विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के प्रतिस्पर्धियों की स्थिति कम टैरिफ के कारण अमेरिकी बाजार में बेहतर होगी। इस चुनौती से निपटने के लिए मोदी सरकार को बड़े स्तर पर प्रयास करने होंगे, अन्यथा न सिर्फ देश की जीडीपी पर असर पड़ेगा, बल्कि भारत को वैश्विक विनिर्माण हब बनाने का लक्ष्य भी प्रभावित होगा।

वोंटोबेल में ईएम इक्विटीज के सह-प्रमुख राफेल लुएशर का कहना है कि उच्च टैरिफ भारत की विनिर्माण महत्वाकांक्षाओं को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। इससे अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव में आने वाली भारतीय कंपनियां भी निवेश संबंधी फैसले टाल सकती हैं, जिसका नकारात्मक असर नौकरियों पर पड़ सकता है। कपड़ा, जूते, आभूषण और ऑटो पार्ट्स उद्योगों में अगले 12 महीनों में 10-15 लाख नौकरियां जा सकती हैं। अकेले कपड़ा क्षेत्र में एक लाख से ज्यादा रोजगार प्रभावित होने की आशंका है। सूरत और मुंबई के रत्न-आभूषण उद्योग में भी एक लाख से ज्यादा नौकरियां जाने का खतरा है।

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अमेरिकी टैरिफ - फोटो : Amar Ujala

टैरिफ से कई सेक्टर होंगे प्रभावित: बड़े प्रयास की दरकार

  • भारत अमेरिका को 10.3 अरब डॉलर का कपड़ा निर्यात करता है। उच्च टैरिफ की वजह से भारतीय परिधान अमेरिकी बाजार में बांग्लादेश और वियतनाम (इन पर 20 फीसद टैरिफ) के मुकाबले महंगे हो जाएंगे। इससे टेक्सटाइल/परिधान निर्यातकों के लिए अमेरिकी बाजार में उत्पाद बेचना मुश्किल हो जाएगा।
  • भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) ने कहा, तिरुपुर, नोएडा और सूरत के कपड़ा विनिर्माताओं ने उत्पादन रोक दिया है। यह क्षेत्र वियतनाम और बांग्लादेश के कम लागत वाले प्रतिद्वंद्वियों के सामने पिछड़ रहा है।


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अमेरिकी टैरिफ - फोटो : Amar Ujala
  • भारत 12 अरब डॉलर का रत्न-आभूषण अमेरिका को निर्यात करता है। अतिरिक्त टैरिफ की वजह से हीरे और सोने के निर्यात में गिरावट आएगी, जबकि चीन को बढ़त मिलेगी।
  • अखिल भारतीय रत्न एवं आभूषण घरेलू परिषद के चेयरमैन राजेश रोकड़े ने कहा, देश की निर्यात अर्थव्यवस्था में यह उद्योग एक प्रमुख योगदानकर्ता है। उच्च टैरिफ से हस्तनिर्मित आभूषणों के निर्यात पर भारी असर पड़ सकता है। हो सकता है कि ये उत्पाद अब वहां स्वीकार या बेचे न जाएं। अगर ऐसा हुआ, तो एक लाख नौकरियां झटके में चली जाएंगी।
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अमेरिकी टैरिफ - फोटो : Amar Ujala
  • भारत 127 देशों को करीब 60 लाख टन बासमती चावल निर्यात करता है। इसमें से करीब 2.70 लाख टन यानी चार फीसदी बासमती चावल अमेरिका जाता है। अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ ने बासमती चावल निर्यातकों की चिंता जरूर बढ़ा दी है, लेकिन बड़े नुकसान की आशंका नहीं है।
  • निर्यातकों का कहना है कि अमेरिका को निर्यात होने वाले 2.70 लाख टन चावल को अन्य देशों में खपाना बड़ी बात नहीं है। इसके लिए नए बाजार को तलाश कर उसकी भरपाई आसानी से की जा सकती है।
  • ऑल इडिया राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन का कहना है कि अमेरिका भारत और पाकिस्तान से ही बासमती चावल खरीदता है। लेकिन, पाकिस्तान अमेरिकी जरूरतें पूरी करने में सक्षम नहीं है, क्योंकि इस्लामाबाद के कुल करीब 9 लाख टन चावल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 50 से 60 हजार टन है।
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अमेरिकी टैरिफ - फोटो : Amar Ujala

छह माह का रोडमैप तैयार; नए विकल्प तलाश रही सरकार
अमेरिका के मनमाने टैरिफ से निपटने के लिए भारत ने रणनीति तैयार कर ली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों और वित्त एवं वाणिज्य विभाग के अधिकारियों के साथ मैराथन बैठक की। इसमें निर्यातकों व कामगारों के लिए राहत पैकेज का रोडमैप तैयार किया गया। इसमें  आपातकालीन ऋण, निर्यातकों को एकमुश्त राहत और कामगारों को सुरक्षा देना शामिल है।

सूत्रों का कहना है कि सरकार टैरिफ से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों से जुड़े उद्यमियों, निर्यातकों व कामगारों के लिए कम से कम छह महीने के राहत पैकेज की घोषणा बुधवार को या इसी हफ्ते कर सकती है। बैठक में अमेरिकी टैरिफ से कपड़ा, चमड़ा, खिलौना, रसायन, प्लास्टिक और खिलौना जैसे उत्पादों के निर्यात पर होने वाले असर की समीक्षा की गई।

इसमें तय किया गया कि इन क्षेत्रों को नया बाजार उपलब्ध कराने तक राहत पैकेज दिया जाए। सरकार के रणनीतिकारों का मानना है कि अमेरिकी टैरिफ का विकल्प ढूंढ़ लिया गया तो यह संकट अधिकतम छह महीने तक रहेगा। ऐसे में टैरिफ से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों को कम से कम इतने समय तक राहत दी जाएगी।

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