एक ओर हवा महल और दूसरी ओर शीशमहल....इतना ही नहीं मेहराबदार डिजाइन वाले दरवाजे अब कम ही देखने को मिलते हैं। यह सब देखना है तो आप आ सकते हैं हरियाणा में स्थित पिंजौर गार्डन में। मुगलकाल का इतिहास समेटे यह एतिहासिक पिंजौर गार्डन पिंजौर में है।
शिमला और कसौली जाने वाले सैलानी अक्सर कालका से पहले यहां की हरियाली देखकर ठहर जाते हैं। आमों की खुशबू को समेटे वास्तुशिल्प का यह अनूठा उदाहरण वास्तव में अभी भी मुगलकालीन इतिहास को दर्शाता है।
इस ऐतिहासिक गार्डन का निर्माण 17वीं शताब्दी में मुगल बादशाह औरंगजेब ने करवाया था। पंचकूला का यह खूबसूरत बाग फारसी, तुर्की और भारतीय वास्तु-शैली का खूबसूरत ताना-बाना पेश करता है। करीब 100 एकड़ के क्षेत्र में फैला यह प्रसिद्ध बाग न सिर्फ अपनी बेमिसाल खूबसूरती के लिए जाना जाता है, बल्कि यहां हर साल लगने वाले मैंगो फेस्टिवल के लिए भी बाग प्रसिद्ध है।
वैसे, गार्डन का प्राचीन नाम यादविन्द्रा गार्डन हुआ करता था। इस्लामिक और सिख वास्तु-शैली छटा से सराबोर, धार्मिक सौहार्द का प्रतीक यह गार्डन बनवाया बेशक औरंगजेब ने लेकिन बाद में इसका सुधार और देखरेख का जिम्मा पटियाला के महाराजा के पास आ गया था। इस बाग की खूबसूरत डिजाइन गर्मियों की आरामगाह के रूप में प्रमुख वास्तुकार नवाब फिदायी खान ने की थी।
हिमालय की खूबसूरत वादियों में बना यह बाग कुछ बेहद दुर्लभ प्रजातियों के फूलों तथा पेड़ पौधों का गढ़ भी है। मोटे तौर पर इसका खाका श्रीनगर स्थित प्रसिद्ध शालीमार बाग जैसा है। जो इस शैली की छाप मुगलों द्वारा बनवाए गये बागों में प्रमुखता से देखने को मिलती है। पिंजौर गार्डन के एक बड़े हिस्से पर हरी-हरी घास का कब्जा दिखाई देता है। इसके अलावा यहां कई खूबसूरत फव्वारे, सात टैरेस गार्डन और ओपन एयर थियेटर है।