वो दिग्गज कांग्रेस नेता, जिसकी पार्टी सर्वेसर्वा इंदिरा गांधी से कहासुनी हुई और वह 14 साल तक कांग्रेस से बाहर रहे। इसके बाद फिर कांग्रेस ने उन्हें मैदान में उतारा और विधानसभा चुनाव जीतकर वे पंजाब विधानसभा पहुंचे और प्रदेश के कृषि मंत्री बने। मंगलवार को इस दिग्गज का चंडीगढ़ में निधन हो गया। राज्य के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उनके निधन पर शोक जताया। आइए पढ़ते हैं इंदिरा गांधी और पंजाब के दिग्गज कांग्रेस नेता मोहिंदर सिंह गिल के बीच हुई कहासुनी की कहानी...
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मोहिंदर सिंह गिल।
- फोटो : फाइल फोटो
मोहिंदर सिंह गिल अपना पहला चुनाव 1969 में फिरोजपुर छावनी से जीते थे। इसके बाद 1972 में उन्होंने फिरोजपुर छावनी से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 1978 में उन्होंने फिरोजपुर से फिर लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन अकाली दल के उम्मीदवार महिंदर सिंह साइयां वाला से हार गए।
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ज्ञानी जैल सिंह।
- फोटो : फाइल फोटो
1978 में कांग्रेस टिकट पर गिल लोकसभा चुनाव लड़े थे। गिल की ज्ञानी जैल सिंह से नहीं बनती थी। उक्त चुनाव में गिल को हराने में ज्ञानी जैल सिंह का हाथ रहा था। यह चुनाव हारने के बाद गिल की इंदिरा गांधी से कहासुनी हो गई और बहस इतनी बढ़ गई कि नाराज होकर इंदिरा गांधी ने उन्हें पार्टी से ही बाहर कर दिया था।
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इंदिरा गांधी और बेअंत सिंह।
- फोटो : फाइल फोटो
इंदिरा गांधी ने गिल को कांग्रेस से बाहर कर दिया। इसके बाद गिल कांग्रेस छोड़ कांग्रेस (एस) पार्टी में चले गए। इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद जब पंजाब प्रदेश कांग्रेस के प्रधान बेअंत सिंह बने तो वर्ष 1992 में गिल को दोबारा कांग्रेस में शामिल किया गया और बनूड़ से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट दी गई। गिल चुनाव लड़े और जीत गए। उसके बाद गिल को पंजाब का कृषि मंत्री बना दिया गया।
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बेअंत सिंह और मोहिंदर सिंह गिल।
- फोटो : फाइल फोटो
कांग्रेस के वरिष्ठ कार्यकर्ता अशोक गुप्ता ने बताया कि उनका काफी समय मोहिंदर सिंह गिल के साथ गुजरा है। गिल गांव फिरोजशाह के रहने वाले थे। गिल ने पहला विधानसभा चुनाव फिरोजपुर से 1969 में लड़ा था और जीत गए थे। वर्ष 1972 में लोकसभा के चुनाव हुए तो गिल उक्त चुनाव में खड़े हो गए। इस चुनाव में गिल ने अकाली दल के प्रत्याशी गुरचरण सिंह निहाल सिंह वाला को पराजित किया था।