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भगवान 'साक्षी' है, जब कोई न चले तो बेटियां हीं 'मालिक'

टीम डिजिटल/अमर उजाला, चंडीगढ़ Updated Wed, 24 Aug 2016 11:10 AM IST
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rio olympic bronze medal winner lady wrestler Sakshi Malik profile
साक्षी मलिक - फोटो : getty
रियो ओलंपिक में भारत के लिए पहला ओलंपिक पदक जीतने वाली 23 वर्षीय साक्षी मलिक ने बेटियों का गौरव बढ़ा दिया। उनके जीवन की 10 अनकहीं बातें।
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साक्षी मलिक - फोटो : getty
साक्षी की उम्र ओलंपिक में खेलते समय 23 साल सात माह की है। साक्षी मलिक के नाम पहले भी एक ऐसी उपलब्धि है जो शायद ही किसी पहलवान के नाम होती है। साक्षी ने वर्ष 2007 में सब जूनियर एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था। इसलिए कोच ईश्वर सिंह दहिया की विशेष अपील पर उसे सीनियर वर्ग में खेलने की अनुमति मिल गई थी। तब से वह सीनियर पहलवानों के साथ खेलने लगी थीं।
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साक्षी मलिक - फोटो : getty
साक्षी मलिक के पहलवान बनने के पीछे एक खास वजह रही। उसने पहलवान बनने का सपना केवल इसलिए देखा कि उसे पहलवानों की ड्रेस अच्छी लगी थी। 15 साल पहले केवल ड्रेस के लिए कुश्ती खेलने वाली साक्षी इतनी ऊंचाई तक पहुंचेगी, यह कभी परिवार वालों ने भी नहीं सोचा होगा। बेटी को पहलवान बनाने में परिवार वाले थोड़ा हिचकते जरूर हैं, लेकिन साक्षी मलिक ने अपनी मां सुदेश के सामने खेलने की इच्छा जताई तो वे उसे लेकर 15 साल पहले छोटूराम स्टेडियम में पहुंच गईं।
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साक्षी मलिक - फोटो : getty
वहां उसे जिम्नास्टिक खेलने के लिए कहा गया, लेकिन उसने साफ इंकार कर दिया। फिर एथलीट व अन्य कई खेलों के खिलाड़ियों को दिखाया गया और सबसे आखिर में साक्षी को रेसलिंग हाल में लेकर पहुंची। वहां साक्षी को पहलवानों की ड्रेस अच्छी लगी तो उसने कुश्ती खेलने की इच्छा जताई। साक्षी की मां सुदेश ने बताया कि उस समय साक्षी को पहलवानों की ड्रेस अच्छी लगी थी और उसने कहा था कि यह ड्रेस अच्छी है, इसलिए वह भी कुश्ती लड़ेगी।
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साक्षी मलिक - फोटो : getty
ओलंपिक का टिकट लेकर घर लौटी पहलवान साक्षी मलिक को शहरवासियों ने पलकों पर बैठा लिया। सर छोटूराम स्टेडियम और घर पर साक्षी का स्वागत किया गया। साथी खिलाड़ियों, कोच व रिश्तेदारों ने साक्षी से एक ही बात कही कि बेटी! अब तुमसे ओलंपिक में गोल्ड मेडल चाहिए। अब ओलंपिक में सोना लाकर हमारे सपने को पूरा करो। कोच ईश्वर सिंह दहिया ने कहा कि साक्षी उनके लिए एक खिलाड़ी की तरह नहीं, बल्कि एक बेटी की तरह है। वह पदक जरूर जीतेगी।
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